इमरजेंसी के 46 साल: मोदी ने इसे काला दिन बताते हुए कहा-कांग्रेस ने लोकतांत्रिक मूल्यों को रौंदा था

Published : Jun 25, 2021, 11:41 AM ISTUpdated : Jun 25, 2021, 11:44 AM IST
इमरजेंसी के 46 साल: मोदी ने इसे काला दिन बताते हुए कहा-कांग्रेस ने लोकतांत्रिक मूल्यों को रौंदा था

सार

देश में आपातकाल के 25 जून को 46 साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके इसे लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या करार दिया है। उन्होंने कहा कि इस काले दिन को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।  

नई दिल्ली. देश में 25 जून, 1975 को इमरजेंसी(आपातकाल) लगाया गया था। इसे भारत के इतिहास का सबसे कलंकित राजनीति घटनाक्रम माना जाता रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस संबंध में एक ट्वीट किया है। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाकर लोकतांत्रिक मूल्यों को रौंदा था। इस काले दिन को कभी नहीं भुलाया जा सकता है। बता दें कि इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री रहते हुए देश में इमरजेंसी लगाई थी, जो 1977 तक लागू रही थी। इसका देशभर में जबर्दस्त विरोध हुआ था। मोदी ने कहा-कैसे कांग्रेस ने हमारे लोकतांत्रिक लोकाचार को कुचला? हम उन सभी महानुभावों को याद करते हैं, जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया और भारत के लोकतंत्र की रक्षा की।

यह थी इमरजेंसी
25 जून, 1975 को देशभर में इंदिरा गांधी ने आधी रात को ही आपातकाल की घोषणा कर दी थी। इसे भारतीय राजनीति के इतिहास का काला अध्याय भी माना जाता है। ये आपातकाल 21 मार्च, 1977 तक लगी रही। उस दौरान तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार की सिफारिश पर भारतीय संविधान की धारा 352 के अधीन देश में आपातकाल की घोषणा की थी। स्वतंत्र भारत के इतिहास में इस दौर को सबसे विवादास्पद काल माना जाता था। इस दौरान चुनाव तक स्थगित हो गए थे। 25 जून की आधी रात को ही आपातकाल की घोषणा की अगली सुबह यानी 26 जून को समूचे देश ने रेडियो पर इंदिरा गांधी की आवाज में आपातकाल की घोषणा के बारे में सुना। आपातकाल के पीछे कई वजहें बताई जाती है, जिसमें सबसे अहम है 12 जून 1975 को इलाहबाद हाईकोर्ट की ओर से इंदिरा गांधी के खिलाफ दिया गया फैसला था। 
 

 

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