Aatma Nirbhar Bharat: एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स के लिए पेटेंट फीस में 80 प्रतिशत की छूट
एजुकेशनल संस्थान कई शोध गतिविधियों से जुड़े हुए हैं, जहां प्रोफेसर/शिक्षक और छात्र कई नई टेक्नोलॉजी उत्पन्न करते हैं, जिन्हें उसी के कमर्शियलाइजेशन की सुविधा के लिए पेटेंट कराने की आवश्यकता होती है।
Asianet News Hindi | Published : Sep 23, 2021 9:17 AM IST / Updated: Sep 23 2021, 02:49 PM IST
नई दिल्ली। आत्मनिर्भर भारत (AatmaNirbhar Bharat) के अंतर्गत शैक्षणिक संस्थानों को इनोवेशन एवं क्रिएटिविटी के लिए पेटेंट (Patent) और प्रोसिक्यूसन के लिए 80 प्रतिशत तक फीस में कमी कर दी गई है। इससे उन संस्थानों को राहत और प्रोत्साहन मिलेगा जो लगातार रिसर्च वर्क में लगे रहते हैं लेकिन पेटेंट फीस अधिक होने की वजह से पेटेंट में दिक्कतें आती है।
इनोवेशन में लगे हैं काफी संस्थान
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दरअसल, भारत हाल के वर्षों में अपने बौद्धिक संपदा इको सिस्टम को मजबूत करने में काफी प्रगति कर रहा है। इनोवेशन के लिए एक अनुकूल वातावरण बनाने के लिए, इंडस्ट्री और इंटरनल ट्रेड को बढ़ावा देने के लिए विभाग इंड्रस्टी और एकेडिमिया के बीच अधिक सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में काम कर रहा है। यह एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स में किए गए रिसर्च के कमर्शियलाइजेशन को सुविधाजनक बनाकर प्राप्त किया जा सकता है।
पेटेंट फीस अधिक होने से शोधार्थियों में उत्साह की कमी
एजुकेशनल संस्थान कई शोध गतिविधियों से जुड़े हुए हैं, जहां प्रोफेसर/शिक्षक और छात्र कई नई टेक्नोलॉजी उत्पन्न करते हैं, जिन्हें उसी के कमर्शियलाइजेशन की सुविधा के लिए पेटेंट कराने की आवश्यकता होती है। पेटेंट के लिए बहुत अधिक फीस इन टेक्नालॉजी को पेटेंट कराने की राह में असुविधा पैदा करते हैं। जिसकी वजह से शोध के प्रति संस्थान या शोधार्थी बहुत उत्साहित नहीं रहते।
इन स्थितियों से निपटने के लिए अब नया प्राविधान लागू किया गया है।
पेटेंट आवेदन करने और देने की प्रक्रिया को पूरी तरह से ऑनलाइन कर दिया गया है।
तत्काल कार्रवाई के लिए वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेटेंट में मामलों की सुनवाई।
वेबसाइट की डायनामिक रिडिजाइनिंग और स्टेक होल्डर्स को आईपी सूचना का वास्तविक समय आधारित परेशानी मुक्त प्रसार।
पेटेंट आवेदन करने और देने के लिए डिजिटल प्रक्रिया को प्रोत्साहित करना।
स्टार्टअप्स को उनके आवेदन दाखिल करने और उनके प्रसंस्करण के लिए सुविधा प्रदान करने के लिए स्टार्टअप बौद्धिक संपदा संरक्षण (एसआईपीपी) की सुविधा के लिए योजना शुरू की गई है। ऐसे फैसिलिटेटरों के व्यावसायिक शुल्कों की प्रतिपूर्ति एसआईपीपी योजना के प्रावधानों के अनुसार की जाती है।
स्टेकहोल्डर्स के लाभ के लिए आईपीओ वेबसाइट में आईपी कार्यालयों के कामकाज से संबंधित मुद्दों के संबंध में फीडबैक/सुझाव/शिकायत दर्ज करने की व्यवस्था स्थापित की गई है। एक टीम स्टेक होल्डर्स के सुझावों/शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई करती है और ई-मेल के माध्यम से उचित प्रतिक्रिया का संचार करती है।
DPIIT सेल फॉर आईपीआर प्रमोशन एंड मैनेजमेंट (सीआईपीएएम) के माध्यम से और सीजीपीडीटीएम के कार्यालय के सहयोग से स्कूलों, विश्वविद्यालयों, उद्योगों, कानूनी संस्थाओं के लिए आयोजित आईपीआर में जागरूकता गतिविधियों में भागीदारी के माध्यम से आईपी स्टेक होल्डर्स को सूचना और ज्ञान के प्रसार में नियमित रूप से लगा हुआ है। और प्रवर्तन एजेंसियां और अन्य हितधारक देश में उद्योग संघों के सहयोग से इन प्रयासों के परिणामस्वरूप, पेटेंट की जांच में लगने वाला समय 2015 के औसत 72 महीनों से घटकर वर्तमान में 12-30 महीने हो गया है, जो टेक्नालॉजी क्षेत्रों पर निर्भर करता है।
स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम के लिए पहल के संबंध में, स्टार्टअप द्वारा दायर पेटेंट आवेदनों के लिए 80% शुल्क रियायत प्रदान की गई है।