
नई दिल्ली। शिवसेना के उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) गुट ने चुनाव आयोग (Election Commission) द्वारा शिवसेना के नाम और चुनाव चिह्न पर रोक लगाए जाने के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है। ठाकरे द्वारा दायर याचिका में चुनाव आयोग के 8 अक्टूबर के आदेश को चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि चुनाव आयोग ने उनका पक्ष सुने बिना फैसला किया। आयोग ने नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के उल्लंघन किया। याचिका में चुनाव आयोग और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को पक्षकार बनाया गया है।
दोनों गुटों ने चुनाव आयोग को दी चुनाव चिह्न और पार्टी के नाम की लिस्ट
शिवसेना के उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुटों ने चुनाव आयोग को औपचारिक रूप से पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न के लिए अपनी पसंद की लिस्ट सौंप दी है। चुनाव आयोग ने पार्टी के चुनाव चिह्न 'धनुष और तीर' को जब्त कर लिया था। चुनाव आयोग अब यह सुनिश्चित करने के लिए उनकी जांच करेगा कि उनके द्वारा मांगे गए चिह्न समान तो नहीं हैं और किसी अन्य पार्टी द्वारा इस्तेमाल तो नहीं किए जा रहे हैं। दोनों गुटों को ऐसा चुनाव चिह्न नहीं दिया जाएगा, जिसे पहले जब्त किया गया हो।
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गौरतलब है कि शनिवार को चुनाव आयोग ने 3 नवंबर को अंधेरी पूर्व विधानसभा उपचुनाव में शिवसेना के दोनों धड़ों को पार्टी के नाम और उसके चुनाव चिह्न का उपयोग करने से रोक दिया था। शिव सेना के दोनों गुट पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न पर अपना दावा कर रहे हैं। आयोग ने दोनों गुटों को अपने पसंद के तीन नाम और चुनाव चिह्न की लिस्ट देने को कहा था। ठाकरे गुट ने त्रिशूल, जलती हुई मशाल और उगते सूरज को अपना पसंदीदा चुनाव चिह्न बताया है।
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