Pathankot Attack के बाद अटैकिंग हुआ भारत, पाक में घुसकर आतंकियों का सफाया, दुनिया रह गई दंग

आज ही के दिन छह साल पहले पठानकोट एयरफोर्स स्टेशन (pathankot air force station) पर हमला हुआ था।  इस हमले में भारत के सात जवान शहीद हो गये थे।  वहीं 20 से अधिक लोग घायल भी हुए थे।  हालांकि, इस दौरान सेना ने 6 आतंकियों को मार गिराया था।  

Asianet News Hindi | Published : Jan 1, 2022 10:13 AM IST

 नई दिल्ली : पठानकोट हमले ( pathankot attack) की आज छठी बरसी है। छह साल पहले आज ही के दिन 2 जनवरी 2016 को सामरिक रूप से महत्वपूर्ण पठानकोट एयरफोर्स स्टेशन (Indian Air Force Station) पर पाक के प्रतिबंधित आतंकी संगठन जैश-ए- मोहम्मद के आतंकियों ने हमला किया था। इस हमले में भारत ने अपने 7 वीर सपूतों को खोया था। वहीं 20 से अधिक सैनिक घायल भी हुए थे। सुरक्षाबलों आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब दिया था। सेना के जवानों ने भारत पर नापाक नज़र डालने वाले छह आतंकियों को ढेर कर दिया था। आतंकियों के खात्मे के लिए भारतीय सेना को 2 दिन से अधिक समय तक ऑपरेशन चलाना पड़ा था। आज जब पठानकोट आतंकी हमले की छठी बरसी है, तो इस मौके पर आतंकी वारदात और सेना की जवाबी कार्रवाई के बारे में जानना रोंगटे खड़े कर देने वाला अनुभव है। पढ़ें विस्तार से

ऐसे हुआ था हमला
2 जनवरी 2016 को तड़के तीन बजे भारतीय सेना की वर्दी पहने हुए छह आंतकी अत्याधुनिक हथियारों से लैस होकर पठानकोट एयरबेस में घुसते हैं। इसी दौरान सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच गोलबारी शुरू हो जाती है। सेना के शूरवीर चार आंतकियों को धराशाई कर देते हैं। इस दौरान चार सैनिक भी शहीद हो गये. मुठभेड़ के दौरान ही आतंकियों ने वाहन में आग लगाई और धुएं की आड़ में भागने की कोशिश की। आतंकियों के सफाये के लिए सेना ने ऑपरेशन चलाया, यह ऑपरेशन लगभग 56 घंटे तक चला और सभी आतंकियों को मार गिराया गया। अगले दिन यानी तीन जनवरी को हमलावर के शव से बम हटाते वक्त आईईडी धमाके में चार और भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। 

दो जनवरी की रात को क्या हुआ था
हमला करने से पहले आतंकियों का समूह मैदान में मौजूद बड़ी-बड़ी घासों की आड़ में छिपे थे। सबसे पहले इन आतंकियों को सूबेदार जगदीश चंद ने देखा और उनसे निहत्थे ही भिड़ गये। अदम्य साहस का परिचय देते हुए एक आतंकी की बंदूक छीन ली और उसे गोलियों से छलनी कर दिया। लेकिन सूबेदार जगदीश भी मुठभेड़ में वीरगति को प्राप्त हुए। गोलियों की आवाज सुनकर एयरफोर्स के गरूड़ कमांडो गुरसेवक सिंह आए, आतंकियों ने गुरसेवक सिंह को देखते ही अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दी। मुठभेड़ में बुरी तरह से घायल होने के बाद भी गुरुसेवक सिंह आतंकियों पर गोलियां बरसाते रहे, कई मिनट तक दोनों तरफ से गोलियां चलती रहीं, लेकिन गुरसेवक भी शहीद हो गये। 

भारत में नदी के सहारे घुसे आतंकी
31 दिसंबर, 2015 की रात छह आतंकी व्यास नदी के रास्ते से भारत की सीमा में घुसे थे। आतंकियों ने भारतीय सेना की वर्दी पहन रखी थी। इन सभी के पास करीब 50 किलोग्राम (110 पौंड) गोला-बारुद, 52 MM के मोर्टार, ग्रेनेड लॉन्चर्स, 30 किलोग्राम वजनी हथगोले सहित लंबी दूरी की मार करने वाली एके सीरीज की राइफलें थीं। 

शूटर फ़तेह सिंह समेत सात सैनिक हुए थे शहीद 
पठानकोट आतंकी हमले में भारत माता के सात सपूतों ने अपनी जान न्‍योछावर कर दी। शहीद होने वाले सैनिकों में गरुड़ कमांडो गुरसेवक सिंह, हवलादर कुलवंत सिंह, जगदीश सिंह, संजीव कुमार, हवलदार मोहित चंद, फतेह सिंह और एनएसजी कमांडो लेफ्टिनेंट कर्नल निरंजन कुमार शामिल 

 

सुरक्षा बलों की त्वरित कार्रवाई पर सवाल !
पठानकोट एयरफोर्स स्टेशन के बाद भारतीय सुरक्षा बलों की त्वरित कार्रवाई करने की क्षमता पर सवाल उठने लगे थे, क्योंकि इस हमले को लेकर कई महत्त्वपूर्ण  इंटेलिजेंस इनपुट पहले से थीं, लेकिन इसे रोकने में सेना विफल रही। हालांकि, इस हमले के बाद भारतीय सेना और देश की सरकार ने सतर्कता बढ़ाई।

  

घर में घुसकर दुश्मनों को किया नेस्तनाबूद
भले ही पठानकोट अटैक में भारतीय शूरवीरों ने दुश्मनों को मार गिराया था, लेकिन दुश्मन अपनी हरकतों से बाज नहीं आया। करीब नौ महीने बाद 18 सितंबर 2016 उरी में सेना के कैंप पर आतंकी हमला हुआ था। इस हमले में 19 सैनिक शहीद हो गए। इसके बाद मोदी सरकार ने 28-29 सितंबर की दरमियानी रात पाकिस्तान में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक कर दिया। भारत की इस कार्रवाई की दुनियाभर में चर्चा हुई।

बहरहाल पाक की आतंकी करतूत की आए दिन दुनियाभर में कड़ी निंदा तो होती है, लेकिन एक ओर पठानकोट जैसे जख्म कभी न भरने वाले हैं, तो दूसरी ओर ऐसे हमलों से सुरक्षा व्यवस्था सुदृढ़ करने पर विचार का मौका भी मिलता है।

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