हैदराबाद में महिला डॉक्टर के साथ गैंगरेप के बाद हत्या के आरोपियों के एनकाउंटर को लोग तुरंत इंसाफ के तौर पर देख रहे हैं। देश में हजारों ऐसे मामले हैं, जहां पीड़िता दशकों से न्याय का इंतजार कर रहीं हैं। ऐसा ही एक मामला है राजस्थान के भटेरी का।
जयपुर. हैदराबाद में महिला डॉक्टर के साथ गैंगरेप के बाद हत्या के आरोपियों के एनकाउंटर को लोग तुरंत इंसाफ के तौर पर देख रहे हैं। देश में हजारों ऐसे मामले हैं, जहां पीड़िता दशकों से न्याय का इंतजार कर रहीं हैं। ऐसा ही एक मामला है राजस्थान के भटेरी का। यहां भंवरी देवी के साथ 27 साल पहले दुष्कर्म हुआ था। उनके मामले में 23 साल पहले आखिरी बार सुनवाई हुई थी। भंवरी देवी तभी से इंसाफ के लिए इंतजार कर रही हैं।
भंवरी देवी के साथ 1992 में 22 सितंबर को गैंगरेप हुआ था। वे उस वक्त अपने पति के साथ खेत पर काम कर रही थीं। उसी वक्त पांच लोग वहां पहुंचे, उन्होंने पति को बंधक बनाया और भंवरी देवी के साथ गैंगरेप किया। 1995 में सभी आरोपियों को निचली अदालत ने बरी कर दिया। यह मामला अब हाईकोर्ट में लंबित है।
पांच में से 4 आरोपियों की हुई मौत
भंवरी देवी ने घटना से कुछ दिन पहले गांव में 9 साल की बच्ची की शादी को रोकने की कोशिश की थी। आरोपी इसी बात से नाराज थे और उन्होंने भंवरी के साथ गैंगरेप किया। लेकिन आज भी भंवरी इंसाफ का इंतजार कर रही हैं। रेप के पांच आरोपियों में चार की तो मौत भी हो चुकी है। इस मामले में आखिरी सुनवाई हाईकोर्ट में 1996 में हुई थी।
विशाखा गाइडलाइंस बनी
भंवरी देवी का मामला काफी चर्चित रहा। इसी के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने 1997 में सुप्रीम कोर्ट ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ विशाखा गाइडलाइंस बनाईं।
केस ने सरकार से लेकर न्याय व्यवस्था पर खड़े किए सवाल
भंवरी देवी मामले ने सरकार, समाज, पुलिस, प्रशासन और न्याय व्यवस्था सबको कठघरे में खड़ा कर दिया।
दरअसल, जब निचली अदालत ने आरोपियों को बरी किया था तो राज्य सरकार ने अपना पडला झाड़ लिया। सरकार ने तर्क दिया कि भंवरी देवी पर हमला उनके खेत में हुआ, इसलिए सरकार नियोक्ता के तौर पर जिम्मेदार नहीं है। उधर, पुलिस की कार्रवाई भी इस मामले में काफी धीमी थी। जहां 24 घंटे में मेडिकल होना चाहिए था, वहां 52 घंटे बाद मेडिकल टेस्ट हुआ। यहां तक की पुलिस ने भंवरी का लहंगा भी जमा करा लिया।
निचली अदालत ने सभी आरोपियों को किया बरी
निचली अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया। साथ ही इस मामले में जो तर्क दिए उससे सबके मन में जरूर सवाल खड़े कर दिए।
कोर्ट के मुताबिक-
-गांव का प्रधान बलात्कार नहीं कर सकता।
- अलग-अलग जाति के पुरुष गैंग रेप में शामिल नहीं हो सकते.
- 60-70 साल का बुजुर्ग रेप नहीं कर सकते।
- एक पुरुष अपने किसी रिश्तेदार के सामने रेप नहीं कर सकता।
- अगड़ी जाति का कोई पुरुष किसी पिछड़ी जाति की महिला का रेप नहीं कर सकता क्योंकि वह अशुद्ध होती है।
- भंवरी के पति चुपचाप पत्नी का रेप होते हुए नहीं देख सकते थे।