मोदी सरकार के आज 7 साल पूरे हो रहे हैं। हालांकि, इस बार कोरोना के चलते भाजपा ने कोई भी विशेष आयोजन ना करने का ऐलान किया है। मोदी सरकार अपने बड़े फैसलों के लिए जानी जाती हैं। मोदी सरकार ने पिछले 7 साल में ऐसे कई अहम और विवादित मुद्दों पर फैसले लिए, जिनपर अन्य सरकारें बात करने से तक डरती थीं।
नई दिल्ली. मोदी सरकार के आज 7 साल पूरे हो रहे हैं। हालांकि, इस बार कोरोना के चलते भाजपा ने कोई भी विशेष आयोजन ना करने का ऐलान किया है। मोदी सरकार अपने बड़े फैसलों के लिए जानी जाती हैं। मोदी सरकार ने पिछले 7 साल में ऐसे कई अहम और विवादित मुद्दों पर फैसले लिए, जिनपर अन्य सरकारें बात करने से तक डरती थीं। हालांकि, इन फैसलों की चर्चा दुनियाभर में रही। साथ ही हर भारतीयों पर इन फैसलों से असर डाला।
नोटबंदी: आठ नवंबर 2016 को मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार और कालेधन को रोकने के लिए नोटबंदी का ऐतिहासिक फैसला किया। इसके तहत 500 और एक हजार के पुराने नोटों को बंदकर 500 और 2000 के नए नोट जारी किए गए।
पीएम मोदी के इस फैसले के बाद 85% नकदी बेकार हो गई। बैकों में पुराने नोट बदले गए। नोटबंदी के वक्त देश में कुल 15.41 लाख करोड़ मूल्य के 500 और हजार के नोट चल रहे थे। रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, नोटबंदी के दौरान बैंकों में 99.3% यानी 5.31 लाख करोड़ रुपए जमा हुए। इस फैसले का फायदा ये हुआ कि देश में डिजिटल ट्रांजेक्शन में इजाफा हुआ। 2016-17 में 1013 करोड़ रुपए का डिजिटल ट्रांजेक्शन हुआ था। 2017-18 में ये बढ़कर 2,070.39 करोड़ और 2018-19 में 3133.58 करोड़ रुपए का डिजिटल ट्रांजेक्शन हुआ।
जीएसटी : भारत सरकार ने 1 जुलाई 2016 को जीएसटी लागू की थी। इससे पहले हर राज्य अपने अलग-अलग टैक्स वसूलते थे। लेकिन जीएसटी में सिर्फ एक टैक्स की व्यवस्था की गई। आधा टैक्स केंद्र सरकार को जाता है और आधा राज्यों को। वसूली केंद्र सरकार करती है। बाद में राज्यों को पैसा लौटाती है। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने 2000 में इसे लागू करने का फैसला किया था। इसके लिए कमेटी भी बनी थी। लेकिन कई राज्यों को डर था कि राजस्व नहीं मिलेगा। मामला लटक गया। बाद में मनमोहन सिंह सरकार ने 2011 में संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश किया, लेकिन राज्यों के विरोध के चलते लटक गया। बाद में 014 में नरेंद्र मोदी की सरकार कई बदलावों के साथ संविधान संशोधन विधेयक लेकर आई। कई स्तरों पर विरोध और बदलावों के बाद अगस्त 2016 में यह विधेयक संसद ने पास किया।
अब पूरे देश में हर सामान पर एक-सा टैक्स लगता है। शुरुआत में इंडस्ट्री को कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ा। पर धीरे-धीरे स्थिति सुधर रही है। कई बदलावों के बाद अब यह प्रक्रिया आसान हो गई।
सर्जिकल स्ट्राइक-एयरस्ट्राइक: भारत ने पाकिस्तान को उसके घर में घुसकर सबक सिखाया। इसी के साथ पूरी दुनिया में संदेश गया कि ये नया भारत है, जो घर में घुसकर दुश्मन पर कार्रवाई करना जानता है। पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने उरी में आतंकी हमला किया था। इसके जवाब में भारतीय सेना ने पीओके में घुसकर बदला लिया था। 1971 के बाद यह पहला मौका था, जब भारतीय सेना ने सीमा पार की थी। इसके बाद 2019 में पुलवामा हमले के बाद भारतीय वायुसेना ने बालाकोट में जैश के आतंकियों को निशाना बनाया था।
आर्टिकल 370: आर्टिकल 370 का जिक्र भाजपा जनसंघ के वक्त से कर रही है। यहां तक की जनसंघ के संस्थापक डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इसी मुद्दे को लेकर अपनी जान गंवा दी थी। मुखर्जी को जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा दिए जाने के विरोध में आंदोलन चलाने के लिए गिरफ्तार किया गया था। 23 जून 1953 को श्रीनगर में उनकी जेल में संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गई थी। 70 साल से लटका यह मुद्दा हर बार भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र में शामिल होता था। लेकिन मोदी 2.0 में आर्टिकल 370 निष्प्रभावी किया गया। 5 अगस्त को राज्यसभा से बिल पास हो गया। साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्रशासित राज्य बन गए।
तीन तलाक: दूसरे कार्यकाल का यह पहला सत्र था। मुस्लिम महिलाओं को अधिकार दिलाने और तलाक ए बिद्दत (यानी एक साथ तीन तलाक) से उन्हें आजादी दिलाने वाला ऐतिहासिक बिल 30 जुलाई को राज्यसभा से पास हुआ था। भाजपा को राज्यसभा में बहुमत नहीं था, लेकिन फिर भी इसके समर्थन में 99 वोट मिले थे।
दरअसल, रिजवान अहमद ने सायरा बानो से तीन बार तलाक कहकर अपना रिश्ता खत्म कर दिया था। इसके खिलाफ सायरा सुप्रीम कोर्ट में पहुंची थीं। सुप्रीम में 5 जजों की बेंच ने 22 अगस्त 2017 को तीन तलाक के खिलाफ फैसला सुनाया। साथ ही सरकार से कानून बनाने के लिए कहा था। अब तीन तलाक कहने पर तीन साल की सजा और महिलाओं को गुजारा भत्ते का प्रावधान किया गया है।
नागरिकता संशोधन अधिनियम: तीन तलाक और आर्टिकल 370 के बाद अब बारी थी नागरिकता संशोधन अधिनियम की। भाजपा के घोषणा पत्र में ये मुद्दा भी हमेशा शामिल रहा। इसी के साथ बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिम (हिन्दू, बौद्ध, जैन, सिख, पारसी और इसाई) प्रवासियों को नागरिकता देने का प्रावधान भी मिल गया।
दस सरकारी बैंकों का विलय: मोदी सरकार ने बैंकिंग सुविधा में सुधार के लिए 30 अगस्त 2019 को दस सरकारी बैंकों के विलय से चार बड़े बैंक बनाने का फैसला किया। 2017 में 27 सरकारी बैंक थे, ये अब 12 रह गए हैं। रियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक का पंजाब नेशनल बैंक में विलय किया गया। सिंडिकेट बैंक को केनरा बैंक और इलाहाबाद बैंक को इंडियन बैंक में मिलाया गया। आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से जोड़ने का ऐलान किया गया। सरकार ने यह कदम बैंकों को बढ़ते NPA से राहत मिलने और उपभोक्ताओं को बेहतर बैंकिंग सुविधाएं मुहैया कराने के लिए उठाया।