
मुंबई (महाराष्ट्र). अगले सप्ताह टोक्यो ओलंपिक का शुरू होने जा रहा है। भारतीय खिलाड़ी खेलों के इस महाकुंभ में हिस्सा लेने के लिए जाने वाले हैं। वह दिन रात एक करके और अपना पसीना बहाकर देश के लिए पदक दिलाने की पूरी मेहनत कर रहे हैं। इसी मौके पर मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी ने टोक्यो रवाना होने से पहले भारत के 15 खिलाड़ियों से बातचीत कर शुभकामनाएं दी। इस बाचचीत में प्रधानमंत्री देश के कुछ खिलाड़ियों का जिक्र किया, जिसमें एक नाम प्रवीण जाधव भी शामिल था। उन्होंने प्रवीण जिंदगी के संघर्षों को बताते हुए कहा कि आप अगर इस खिलाड़ी की जिंदगी के बार में जानेंगे तो हैरान रह जाएंगे और उनकी इस मेहनत और लगन को सलाम करेंगे। आइए जानते हैं कौन हैं तीरंदाजी में टोक्यो जाने वाले प्रवीण जाधव..
टोक्यों जाने वाले खिलाड़ी के माता-पिता करते थे दिहाड़ी मजदूरी
दरअसल, प्रवीण जाधव मूल रूप से महाराष्ट्र के सतारा जिले के रहने वाले हैं। जिनका आधा जीवन सार्दे गाव में नाले के किनारे बनी झुग्गियों में बीत गया। उनके माता-पिता दिहाड़ी मजदूरी करते थे। लेकिन उन्होंने अपने लक्षय के आगे कभी भी अपनी गरीबी का रोना नहीं रोया। मेहनत और जज्बे की दम पर वह कर दिखाया, जिसका सपना भारत का हर खिलाड़ी देखता है। इसी मेहनत की दम पर वह आज टोक्यो जा रहे हैं।
8 साल की उम्र एथलेटिक्स को बना लिया था लक्ष्य
प्रवीण 8 साल की उम्र में से ही एथलेटिक्स में रूचि रखने लगा था। लेकिन परिवार की आर्थिक स्तिथि ऐसी नहीं थी कि वो किसी खेल एकडमी में ट्रेनिंग ले पाता। फिर भी प्रवीण ने हिम्मत नहीं हारी और अपने गांव में लकड़ी के बने तीर-कमान से निशान लगाने का अभ्यास करते रहे। आज इसी लकड़ी के धनुष की दम पर प्रवीण तीरंदाजी में भारत की तरफ से ओलंपिक जाएंगे।
कभी परिवार को नसीब नहीं होती थीं दो वक्त की रोटी
जाधव के पिता रमेश दिहाड़ी करके परिवार का पेट पालते हैं। कभी-कभी ऐसा भी वक्त आया कि उनके परिवार को दो वक्त का खाना भी बड़ी मुश्किल से नसीब होता था। बस इसी गरीबी से परेशान होकर ही प्रवीण ने खेल जगत जाकर अपनी किस्मत बदलने का फैसला लिया।
जाधव की सफलता का श्रेय अपने टीचर को देते हैं
बताया जाता है कि प्रवीण को एथलेटिक्स में जाने की सलाह उन्हें अपने जिला परिषद स्कूल के टीचर बबन भुजबल दी थी। जिसके बाद उनको कई खेल आयोजनों में भाग लेने का मौका मिला। जिसमें वह एक बार जिला स्तर पर 800 मीटर दौड़ में पहले नंबर पर आए थे। इसके बाद टीचर की सलाह और सरकारी योजान के जरिए वह कुछ समय बाद अमरावती चले गए थे, जहां उन्होंने तीरंदाजी सीखनी और उससे खेलना शुरू किया।
एक-एक करके जीते कई मेडल
प्रवीण ने देश में आयोजित तीरंदाजी प्रतियोग्यता में कई मेडल जीते, इसके बाद 2016 में बैंकॉक में एशिया कप प्रतियोग्यता में पहली बार भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए, प्रवीण ने मेंस रिकर्व टीम स्पर्धा में कांस्य पदक जीता। इसके बाद साल 2017 में जाधव ने आर्मी को ज्वाइन कर लिया जिससे उन्हें ओलंपिक गोल्ड कोस्ट से मदद मिलने लगी। इसके बाद साल 2019 में उन्होंने 22 साल की उम्र में वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर पदक अपने नाम कर लिया। फिर जाधव ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और अब वह देश के लिए टोक्यो ओलंपिक में भी हिस्सा लेने वाले हैं।
मुंबई-पुणे से लेकर पूरे महाराष्ट्र की राजनीति, बिज़नेस गतिविधियाँ, बॉलीवुड अपडेट्स और लोकल घटनाओं पर हर पल की खबरें पढ़ें। राज्य की सबसे विश्वसनीय कवरेज के लिए Maharashtra News in Hindi सेक्शन फॉलो करें — केवल Asianet News Hindi पर।