शिवसेना का असली वारिस कौन? अब उद्धव व शिंदे की लीगल टीमें भी महासंग्राम में उतरीं

Published : Jun 24, 2022, 06:25 PM ISTUpdated : Jun 24, 2022, 06:26 PM IST
शिवसेना का असली वारिस कौन? अब उद्धव व शिंदे की लीगल टीमें भी महासंग्राम में उतरीं

सार

Maharashtra Political Crisis शिवसेना पर कब्जे के लिए साम-दाम-दंड-भेद के तीर खुलकर छोड़े जा रहे हैं। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और शिवसेना के बागी विधायक नेता एकनाथ शिंदे की लीगल टीमें, पार्टी पर दावा को मजबूत करने के लिए मंथन कर रहीं।

मुंबई। महाराष्ट्र (Maharashtra Political Crisis) में सत्ता की लड़ाई के संग-संग शिवसेना (Shiv Sena) पर कब्जे और वर्चस्व को लेकर भी महासंग्राम शुरू हो चुका है। शिवसेना पर कब्जे के लिए साम-दाम-दंड-भेद के तीर खुलकर छोड़े जा रहे हैं। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और शिवसेना के बागी विधायक नेता एकनाथ शिंदे की लीगल टीमें, पार्टी पर दावा को मजबूत करने के लिए मंथन कर रहीं। हालांकि, पार्टी का असली दावेदार कौन होगा यह चुनाव आयोग और कोर्ट तय करेगा लेकिन फिलहाल सबकी कोशिशें जारी है।

महाअघाड़ी सरकार के साथ शिवसेना का संकट गहराया

दरअसल, बीते दिनों शिवसेना के सीनियर लीडर एकनाथ शिंदे ने बगावत कर दी। वह कई दर्जन विधायकों के साथ पहले सूरत पहुंचे। फिर, गुवाहाटी के एक होटल में कई दिनों से डेरा डालकर सियासी पारा बढ़ाए हुए हैं। शिंदे के पास शिवसेना के 40 बागियों व दस अन्य का समर्थन होने का दावा किया जा रहा है। 

उद्धव ने पहले मनाने की कोशिश की लेकिन अब हुए सख्त

एकनाथ शिंदे को पहले तो शिवसेना के नेताओं ने मनाने की कोशिश की लेकिन अब फ्लोर टेस्ट और कानूनी दांवपेंच चला जाने लगा है। दरअसल, शिंदे की बगावत के बाद उद्धव ठाकरे ने सारे बागियों को वापस आने और मिलकर फैसला करने का प्रस्ताव दिया। उद्धव ठाकरे की ओर से प्रवक्ता संजय राउत ने यह भी कहा कि अगर एनसीपी व कांग्रेस से बागी गुट चाहता है कि गठबंधन तोड़ा जाए तो विधायक आएं और उनके कहे अनुसार किया जाएगा। लेकिन सारे प्रस्तावों को दरकिनार कर जब बागी गुट बीजेपी के साथ सरकार बनाने का मंथन शुरू किया तो उद्धव गुट सख्त हो गया। 

शिंदे की जगह नया नेता, विधायकों को अयोग्य करने के लिए आवेदन

शिंदे के खिलाफ शिवसेना के पहले ठोस कदम उठाते हुए उनको विधायक दल के नेता पद से हटा दिया है। शिंदे की जगह पर अजय चौधरी को नया नेता चुन लिया गया है। महाराष्ट्र के उपाध्यक्ष नरहरि जिरवाल ने शिंदे की जगह अजय चौधरी को सेना के विधायक दल के नेता के रूप में स्वीकार किया है।

शिंदे खेमे के विधायक को सचेतक बनाने का दावा खारिज

उपसभापति ने शिंदे खेमे के भरत गोगावाला को सेना का सचेतक नियुक्त करने के सुझाव को खारिज कर दिया। बागी विधायकों पर कानूनी दांवपेंच के तहत उद्धव ठाकरे ने डिप्टी स्पीकर से शिंदे और 15 अन्य बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करने के लिए कहा, जो भाजपा शासित असम में एक पांच सितारा होटल में डेरा डाले हुए हैं।

शिवसेना पर दावा, डिप्टी स्पीकर के खिलाफ प्रस्ताव

अयोग्यता याचिका पर डिप्टी स्पीकर द्वारा बागी विधायकों को नोटिस जारी करने के बाद, दो निर्दलीय विधायक सीधे डिप्टी स्पीकर के खिलाफ मोर्चा खोल दिए हैं। दो निर्दलीय विधायकों ने जिरवाल के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए आवेदन किया है। बागी विधायकों द्वारा समर्थित शिंदे ने कहा है कि वह चुनाव आयोग के पास जाएंगे और शिवसेना को अपना होने का दावा करेंगे क्योंकि उनके पास संख्या है।

शिवसेना का कैडर पर फोकस करने का दावा

महाराष्ट्र में शिवसेना के दो सहयोगी - राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, या राकांपा, और कांग्रेस - ने कहा है कि वे श्री ठाकरे के साथ रहेंगे, जो भी हो सकता है। शिवसेना नेताओं ने कहा है कि उनकी पार्टी कैडर पर पूरी तरह से केंद्रित है। उन्होंने कहा कि विधायक आते और जाते हैं, कैडर ठाकरे के पास रहेगा।

शिवसेना की सांसद व प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि हम शिव सैनिक हैं और लड़ेंगे और जीतेंगे। वे (बागी विधायक) जो कर रहे हैं वह कानूनी और राजनीतिक रूप से संभव नहीं है। यह शिवसेना के साथ पहली बार नहीं हो रहा है। पहले भी ऐसा हुआ था लेकिन सब व्यर्थ था। इस बार भी यह सफल नहीं होगा।

अब शिवसेना का सारा फोकस अयोग्य ठहराने पर

सत्तारूढ़ गठबंधन को बचाने के आखिरी प्रयास में शिवसेना ने बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करने के लिए दायर किया है। टीम ठाकरे के अयोग्य ठहराए जाने के लिए और बागी विधायकों को निशाना नहीं बनाएगी क्योंकि ऐसा करने से बीजेपी को फायदा होगा। दरअसल, शिवसेना के अन्य बागी विधायकों पर यह दबाव डाला जाएगा कि वह वापस आ जाएं। कुछ लोगों के अयोग्य घोषित कराए जाने के बाद अन्य बागी हतोत्साहित होकर वापस आ सकते हैं।

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