भाजपा में शामिल हुए कांग्रेस के 21 बागी पूर्व विधायक, सिंधिया ने सबको जेपी नड्डा से उनके घर पर मिलवाया

कांग्रेस के 21 बागी पूर्व विधायक भाजपा में शामिल हो गए हैं। यह बेंगलुरु से दिल्ली पहुंचे। जहां ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात की। फिर सभी भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर पहुंचे। 

Asianet News Hindi | Published : Mar 21, 2020 1:10 PM IST

नई दिल्ली. कांग्रेस के 21 बागी पूर्व विधायक भाजपा में शामिल हो गए हैं। यह बेंगलुरु से दिल्ली पहुंचे। जहां ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात की। फिर सभी भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर पहुंचे। वहीं पर इन्हें भाजपा की सदस्यता दिलाई गई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 21 मार्च की रात ही सभी विधायक भोपाल आ सकते हैं। बता दें कि कांग्रेस के 22 विधायक बागी हो गए थे। यह सभी ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक हैं। इनमें से एक पूर्व विधायक बिसाहूलाल साहू ने पहले ही भाजपा की सदस्यता ले ली थी।

क्या यह सभी 22 नेता अभी तक विधायक हैं?
नहीं। इन्होंने मध्य प्रदेश विधानसभा स्पीकर को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। इनमें से 6 का इस्तीफा तो पहले ही मंजूर हो गया था। बाकी 16 विधायकों का इस्तीफा बाद में मंजूर हुआ। 

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अब इस्तीफा देने वाले नेताओं का क्या होगा?
सिंधिया के समर्थक इन 22 नेताओं का भविष्य उप-चुनाव में तय होगा। जी हां। इस्तीफा के बाद मध्य प्रदेश की 22 विधानसभा सीटें खाली हो गई हैं। इनपर उप-चुनाव होंगे। उम्मीद की जा रही है कि चुनाव आयोग मई-जून में उप-चुनाव करा सकता है।

मध्य प्रदेश के किस क्षेत्र से हैं बागी नेता?
इस्तीफा देने वाले 16 विधायक मध्य प्रदेश के चंबल-ग्वालियर से हैं। इस क्षेत्र पर सिंधिया का खासा प्रभाव माना जाता है। माना जा रहा है कि इस्तीफा देने वाले नेताओं को जिताने के लिए केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और शिवराज सिंह चौहान का प्रभाव काम कर सकता है।

मध्य प्रदेश की राजनीति में अब तक का पूरा अपडेट: एक नजर में
मध्य प्रदेश की राजनीति में उठा-पटक की शुरुआत 10 मार्च के होली वाले दिन हुई। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक ट्वीट कर जानकारी दी कि उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी है। इसके एक दिन बाद 11 मार्च को ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भाजपा की सदस्यता ले ली। 14 मार्च को सिंधिया समर्थक विधायकों के इस्तीफे मंजूर हो गए। 16 मार्च को विधानसभा में गवर्नर ने एक मिनट में अभिभाषण का सिर्फ आखिरी पैरा पढ़ा और इसके 15 मिनट बाद ही अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने कोरोनावायरस का हवाला देते हुए 26 मार्च तक के लिए सदन स्थगित कर दिया। फ्लोर टेस्ट टल गया। फिर सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया। लेकिन फ्लोर टेस्ट वाले दिन दोपहर को ही कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। 

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