इमरजेंसी के 45 साल: पीएम मोदी बोले-लोकतंत्र की रक्षा के लिए लड़ने वालों को नमन, अमित शाह ने भी कही ये बात

इंदिरा गांधी की सरकार में 1975 में लगी इमरजेंसी को आज 45 साल पूरे हो चुके हैं। आपातकाल के दौरान देशभर में लोकतंत्र की हत्या कर दी गई थी, लोगों से उनकी आजादी तक छीन ली गई थी। इस मौके पर गृहमंत्री अमित शाह ने गांधी परिवार पर निशाना साधा है।

Asianet News Hindi | Published : Jun 25, 2020 6:14 AM IST / Updated: Jun 25 2020, 01:43 PM IST

नई दिल्ली. इंदिरा गांधी की सरकार में 1975 में लगी इमरजेंसी को आज 45 साल पूरे हो चुके हैं। आपातकाल के दौरान देशभर में लोकतंत्र की हत्या कर दी गई थी, लोगों से उनकी आजादी तक छीन ली गई थी। इस मौके पर गृहमंत्री अमित शाह ने गांधी परिवार पर निशाना साधा है। शाह ने कहा कि एक परिवार ने सत्ता के लालच में देश को इमेरजेंसी में डाल दिया था। रातों रात देश को जेल बना दिया था। प्रेस, अदालत और बोलने की आजादी तक को दबा दिया था। उस वक्त गरीबों पर अत्याचार हुए थे। वहीं, पीएम मोदी ने ट्वीट किया और उन्होंने अपनी पोस्ट में कहा, 'आज से ठीक 45 वर्ष पहले देश पर आपातकाल थोपा गया था। उस समय भारत के लोकतंत्र की रक्षा के लिए जिन लोगों ने संघर्ष किया, यातनाएं झेलीं, उन सबको मेरा शत-शत नमन! उनका त्याग और बलिदान देश कभी नहीं भूल पाएगा।'

 

'परिवार के हित को पार्टी और देश के हित से ऊपर रखे गए'

अमित शाह ने अपने बयान में आगे परिवारवाद पर निशाना साधते हुए कहा कि लाखों लोगों की कोशिशों के बाद इमरजेंसी हटी और लोकतंत्र की बहाली हुई थी, लेकिन कांग्रेस का रवैया नहीं बदला। एक परिवार के हित, पार्टी और देश हित से भी ऊपर रखे गए। कांग्रेस में आज भी यही हो रहा है।

घुटन महसूस कर रहे कांग्रेस के नेता: शाह

गृहमंत्री अमित शाह ने एक मीडिया रिपोर्ट को शेयर करते हुए कहा कि पिछले दिनों हुई कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में पार्टी के सीनियर नेताओं ने कुछ मुद्दे उठाए, लेकिन उनकी बात दबा दी गई। पार्टी के एक प्रवक्ता को बाहर निकाल दिया गया। सच्चाई यह है कि कांग्रेस के नेता घुटन महसूस कर रहे हैं।

खुद से ही सवाल पूछे कांग्रेस: गृहमंत्री 

अमित शाह ने कहा कि विपक्ष के नाते कांग्रेस को खुद से ही पूछने की जरूरत है कि-
1. इमरजेंसी की मानसिकता क्यों रहती है?
2. एक राजवंश के लोगों को छोड़ बाकी नेताओं को क्यों नहीं बोलने दिया जाता?
3. कांग्रेस में नेता हताश क्यों हो रहे हैं?

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