Local for Global: चांद की यात्रा हो या सूर्य की निगरानी, दुनिया मानती है हमारे ISRO का लोहा, जानें अनोखे रिकॉर्ड

Published : Aug 10, 2025, 10:44 AM ISTUpdated : Aug 10, 2025, 01:57 PM IST
NISAR Mission

सार

ISRO ने हमें अंतरिक्ष के क्षेत्र में दुनिया की बड़ी ताकत बनाया है। उपग्रह लॉन्च करना हो तो बहुत से देश इसरो की मदद लेते हैं। चांद की यात्रा से लेकर सूर्य की निगरानी तक, इसरो ने कई ऐसी सफलताएं पाईं हैं, जिससे दुनिया ने इसकी ताकत का लोहा माना है।

15 August 2025: 15 अगस्त 1947 का अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति के बाद भारत ने हर क्षेत्र में तेज प्रगति की है। आज हम अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में दुनिया की बड़ी ताकत हैं। हमारी अंतरिक्ष एजेंसी ISRO की गिनती दुनिया के टॉप 5 अंतरिक्ष एजेंसियों में होती है। कम खर्च में उपग्रह अंतरिक्ष में पहुंचाना हो तो इसरो का कोई मुकाबला नहीं है। यही, वजह है कि दुनिया भर के देश इसरो से अपने उपग्रह लॉन्च कराते हैं।

कब हुई थी इसरो की स्थापना?

1962 में भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (INCOSPAR) ने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की नींव रखी। ISRO (Indian Space Research Organisation) की स्थापना 1969 में हुई थी। ISRO की उपलब्धियां असाधारण रही हैं। संचार और सुदूर संवेदन में क्रांति लाने वाले उपग्रहों को लॉन्च करने से लेकर क्रायोजेनिक प्रोपल्शन सिस्टम जैसी स्वदेशी तकनीकों में महारत हासिल करने तक, ISRO ने भारत को अंतरिक्ष के क्षेत्र में ग्लोबल लीडर के रूप में स्थापित किया। आज ISRO के साथ काम करने के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA मौके तलाशती है।

इसरो की 10 बड़ी उपलब्धियां

चंद्रयान 3: चंद्रयान-3 ने 23 अगस्त 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतरकर एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। भारत चंद्रमा के इस हिस्से पर उतरने वाला पहला देश है।

आदित्य-एल1: सूर्य का अध्ययन करने के लिए 2 सितंबर 2023 को आदित्य-एल1 लॉन्च किया गया था। यह भारत का पहला सौर वेधशाला है। इसे पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर स्थित लैग्रेंज बिंदु 1 (एल1) पर रखा गया है।

SSLV (Small Satellite Launch Vehicle): SSLV इसरो द्वारा विकसित नया रॉकेट है। इसे छोटे उपग्रहों के लॉन्च करने की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए डिजाइन किया गया है। SSLV की पहली उड़ान फरवरी 2023 में हुई थी।

मिशन शक्ति (एंटी-सैटेलाइट मिसाइल): 27 मार्च 2019 को मिशन शक्ति सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। यह एंटी-सैटेलाइट मिसाइल टेस्ट था। इससे भारत ने दुनिया को दिखा दिया कि उसके पास अंतरिक्ष में मौजूद उपग्रह को मार गिराने की ताकत है।

104 उपग्रहों की लॉन्चिंग: इसरो ने 15 फरवरी 2017 को एक साथ 104 उपग्रहों को अंतरिक्ष में पहुंचाकर दुनिया को चौंका दिया था। एक बार में इतने अधिक सैटेलाइट कभी नहीं भेजे गए थे।

नाविक: इसरो ने भारत का अपना नेविगेशन सिस्टम बनाया। यह 2016 से आधिकारिक रूप से चालू है। इस प्रणाली में सात उपग्रह शामिल हैं, जो सटीक स्थिति और समय की जानकारी देते हैं।

मंगल मिशन: इसरो ने 2013 में मंगलयान मिशन (MOM) लॉन्च किया था। इसका नाम मंगलयान रखा गया, जिसका उद्देश्य अज्ञात क्षेत्रों में जाकर खोज की सीमाओं का विस्तार करना और ब्रह्मांड के रहस्यों को उजागर करना था।

यह भी पढ़ें- Local for Global: फिलीपींस-इंडोनेशिया से ब्राजील तक, दुनियाभर में हमारे हमारे ब्रह्मोस की डिमांड

चंद्रयान 1: 22 अक्टूबर 2008 को इसरो ने भारत का पहला चंद्र अन्वेषण मिशन (lunar exploration mission), चंद्रयान-1 लॉन्च किया था। इसने चंद्रमा की सफलतापूर्वक परिक्रमा की और महत्वपूर्ण खोजें कीं।

आर्यभट्ट उपग्रह: 19 अप्रैल 1997 को आर्यभट्ट उपग्रह को अंतरिक्ष पहुंचाया गया था। इसने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को आगे बढ़ाने और वैज्ञानिक प्रयोगों के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

विकास इंजन: इसरो ने 1970 में विकास इंजन विकसित किया था। इससे रॉकेट को अंतरिक्ष तक जाने की ताकत मिली। इसे पीएसएलवी और जीएसएलवी रॉकेट में लगाया गया।

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