महाराष्ट्र में किसी के पक्ष में नहीं है आकड़ें, एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद भी फंस सकता है सरकार बनाने का पेंच

Published : Jun 21, 2022, 01:59 PM IST
महाराष्ट्र में किसी के पक्ष में नहीं है आकड़ें, एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद भी फंस सकता है सरकार बनाने का पेंच

सार

महाराष्ट्र सरकार बनाने के लिए 145 सीटों की जरूरत होती है। अभी किसी भी पार्टी के पास ये जादुई आंकड़ा नहीं है। राज्य की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा है जो इस समय विपक्ष में है। रविवार को महाराष्ट्र में हुए विधान परिषद के चुनावों के बाद से एकनाथ शिंदे और उनके समर्थक विधायक गुजरात के सूरत पहुंच गए हैं।

मुंबई. महाराष्ट्र सरकार के नगर विकास मंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) की बागी हो गए हैं। उनके बगावत के बाद उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) सरकार पर संकट के बादल मडराने लगे हैं। रविवार को महाराष्ट्र में हुए विधान परिषद के चुनावों के बाद से एकनाथ शिंदे और उनके समर्थक विधायक गुजरात के सूरत पहुंच गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, शिंदे के साथ करीब 20 से 25 विधायक हैं। महाराष्ट्र में अभी किसी भी पार्टी के पास पूर्ण बहुमत नहीं है। वहां कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना के गठबंधन से सरकार बनी है। सरकार को छोटी पार्टी और निर्दलीय विधायकों का भी साथ है। 

क्या है महाराष्ट्र में सरकार बनाने का समीकरण
महाराष्ट्र सरकार बनाने के लिए 145 सीटों की जरूरत होती है। अभी किसी भी पार्टी के पास ये जादुई आंकड़ा नहीं है। राज्य की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा है जो इस समय विपक्ष में है। वहीं, शिवसेना के पास 56, एनसीपी के 53, कांग्रेस के 44 विधायक हैं। उद्धव ठाकरे की सरकार को सपा, बहुजन विकास अघाडी समेत 11 अन्य विधायकों का भी समर्थन हासिल है। 

अगर नहीं माने एकनाथ शिंदे तो क्या होगा
अगर एकनाथ शिंदे को शिवसेना मनाने में सफल नहीं हुए तो उद्धव ठाकरे की सरकार मुश्किलों में आ सकती है। हालांकि ये कहना जल्दबाजी होगी कि उद्धव ठाकरे की सरकार गिर जाएगी। आइए समीकरण के सहारे जानते हैं कि आखिर कैसे एकनाथ शिंदे की बगावत महाराष्ट्र की सत्ता में भूचाल ला सकती है। 

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एकनाथ शिंदे के साथ करीब 25 विधायकों से संपर्क नहीं हो रहा है। वहीं, उद्धव ठाकरे की सरकार को 169 विधायकों का समर्थन हासिल है। यानि की बहुमत से 24 सीटें ज्यादा। अगर ये 25 विधायक नहीं मानते हैं या फिर पार्टी छोड़कर किसी दूसरे दल में शामिल हो जाते हैं तो सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी हो जाएगी। क्योंकि ऐसी स्थिति में सरकार के पास 144 विधायक ही बचेंगे। जो कि सरकार बनाने से 1 सीट कम है। अगर इस दौरान कोई निर्दलीय भी सरकार के खिलाफ हो जाता है तो इससे मुश्किलें बढ़ जाएंगी। 

क्या भाजपा को होगा फायदा
सरकार बनाने का जादुई आंकडा भाजपा के पास भी नहीं है। बीजेपी के पास कुल 106 विधायक ही है। जबकि उसके सहयोगी के पास 7 विधायक है। ऐसे में भाजपा के विधायकों की संख्या 113 होती है। जो कि सरकार बनाने से 32 सीटें दूर है। अगर मान लीजिए सभी 25 बागी विधायक भाजपा के साथ आते हैं उसके बाद भी भाजपा का आंकड़ा 138 ही होता है। जो सरकार बनाने से 7 सीट कम है।

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