206 साल पुराने अयोध्या विवाद पर आया 1045 पन्नों का फैसला, जानें पूरा फैसला, बयान और अब आगे क्या?

अयोध्या में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को रामलला के पक्ष में फैसला सुनाया। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने एकमत से विवादित जमीन पर रामलला का मालिकाना हक बताया। 

Asianet News Hindi | Published : Nov 9, 2019 12:30 PM IST / Updated: Nov 09 2019, 06:59 PM IST

नई दिल्ली. अयोध्या में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को रामलला के पक्ष में फैसला सुनाया। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने एकमत से विवादित जमीन पर रामलला का मालिकाना हक बताया। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को अयोध्या में मंदिर बनाने का अधिकार दिया है। 

साल 1813 में पहली बार शुरू हुए विवाद पर बेंच ने 1045 पन्नों पर फैसला लिखा, जिसमें 929 पन्ने एकमत थे। कुछ मुद्दों पर एक जज ने फैसले से अलग राय रखी। जज के नाम का जिक्र नहीं किया गया है।

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि केंद्र 3 महीने के भीतर योजना बनाए और मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट की स्थापना करे। कोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया कि अगर सरकार को ठीक लगे तो वह निर्मोही अखाड़ा को ट्रस्ट में प्रतिनिधित्व दे सकती है। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष यानी सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ की वैकल्पिक जमीन देने के लिए कहा है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बड़ी बातें

-  कोर्ट ने रामलला को कानूनी मान्यता देने की बात कही। साथ ही बेंच ने कहा कि एएसआई ने जो खुदाई की थी, उसे नकारा नहीं जा सकता। कोर्ट ने यह भी माना कि मस्जिद के ढांचे के नीचे विशाल संरचना मिली थी, जो गैर इस्लामिक थी।

- सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हिंदू अयोध्या को राम का जन्मस्थान मानते हैं। उनके धार्मिक भावनाएं हैं। मुस्लिम इसे बाबरी मस्जिद बताते हैं। हिंदुओं का विश्वास है कि राम का जन्म यहां हुआ है, वह निर्विवाद है। हिंदू सदियों से विवादित ढांचे की पूजा करते रहे हैं, लेकिन मुस्लिम 1856 से पहले नमाज का दावा सिद्ध नहीं कर पाए। 

-  बेंच ने कहा- निर्मोही अखाड़े का दावा केवल प्रबंधन को लेकर है। आर्केलॉजिकल सर्वे के दावे संदेह से परे हैं। इसे नकारा नहीं जा सकता है। 'मुस्लिम दावा करते हैं कि 1949 तक लगातार नमाज पढ़ते थे, लेकिन 1856-57 तक ऐसा होने का कोई सबूत नहीं मिलता।' 

- 'अंग्रेजों ने रेलिंग बनाई थी ताकि दोनों पक्षों को अलग रखा जा सके। 1856 से पहले हिंदू अंदर पूजा करते थे, मनाही के बाद भी वे चबूतरे पर पूजा करने लगे।'

- सबूत हैं कि अंग्रेजों के आने से पहले राम चबूतरा, सीता रसोई में हिंदू पूजा करते थे। सबूतों में यह भी दिखता है कि विवादित जगह के बाहर हिंदू पूजा करते थे। 

कोर्ट ने 40 दिन में पूरी की सुनवाई
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच जजों की बेंच ने इस मामले में 40 दिन में 172 घंटे तक की सुनवाई की थी। बेंच में जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस ए नजीर भी शामिल थे। कोर्ट ने 16 अक्टूबर को सुनवाई पूरी कर ली थी।

सुप्रीम कोर्ट में 14 याचिकाएं दाखिल की गईं थीं 
2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट अयोध्या में 2.77 एकड़ का क्षेत्र तीन समान हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था। पहला-सुन्नी वक्फ बोर्ड, दूसरा- निर्मोही अखाड़ा और तीसरा- रामलला। इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 14 याचिकाएं दाखिल की गईं थीं।

आगे क्या?

राम मंदिर: केंद्र सरकार को 3 महीने में राम मंदिर के निर्माण के लिए योजना बनाना है। साथ ही मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट भी बनाना है। 

मस्जिद: सरकार मस्जिद के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन उपलब्ध कराएगा। 

किसने क्या कहा?

पीएम नरेंद्र मोदी- देश के सर्वोच्च न्यायालय ने अयोध्या पर अपना फैसला सुना दिया है। इस फैसले को किसी की हार या जीत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। रामभक्ति हो या रहीमभक्ति, ये समय हम सभी के लिए भारतभक्ति की भावना को सशक्त करने का है। देशवासियों से मेरी अपील है कि शांति, सद्भाव और एकता बनाए रखें।

गृह मंत्री अमित शाह- श्रीराम जन्मभूमि पर सर्वसम्मति से आए सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का मैं स्वागत करता हूं। मैं सभी समुदायों और धर्म के लोगों से अपील करता हूं कि हम इस निर्णय को सहजता से स्वीकारते हुए शांति और सौहार्द से परिपूर्ण ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के अपने संकल्प के प्रति कटिबद्ध रहें।

राहुल गांधी- सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मुद्दे पर अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट के इस फैसले का सम्मान करते हुए हम सब को आपसी सद्भाव बनाए रखना है। ये वक्त हम सभी भारतीयों के बीच बन्धुत्व, विश्वास और प्रेम का है।

प्रियंका गांधी- अयोध्या मुद्दे पर भारत की सर्वोच्च अदालत ने फैसला दिया है। सभी पक्षों, समुदायों और नागरिकों को इस फैसले का सम्मान करते हुए हमारी सदियों से चली आ रही मेलजोल की संस्कृति को बनाए रखना चाहिए। हम सबको एक होकर आपसी सौहार्द और भाईचारे को मजबूत करना होगा।

उमा भारती- पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी से मिलने पहुंचीं। उन्होंने कहा कि हम सभी कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं। उमा भारती ने कहा- आज हम आडवाणीजी की वजह से ही यहां तक पहुंचे, इसलिए मैं उनको मत्था टेकने आई हूं। आडवाणी जी ही ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने छद्म सेक्युलरिज्म को चुनौती दी। 

श्रीश्री रविशंकर- यह एक ऐतिहासिक फैसला है, मैं इसका स्वागत करता हूं। यह मामला लंबे समय से चल रहा था और आखिरकार यह एक निष्कर्ष पर पहुंच गया है। समाज में शांति और सद्भाव बनाए रखा जाना चाहिए।
 
जफर फारूकी- यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। चेयरमैन जफर फारूकी ने कहा, हम कोर्ट के निर्णय को स्वीकार और उसका स्वागत करते हैं। यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड इस फैसले के खिलाफ अपील नहीं करेगा।

सीएम योगी आदित्यनाथ- अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा- माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का स्वागत है, देश की एकता व सद्भाव बनाए रखने में सभी सहयोग करें। 

मोहन भागवत- सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस देश की आस्था और श्रद्धा को न्याय देने वाले फैसले का संघ स्वागत करता है। दशकों तक चली लंबी न्यायिक प्रक्रिया के बाद यह विधि सम्मत अंतिम निर्णय हुआ है। इस लंबी प्रक्रिया में श्रीराम जन्मभूमि से संबंधित सभी पहलुओं का बारीकी से विचार हुआ है। भाईचारा बनाए रखने के प्रयासों का स्वागत। इस निर्णय को हार-जीत के तौर पर न देखें।

उद्धव ठाकरे- उद्धव ठाकरे ने कहा कि आज का दिन स्वर्ण अक्षरों से इतिहास में लिखा जाएगा। सभी को इस फैसले को मानना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं आडवाणी जी के पास जाऊंगा। उन्हें धन्यवाद और बधाई दूंगा। मैं उनसे आशीर्वाद लूंगा। 

मुरली मनोहर जोशी- भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने कहा- अब वहां एक भव्य मंदिर निर्माण की प्रक्रिया पर ध्यान दिया जाना चाहिए। मंदिर निर्माण में सबका सहयोग हो। यह मंदिर राष्ट्रीय एकता, अखंडता और स्वाभिमान का प्रतीक बने।

दिल्ली जामा मस्जिद के शाही इमाम- सैयद अहमद बुखारी ने कहा- हमने हमेशा कहा है कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानेंगे। मुझे आशा है कि देश विकास की ओर बढ़ेगा। मुझे लगता है कि हमें रिव्यू पिटीशन दाखिल नहीं करनी चाहिए। 

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