भारत की मशहूर एडटेक कंपनी बायजू (Byjus) की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। बायजू के खिलाफ 4 निवेशकों ने राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) में उत्पीड़न और कुप्रबंधन का मुकदमा दायर करते हुए कानूनी कार्रवाई की है।
भारत की मशहूर एडटेक कंपनी बायजू (Byjus) के चार निवेशकों ने राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) में उत्पीड़न और कुप्रबंधन का मुकदमा दायर करते हुए कंपनी के खिलाफ कानूनी एक्शन लिया है। इन 4 निवेशकों द्वारा की गई कार्रवाई का मकसद फाउंडर बायजू रवीन्द्रन को फर्म का नेतृत्व जारी रखने के लिए अयोग्य घोषित करना है।
मिसमैनेजमेंट और फेल्योर्स की वजह से बायजू रवींद्रन को हटाने की मांग
NCLT में याचिका दायर करने से पहले गुरुवार को निवेशकों ने मांग की कि मिसमैनेजमेंट और फेल्योर्स की वजह से रवींद्रन और उनकी फैमिली को बोर्ड से हटा दिया जाए। बता दें कि जिन शेयरहोल्डर्स ने EGM बुलाई है, उनके पास बायजूस में टोटल 30% से ज्यादा हिस्सेदारी है। वहीं, रवींद्रन और उनकी फैमिली की कंपनी में करीब 26% हिस्सेदारी है।
एक नया CEO चाहते हैं इन्वेस्टर्स
रिपोर्ट्स के मुताबिक, निवेशक अब एक नया CEO और बोर्ड चुनना चाहते हैं। उनका मानना है कि वर्तमान एडमिनिस्ट्रेशन बिजनेस को सही तरीके से चलाने में असमर्थ है। इसके साथ ही इन्वेस्टर्स द्वारा NCLT में दायर याचिका में फॉरेंसिक ऑडिट कराने की मांग भी की गई है, ताकि इन्वेस्टर्स को सही जानकारी मिल सके।
कौन हैं वो 4 निवेशक जिन्होंने लिया Byju पर लीगल एक्शन
बायजूस के खिलाफ लीगल एक्शन लेने वाले उन 4 इन्वेस्टर्स के नाम प्रोसस, जीए, सोफिना और पीक XV हैं। इन्होंने ही NCLT में याचिका दायर की है। इसके अलावा जिन अन्य शेयरधारकों ने इसका समर्थन किया है, उनमें टाइगर और आउल वेंचर्स शामिल हैं।
बायजूस के खिलाफ दायर मुकदमें में कई सवाल?
बता दें कि बायजूस के खिलाफ दायर मुकदमे में कई बातों पर चिंता जताई गई है। इनमें कंपनी के संस्थापकों द्वारा वो फाइनेंशियल मिसमैनेजमेंट भी है, जिसकी वजह से आकाश पर कंट्रोल खोना पड़ा। इसके अलावा कॉर्पोरेट गवर्नेंस के साथ चल रही दिक्कतों की वजह से इंडिपेंडेंट डायरेक्टर और CFO की नियुक्ति में परेशानी आई।
ED ने बायजू के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर को किया अपडेट
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 43 साल के बायजू रवींद्रन के खिलाफ अपने लुक आउट सर्कुलर (LOC) को अपग्रेड कर दिया है। ये घटनाक्रम तब सामने आया है, जब कर्नाटक हाईकोर्ट ने इमरजेंसी शेयरहोल्डर्स मीटिंग पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। इस बैठक में रवींद्रन और उनकी फैमिली को उनके ही नाम वाली कंपनी से बाहर करने की मांग की गई।
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