शिवाजी के वंशज उदयन राजे भोसले BJP में शामिल, NCP ने कहा- उन्होंने इस वजह से ज्वाइन की भाजपा

 शिवाजी के वंशज उदयनराजे भोसले द्वारा राकांपा छोड़कर भाजपा में शामिल होने पर शरद पवार की अगुवाई वाली पार्टी ने आरोप लगाया है कि नरेंद्र मोदी सरकार राजघराने को यह वादा करके ‘प्रलोभन’ दे रही थी कि उन्हें अपनी पूर्ववर्ती रियासत की जमीन बेचने की इजाजत दी जाएगी

Asianet News Hindi | Published : Sep 14, 2019 2:11 PM IST

मुंबई. छत्रपति शिवाजी के वंशज उदयनराजे भोसले द्वारा राकांपा छोड़कर भाजपा में शामिल होने पर शरद पवार की अगुवाई वाली पार्टी ने आरोप लगाया है कि नरेंद्र मोदी सरकार राजघराने को यह वादा करके ‘प्रलोभन’ दे रही थी कि उन्हें अपनी पूर्ववर्ती रियासत की जमीन बेचने की इजाजत दी जाएगी।

अमित शाह की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हुए भोसले
इससे पहले दिन में भोसले दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सहित कई वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में भाजपा में शामिल हो गए। इस मौके पर अमित शाह ने कहा कि यह भाजपा के लिए खुशी की बात है कि मराठा छत्रपति के वंशज पार्टी में शामिल हुए हैं और इस बात पर जोर दिया कि भोसले की उपस्थिति से आगामी विधानसभा चुनावों में मदद मिलेगी।

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जमीन बेचने का दिया प्रलोभन
राकांपा के प्रवक्ता नवाब मलिक ने मुंबई में संवाददाताओं से कहा कि आगामी उपचुनाव में शरद पवार की पार्टी फिर से सतारा सीट पर जीत हासिल करेगी। मलिक ने आरोप लगाया, “हमारे पास सूचना है मोदी साहब ने राजघराने को भाजपा में शामिल कराने के लिए कुछ लोगों को लगाया था।” उन्होंने कहा कि मौजूदा कानून के मुताबिक पूर्ववर्ती रियासतों की जमीन को बेचा नहीं जा सकता है। राकांपा नेता ने कहा, “भाजपा सरकार राजघरानों को ये लालच देकर अपनी पार्टी में शामिल कर रही है कि उन्हें उक्त जमीन बेचने की इजाजत दी जाएगी। हम ऐसे किसी निर्णय का विरोध करेंगे।”

भोसले ने छोड़ी लोकसभा की सदस्यता
भोसले सतारा से सांसद थे और भाजपा में शामिल होने के लिए उन्होंने अपनी लोकसभा की सदस्यता छोड़ दी। सतारा लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा क्षेत्र हैं, जिनमें से इस समय राकांपा के पास चार सीटें हैं, जबकि कांग्रेस और शिव सेना के पास एक-एक सीट है।

शिवाजी के वंशज हैं उदयनराजे भोसले
पूर्ववर्ती सतारा रजवाड़े की स्थापना अंग्रेजों ने 1818 में तीसरे आंग्ल-मराठा युद्ध के बाद की थी और 1849 में उत्तराधिकार कानून का इस्तेमाल करते हुए उसे हड़प लिया। इस रजवाड़े का शासन छत्रपति शिवाजी के वंशजों के पास था।

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