जम्मू-कश्मीर की स्थिति का जायजा लेने के लिए 24 देशों का विदेशी डेलीगेशन बुधवार को जम्मू-कश्मीर पहुंचा। घाटी से धारा 370 हटने के बाद यह चौथा दौरा है। हाल ही में यहां जिला विकास परिषद (डीडीसी) और ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल (बीडीसी) के चुनाव हुए हैं, उसके बाद जम्मू-कश्मीर की स्थिति को समझने में यह दौरा और भी अहम है।
नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर की स्थिति का जायजा लेने के लिए 24 देशों का विदेशी डेलीगेशन बुधवार को जम्मू-कश्मीर पहुंचा। घाटी से धारा 370 हटने के बाद यह चौथा दौरा है। हाल ही में यहां जिला विकास परिषद (डीडीसी) और ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल (बीडीसी) के चुनाव हुए हैं, उसके बाद जम्मू-कश्मीर की स्थिति को समझने में यह दौरा और भी अहम है।
The delegation of foreign envoys visiting Jammu and Kashmir, being accorded traditional welcome upon their arrival. pic.twitter.com/yQcnEElYd3
प्रतिनिधिमंडल में कौन-कौन?
समूह में 24 देशों के लोग शामिल हैं। ज्यादातर फ्रांस, इटली, स्पेन, फिनलैंड सहित यूरोप से प्रतिनिधिमंडल में हैं। अन्य देशों में जैसे बांग्लादेश, मलावी, घाना से भी लोग हैं।
इस दौरे में क्या होने वाला है?
अधिकारियों ने कहा कि इस दौरे में प्रतिनिधिमंडल में शामिल अधिकारी जम्मू-कश्मीर के लोगों से सीधी जानकारी लेंगे। वहां पर धारा 370 हटने के बाद क्या विकास हुआ इन सब स्थितियों का भी जायजा लेंगे। जमीनी स्तर पर लोकतंत्र सुनिश्चित करने के लिए केंद्र के प्रयास, डीडीसी के नव-निर्वाचित सदस्यों के अलावा कुछ प्रमुख नागरिकों और प्रशासनिक सचिवों के साथ बैठक आयोजित की जाएगी।
सूत्रों के अनुसार, अबकी बार यह संभावना कम है कि प्रतिनिधिमंडल के सदस्य डल-लेक में नाव की सवारी का आनंद लें। इसके बजाय उन्हें ऐतिहासिक हजरतबल तीर्थ पर ले जाया जाएगा। वे होटल ललित में रुकेंगे और वहीं पर लंच के वक्त नव-निर्वाचित डीडीसी और बीडीसी प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करेंगे।
दोपहर के भोजन के बाद वे हज़रतबल तीर्थ की यात्रा पर निकलेंगे। शाम को कुछ मीडियाकर्मी से बातचीत करेंगे। उसके बाद पांच सितारा होटल में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम होगा। प्रतिनिधिमंडल के सदस्य पूर्व मुख्यमंत्रियों महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला से नहीं मिलेंगे।
पिछले साल अमेरिका सहित 17 देशों के अधिकारियों ने जम्मू और कश्मीर का दौरा किया था। टीम में वियतनाम, दक्षिण कोरिया, ब्राजील, उज्बेकिस्तान, नाइजर, नाइजीरिया, मोरक्को, गुयाना, अर्जेंटीना, फिलीपींस, नॉर्वे, मालदीव, फिजी, टोगो, बांग्लादेश और पेरू के राजदूत शामिल थे।