भारत में पहली बार प्रति 1000 पुरुषों पर 1020 महिलाएं; हेल्थ मिनिस्टर ने लोकसभा में जानकारी देकर लगाई मुहर

यह भारत में महिला की 'सुरक्षा और संरक्षण' से जुड़ी अच्छी खबर है कि भारत में प्रति 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 1020 हो गई है। हालांकि यह आंकड़ा नवंबर में ही सामने आ चुका था, लेकिन इस पर अधिकृत मोहर 18 दिसंबर को लग गई, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार(Bharati Pravin Pawar) ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में यह लिखित जानकारी दी।

नई दिल्ली. कुछ साल पहले तक भारत में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की घटती संख्या चिंता कारण बनी हुई थी, लेकिन अब स्थिति बदल गई है। यह भारत में महिला की 'सुरक्षा और संरक्षण' से जुड़ी अच्छी खबर है कि भारत में प्रति 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 1020 हो गई है। हालांकि यह आंकड़ा नवंबर में ही सामने आ चुका था, लेकिन इस पर अधिकृत मोहर 18 दिसंबर को लग गई, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार(Bharati Pravin Pawar) ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में यह लिखित जानकारी दी। ऐसा भारत में पहली बार हुआ है। 24 नवंबर को नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5(NFHS-5) ने इसके आंकड़े जारी किए थे, जिसे सरकार की अंतिम मुहर लग गई। इससे पहले 2015-16 में हुए NFHS-4 में यह आंकड़ा प्रति 1000 पुरुषों पर 991 महिलाओं का था।

बाल लिंगानुपात में सुधार को बेटी बचाओ और बेटी पढ़ो(BBBP) योजनाओं से जोड़ते हुए मंत्री ने कहा कि इन योजनाओं में राष्ट्रव्यापी मीडिया, एडवोकेसी कैम्पेन और कुछ क्षेत्रों में कई अन्य तरह के प्रयास शामिल हैं। मंत्री ने कहा, "बीबीबीपी का लक्ष्य गिरते बाल लिंग अनुपात (सीएसआर) और लड़कियों और महिलाओं के सशक्तिकरण के संबंधित मुद्दों को जोड़ना है। इस योजना का प्राथमिक उद्देश्य लिंग आधारित लिंग चयन उन्मूलन को रोकना, बालिकाओं के अस्तित्व और सुरक्षा को सुनिश्चित करना और बालिकाओं की शिक्षा और भागीदारी सुनिश्चित करना है।" 

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गांवों में बढ़ा सेक्स रेशियो
खुशी की बात यह है कि NFHS-5 के आंकड़े बताते हैं कि शहरों की तुलना में गांवों में लड़कियों की संख्या बेहतर हुई है। गांवों में 1000 पुरुषों पर 1037 महिलाएं हैं, जबकि शहरों में  985 महिलाएं।  NFHS-4 में यह आंकड़ा गांवों में प्रति 1000 पुरुषों पर 1009 था। जबकि शहरों में 956 महिलाएं थीं।

इससे पहले चिंताजनक स्थिति रही है
इससे पहले भारत में महिलाओं की प्रति पुरुष कम संख्या चिंता का विषय थी। 1991 की जनगणना में प्रति हज़ार पुरुषों पर 927 महिलाएं थीं। हालांकि 2001 में बढ़कर 933 और 2011 में 943 हो गई थीं। अगर पिछले 30 वर्षों का आंकड़ा देखें, तो लिंगानुपात में लगातार सुधार हो रहा है।

ऐसे हुआ था सर्वे
NFHS-5 दो चरणों में किया गया है—2019 और 2021। पहले चरण में 22 राज्यों का सर्वेक्षण किया गया था। दूसरे चरण में अरुणाचल प्रदेश, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, हरियाणा, झारखंड, मध्य प्रदेश, दिल्ली, ओडिशा, पुडुचेरी, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के 707 जिलों के 6,50,000 घर शामिल किए गए।
 

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