हम न्यू ईयर का जश्न मना रहे थे, वहां सरहद की सुरक्षा में सीने पर गोली खाकर शहीद हो दो वीर सपूत

जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के समीप बुधवार को भारी संख्या में हथियारों से लैस पाकिस्तानी घुसपैठियों के साथ मुठभेड़ में सेना के दो जवान शहीद हो गए।

Asianet News Hindi | Published : Jan 1, 2020 1:56 PM IST / Updated: Jan 01 2020, 07:28 PM IST


मुंबई. जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के समीप बुधवार को भारी संख्या में हथियारों से लैस पाकिस्तानी घुसपैठियों के साथ मुठभेड़ में सेना के दो जवान शहीद हो गए। हालांकि, सेना ने नए साल पर घुसपैठ की इस कोशिश को नाकाम कर दिया गया।

भारत की बार्डर में क्रॉस कर रहे थे आंतकवादी 
रक्षा प्रवक्ता ने बताया कि घुसपैठियों को अल सुबह खारी थरयाट जंगल में उस समय रोका गया जब वे पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से भारत में घुसने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने बताया कि 31 दिसंबर और एक जनवरी की दरम्यानी रात नौशेरा सेक्टर के जंगलों में यह मुठभेड़ हुई।

आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद
जम्मू में भारतीय सेना के जनसंपर्क अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल देवेंद्र आनंद ने एक बयान में बताया, ‘‘नौशेरा सेक्टर में घेराबंदी और तलाश अभियान के दौरान भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में सेना के दो सैनिक शहीद हो गए।’’शहीद सैनिकों की पहचान नायक सावंत संदीप रघुनाथ और राइफलमैन अर्जुन थापा मगर के रूप में हुई।

किसी की पत्नी विधवा हुई तो कोई माता पिता को अकेला छोड़ गया
सावंत महाराष्ट्र के सतारा जिले के मुंडे-करहड़ गांव के रहने वाले थे। वह अपने पीछे पत्नी स्मिता सावंत को छोड़ गए हैं। वहीं मगर नेपाल के गोरखा जिले के रिप गांव के रहने वाले थे और वह अपने पीछे माता-पिता को छोड़ गए हैं। लेफ्टिनेंट कर्नल आनंद ने बताया, “नायक रघुनाथ और राइफलमैन मगर बहादुर, अत्यधिक प्रेरित और निष्ठावान सैनिक थे। राष्ट्र उनके परम बलिदान और कर्तव्य के प्रति समर्पण के लिए हमेशा उनका ऋणी रहेगा।”

एक साल में 83 जवानों ने दी अपनी कुर्बानी 
अधिकारियों ने बताया कि संदिग्ध आतंकवादियों की गतिविधि की सूचना मिलने के बाद सेना ने तलाश अभियान शुरू किया था। घुसपैठियों ने सैनिकों पर गोलीबारी शुरू कर दी और भीषण मुठभेड़ के दौरान दो जवान शहीद हो गए। अधिकारियों ने बताया कि इलाके में बड़ा अभियान चलाया जा रहा है। जम्मू-कश्मीर पुलिस के अनुसार 2018 में जम्मू-कश्मीर में आतंक विरोधी अभियानों के दौरान 83 सुरक्षा बलों ने अपनी कुर्बानी दी।

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