IFFI फिल्म फेस्टिवल में 'द कश्मीर फाइल्स' को जूरी हेड ने वल्गर-प्रोपेगेंडा कहा, इजरायल बोला-दोस्ती का ये बदला?

पणजी में आयोजित इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (IFFI-2022) में डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री की फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' (The Kashmir Files) को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। IFFI के जूरी हेड और इजराइली फिल्म मेकर नदाव लैपिड ने इसे अश्लील और प्रोपेगेंडा फिल्म बताया है।

Amitabh Budholiya | Published : Nov 29, 2022 1:47 AM IST / Updated: Nov 29 2022, 09:39 AM IST

गोवा. पणजी में आयोजित इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (IFFI-2022) में डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री (Vivek Agnihotri) की फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' (The Kashmir Files) को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। IFFI के जूरी हेड और इजराइली फिल्म मेकर नदाव लैपिड((Nadav Lapid) ने इसे अश्लील और प्रोपेगेंडा फिल्म बताया है। यह बात उन्होंने 53वें फिल्म फेस्टिवल समारोह के समापन पर कही। नदाव ने कहा कि हम सभी डिस्टर्ब हैं कि ऐसी फिल्म को इस समारोह में दिखाया गया है। यह फिल्म बेहद ही वल्गर है। हालांकि ज्यूरी बोर्ड ने खुद को टिप्पणी से किनारा करते हुए इसे व्यक्तिगत राय बताया है।

फिल्म मेकर अशोक पंडित ने किया विरोध
जब IFFI के समापन समारोह में इजरायली फिल्ममेकर नदाव लैपिड ने यह बात कही, तब केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर सहित कई बड़े नेता मंच पर बैठे हुए थे। हालांकि फिल्ममेकर अशोक पंडित ने नदाव की टिप्पणी पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि कश्मीर फाइल्स को अश्लील नहीं कहा जा सकता है। वहीं, अनुपम खेर ने tweet करके लिखा- झूठ का कद कितना भी ऊंचा क्यों न हो, सत्य के मुकाबले में हमेशा छोटा ही होता है। मुंबई में अनुपम खेर ने मीडिया से कहा-अगर प्रलय सही है, तो कश्मीरी पंडितों का पलायन भी सही है। ये पूर्व नियोजित लगता है, क्योंकि इसके बाद टूलकिट गैंग सक्रिय हो गए। उनके लिए इस तरह का बयान देना शर्मनाक है। उधर, कांग्रेस सोशल मीडिया चेयरपर्सन सुप्रिया श्रीनेत (Supriya Shrinate) ने इस टिप्पणी का सपोर्ट  करते हुए कहा कि, 'आखिरकार, नफरत खत्म हो जाती है।'

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इजरायल एम्बेंसी ने इस टिप्पणी की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति में कहा जाता है कि अतिथि भगवान के समान होता है। आपने जजों के पैनल की अध्यक्षता करने के भारतीय निमंत्रण का सबसे खराब तरीके से दुरुपयोग किया है। भारत में इस्राइल के राजदूत नाओर गिलोन ने माफी मांगते हुए ट्वीट किया, ‘भारत और इस्राइल, दोनों देशों और यहां के लोगों के बीच दोस्ती बहुत मजबूत है। आपने जो नुकसान पहुंचाया है, वह ठीक हो जाएगा। एक इंसान के रूप में मुझे शर्म आती है और हम अपने मेजबानों से उस बुरे तरीके के लिए माफी मांगना चाहते हैं कि हमने उनकी उदारता और दोस्ती के बदले यह दिया है।’

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दरअसल, लैपिड ने कहा था कि वह फिल्म समारोह में द कश्मीर फाइल्स की स्क्रीनिंग को देखकर परेशान और स्तब्ध(disturbed and shocke) थे। उन्होंने कहा-"हम सभी 'द कश्मीर फाइल्स' फिल्म से परेशान और हैरान थे। यह हमें एक प्रोपेगेंड और वल्गर फिल्म की तरह लगा, जो इतने प्रतिष्ठित फिल्म समारोह के एक आर्टिस्टिक और काम्पटीटिव सेक्शन के लिए अनुपयुक्त थी।"

लैपिड ने कहा, "मैं खुले तौर पर इस भावना को आपके साथ शेयर करने में सहज महसूस करता हूं, क्योंकि फेस्टिवल की आत्मा वास्तव में आलोचनात्मक चर्चा को स्वीकार कर सकती है, जो आर्ट एंड लाइफ के लिए आवश्यक है।"

बता दें कि 11 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज हुई 'द कश्मीर फाइल्स' आईएफएफआई में इंडियन पैनोरमा सेक्शन का हिस्सा थी और 22 नवंबर को प्रदर्शित की गई थी। विवेक अग्निहोत्री द्वारा लिखित और निर्देशित और  Zee स्टूडियो द्वारा निर्मित फिल्म में पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों द्वारा समुदाय विशेष के लोगों की हत्याओं के बाद कश्मीर से कश्मीरी हिंदुओं के पलायन को दर्शाया गया है। इसमें अनुपम खेर, दर्शन कुमार, मिथुन चक्रवर्ती और पल्लवी जोशी ने अभिनय किया है। अनुपमर खेर 22 नवंबर को 53वें IFFI में फिल्म की विशेष स्क्रीनिंग में शामिल हुए थे। 9 दिवसीय फिल्म महोत्सव 20 नवंबर से शुरू हुआ था।

कौन हैं ये कश्मीरी पंडित
कश्मीरी पंडितों को कश्मीर ब्राह्मण भी कहते हैं। ये जम्मू और कश्मीर के पहाड़ी क्षेत्र यानी कश्मीर घाटी के पंच गौड़ ब्राह्मण समूह से ताल्लुक रखते हैं। 1990 से जब कश्मीर में आतंकवाद चरम पर नहीं था, तब मुस्लिम प्रभाव के बावजूद कश्मीरी पंडित मूल रूप से कश्मीर घाटी में ही रहते थे। लेकिन मुस्लिम प्रभाव बढ़ने के साथ बड़ी संख्या में लोगों का जबरिया मुस्लिम बना दिया गया।

1981 तक कश्मीर में पंडितों की आबादी सिर्फ 5 प्रतिशत बची थी। 1990 के दशक में आतंकवाद के उभार के दौरान कट्टरपंथी इस्लामवादियों और आतंकवादियों द्वारा उत्पीड़न और धमकियों के बाद उनका पलायन और बढ़ गया। 19 जनवरी 1990 की घटना सबसे शर्मनाक थी। उस दिन मस्जिदों से घोषणाएं की गईं कि कश्मीरी पंडित काफिर हैं। पुरुषों को या तो कश्मीर छोड़ना होगा या इस्लाम में परिवर्तित होना होगा या उन्हें मार दिया जाएगा। जिन लोगों ने पहला विकल्प चुना, उनसे अपने परिवार की महिलाओं को वहीं छोड़कर जाने को कहा गया। कश्मीरी पंडितों पर लिखी गईं तमाम किताबों के अनुसार 1990 के दशक के दौरान 140,000 की कुल कश्मीरी पंडित आबादी में से करीब 100,000 ने घाटी छोड़ दी। कुछ लोग यह संख्या 2 लाख तक बताते हैं।  इसी घटना को लेकर विवेक अग्निहोत्री ने द कश्मीर फाइल्स फिल्म बनाई। यह शुरू से ही चर्चाओं में रही है।

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