तिब्बती बौद्ध शिष्य और हिमालयी क्षेत्र के बौद्ध अनुयायी 7 साल बाद अपने मठ में पुनर्जन्म लेने वाले लामा को वापस देखकर खुश हैं। कोरोना काल की वजह से पिछले 2 सालों से बौद्ध लोग धर्म गुरु के चौथे पुनर्जन्म को नहीं मना पाए थे। बता दें कि 2015 में तीसरे धर्म गुरु का देहांत हो गया था। पढ़िए दिलचस्प कहानी...
शिमला(हिमाचल प्रदेश). बौद्ध धर्म के मानने वालों को अपना नया धर्म गुरु मिल गया है। हिमाचल प्रदेश के लाहौल और स्पीति जिले के रहने वाले साढ़े चार साल के बच्चे नवांग ताशी राप्टेन(Nawang Tashi Rapten) को औपचारिक रूप से भिक्षु बनने के बाद सोमवार को बौद्ध गुरु रिनपोछे(Reincarnation of Rinpoche) के अवतार के रूप में उपाधि मिली है। राप्टेन को सोमवार को धार्मिक जीवन में शामिल कर लिया गया। राप्टेन का जन्म 16 अप्रैल, 2018 को हुआ था। वे हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिले में स्पीति घाटी के ताबो क्षेत्र के रंगरिक गांव के निवासी हैं। बता दें कि तिब्बत के बौध साधु या धर्म गुरु को लामा कहा जाता है। उनकी कई कैटेगरी होती हैं। नीचे से लेकर ऊपर तक जैसे दलाई लामा, पंचेन लामा, कर्मापा लामा आदि। पढ़िए क्या है यह धार्मिक संस्कार और प्रथा...
इस साल की शुरुआत में राप्टेन को तिब्बती बौद्ध धर्म के निंगमा स्कूल के प्रमुख तकलुंग सेतुल रिनपोचे के पुनर्जन्म के रूप में पहचाना गया था। भूटान के ल्होद्रक खार्चु मठ के सबसे बड़े बौद्ध भिक्षु नामखाई निंगपो रिनपोचे ने राप्टेन के न्यिंग्मा संप्रदाय के नए प्रमुख के रूप में नियुक्त किया था। शिमला के दोरजीदक मॉनेस्ट्री(मठ) में लड़के को साधु बना दिया। इस मौके पर एक तिब्बती बौद्ध भिक्षु(Tibetan Buddhist Monk) ने कहा-"वास्तविक तौर पर यह हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। पिछले सात वर्षों से यह हमारे लिए एक लंबा इंतजार था। हम उनका यहां उनकी गद्दी पर दिल से स्वागत करते हैं।"
नामखाई निंगपो रिनपोछे ने भिक्षु के बाल कटवाने और पोशाक पहनने के लिए यहां अनुष्ठान किया, जो आम तौर पर एक सामान्य व्यक्ति को संन्यासी बनाने के लिए किया जाता है। बौद्ध भिक्षु ने कहा कि वे उसकी(राप्टेन) की एजुकेशन के लिए तत्पर हैं। बौद्ध भिक्षुओं और उनके अनुयायियों के रूप में वह हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं और सामान्य तौर पर यह हमारे लिए एक बहुत ही कीमती और शुभ अवसर है। तिब्बती बौद्ध भिक्षु ने कहा, सबसे पहले वे सबसे बड़े भिक्षुओं से मिलेंगे और बुनियादी बातें सीखेंगे। फिर उनकी पढ़ाई-लिखाई जारी रहेगी।
दोरजीदक में तिब्बती बौद्ध भिक्षुओं और हिमाचल प्रदेश के हिमालयी क्षेत्र के अन्य बौद्ध शिष्यों ने शिमला में बालक भिक्षु के स्वागत के लिए एक भव्य स्वागत समारोह का आयोजन किया। इसके बाद लाहौल-स्पीति के ताबो में सेरकोंग पब्लिक स्कूल की नर्सरी कक्षा के नन्हे बालक, नवांग ताशी राप्टेन औपचारिक रूप से एक भिक्षु के रूप में संघ में शामिल हो गए हैं। अब वे शिमला के पंथाघाटी में दोरजीदक मठ में अपनी धार्मिक शिक्षा शुरू करेंगे। तिब्बती बौद्ध शिष्य और हिमालयी क्षेत्र के बौद्ध अनुयायी सात साल बाद मठ में पुनर्जन्म लेने वाले लामा को वापस देखकर खुश हैं। क्षेत्रवासी खुश हैं, खुद को सौभाग्यशाली महसूस कर रहे हैं कि उनके क्षेत्र से साधु का पुनर्जन्म हुआ है।
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बता दें कि कोरोना के चलते पिछले 2 सालों से बौद्ध धर्म के लोग अपने धर्म गुरु के चौथे पुनर्जन्म को नहीं मना पाए थे। 2015 में तीसरे धर्म गुरु का देहांत हो गया था। 2018 में धर्म गुरु "तक्लुंग चेतुल रिंपोछे" के रूप में चौथे धर्म गुरु जन्मे।
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