
नेशनल डेस्क। कर्नाटक में हालात खतरनाक हैं। राज्य सरकार ने पाया कि प्रदेश के 1,698 गांव अभी भी बाढ़ प्रभावित संवेदनशील क्षेत्र में आते हैं। जबकि 1,351 गांव ऐसे हैं जहां भूस्खलन का खतरा मंडराता है। ये अत्यधिक चिंता का विषय है। यह सूची ऐतिहासिक डेटा स्थानीय स्थलाकृति और उनकी भौगोलिक स्थिति के आधार पर तैयार की गई है।
14 संवेदनशील गांवों के पास कर्मचारी तैनात
कर्नाटक में हालात चिंताजनक हैं। ऐसे में कर्नाटक सरकार बारिश के पहले से ही हालात से निपटने के इंतजाम में जुट गई है। प्रदेश के संवेदनशील 14 गांवों के नजदीक स्थानों पर कर्मियों को भी तैनात किया गया है। स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट सेल,फायर एंड इमरजेंसी डिपार्टमेंट और रेवन्यू डिपार्टमेंट के अधिकारी बारिश से पहले ही इन संभावित प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए कम कर रही है। संभावित प्रभावित एरिया में जरूरी सामग्री बांटने के इंतजाम अभी से किए जा रहे हैं।
643 गांव अति संवेदनशील एरिया में
कर्नाटक में बाढ़ से प्रभावित होने वाले 1698 गांवों में से 643 ऐसे हैं जो नदी की बाढ़ के प्रति अति संवेदनशील माने जाते हैं। वहीं 835 गांव कम जोखिम वाले क्षेत्र में आते हैं। वहीं दक्षिण कर्नाटक में कावेरी बेसिन के 124 गांवों ने विभाग की सूची में जगह बनाई है। इनमें से 54 अति संवेदनशील क्षेत्र में आने वाले गांव हैं। जबकि 70 कम संवेदनशील वाले क्षेत्र में शामिल गांव हैं। इसके अलावा पश्चिम की ओर बहने वाली नदियों के घाटियों में 96 और गांवों पाए गए हैं जिनमें से 60 हाई रिस्क वाले क्षेत्र हैं।
कलबुर्गी के 238 गांव पर खतरा
कृष्णा नदी बेसिन में कमजोर गांवों को रखा गया है। इसकी सहायक नदियों तुंगभद्रा और भीमा हैं। नौ जिलों में फैली तुंगभद्रा बेसिन में 592 गांवों पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। वहीं भीमा नदी बेसिन के 292 गांवों में भी बाढ़ के आसार हैं। राज्य के 31 में से 23 जिलों को बाढ़ प्रभावित संवेदनशील माना जाता है।
सरकार ने बेलगावी, रायचूर, कोप्पल, बल्लारी, गडग, हावेरी, शिवमोग्गा, दावणगेरे, बागलकोट, यादगीर और मैसूरु जिलों के अधिकारियों को बारिश के बाद की समस्याओं से निपटने के लिए सभी इंतजाम पहसे से करके रखने के लिए कहा है।