नोटबंदी के 4 साल: भाजपा ने कहा-आतंकवाद की कमर टूटी; कांग्रेस बोली- देश की अर्थव्यवस्था बर्बाद कर दी

आज देश में नोटबंदी को पूरे चार साल हो गए हैं। साल 2016 में मोदी सरकार द्वारा देश में की गई नोटबंदी को लेकर विपक्ष लगातार सरकार को गलत ठहराता आया है। जबकि मोदी सरकार का मानना है कि नोटबंदी का देश में सकारात्मक असर रहा। हालांकि इसपर रविवार को मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस समेत कईं पार्टियों के नेताओं ने ट्वीट कर मोदी सरकार पर निशाना साधा है।

Asianet News Hindi | Published : Nov 8, 2020 9:24 AM IST / Updated: Nov 08 2020, 03:35 PM IST

एशियानेट डेस्क. आज देश में नोटबंदी को पूरे चार साल हो गए हैं। साल 2016 में मोदी सरकार द्वारा देश में की गई नोटबंदी को लेकर विपक्ष लगातार सरकार को गलत ठहराता आया है। जबकि मोदी सरकार का मानना है कि नोटबंदी का देश में सकारात्मक असर रहा। हालांकि इसपर रविवार को मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस समेत कईं पार्टियों के नेताओं ने ट्वीट कर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। 

राहुल ने कहा - नोटबंदी पीएम मोदी की चाल थी
दरअसल, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि 'नोटबंदी PM की सोची समझी चाल थी ताकि आम जनता के पैसे से 'मोदी-मित्र' पूँजीपतियों का लाखों करोड़ रुपय क़र्ज़ माफ़ किया जा सके। उन्होंने लिखा कि 'ग़लतफ़हमी में मत रहिए- ग़लती हुई नहीं, जानबूझकर की गयी थी। इस राष्ट्रीय त्रासदी के चार साल पर आप भी अपनी आवाज़ बुलंद कीजिए।'

 

भाजपा नेता राजीव चंद्रशेखर ने दिया राहुल को जवाब

राहुल गांधी के नोटबंदी को लेकर किए गए हमले पर अब भाजपा ने निशाना साधा है। भाजपा नेता राजीव चंद्रशेखर ने रविवार को नोटबंदी के 4 साल पूरे होने पर देश को बधाई देते हुए कहा कि विपक्ष नोटबंदी को लेकर आज भी देश में भ्रम फैला रहा है। राजीव ने कहा कि साल 2014 के बाद से मोदी सरकार में हुए विकास की किसी तरह से विपक्ष आलोचना नहीं कर पा रहा है इसलिए वो समय समय पर नए नए बहाने ढूंढता रहता है। 

तीन लक्ष्यों के साथ की गई थी नोटबंदी

राजीव ने कहा कि मोदी सरकार ने जब देश में नोटबंदी लागू की तब सरकार के तीन लक्ष्य थे जो आज समय के साथ पूरे हो रहे है। उन्होंने बताया कि पहला लक्ष्य देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करना, दूसरा देश में आतंकवाद फैलाने के लिए हवाला के जरिए आ रही फंडिग पर रोक लगाना। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि नोटबंदी का तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य था कि अत्योदय यानि देश के हर नागरिक की आमदनी को बढ़ाना और उसे हर योजना से लाभान्वित करना।

डिजिटल ट्रांसेक्शन को मिला बढ़ावा - भाजपा

भारतीय जनता पार्ची (भाजपा) ने नोटबंदी के चार साल पूरे होने पर अपने ट्वीटर हैंडल पर कहा कि साल 2016 में पीएम मोदी के नेतृत्व में की गई नोटबंदी के बाद से डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा मिला है। अक्टूबर 2020 के दौरान देश में 207.16 करोड़ डिजिटल ट्रांजेक्शन हुए। NPCI के अनुसार अब तक 3.86 लाख करोड़ रुपये के UPI ट्रांजेक्शन हो चुके हैं।

 

दरअसल, नोटंबदी की चर्चा आज भी होती है, क्योंकि इससे हर एक भारतीय का सामना हुआ था। 8 नवंबर 2016 को रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अचानक 500 और 1000 के नोटों को बंद करने की घोषणा की थी। इस घोषणा के बाद देश में 200, 500 और 2000 रुपये के नए नोट जारी किए गए थे।

छोटे उद्योगों पर हुआ असर

देश में लोग नोटबंदी से हुई परेशानी को अब तक भूले नहीं हैं। नोटबंदी का सबसे ज्‍यादा प्रभाव उन उद्योगों पर पड़ा, जो ज्‍यादातर कैश में लेनदेन करते थे। इसमें अधिकतर छोटे उद्योग शामिल होते हैं। नोटबंदी के दौरान इन उद्योगों के लिए कैश की किल्‍लत हो गई। इसकी वजह से उनका कारोबार ठप पड़ गया और कईं लोगों की नौकरियां गईं। 

इसलिए लाई गई नोटबंदी

नोटबंदी लाने की मोदी सरकार ने कई वजहें बताईं। इसमें कालेधन का खात्मा करना, सर्कुलेशन में मौजूद नकली नोटों को खत्म करना, आतंकवाद और नक्सल गतिविधियों पर लगाम कसने समेत कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ावा देने जैसे कई वजहें गिनाई गई थीं। सरकार का तर्क है कि नोटबंदी के बाद टैक्स कलेक्शन बढ़ा और कालेधन में इस्तेमाल होने वाला पैसा सिस्टम में आ चुका है। लेकिन इससे जुड़े आंकड़े चार साल के बाद भी सामने नहीं आए हैं। आरबीआई के आंकड़े कहते हैं कि नोटबंदी के दौरान बंद हुए 99.30 फीसदी 500 और 1000 के पुराने नोट बैंक में वापस आ गए।

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