रक्षा निर्माण क्षेत्र में सरकार ने महत्वाकांक्षी 'आत्मनिर्भर भारत' मिशन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाते हुए दोहरी भूमिक वालीं ब्रह्मोस मिसाइल( BrahMos Missile) देने का फैसला किया है। इसके तहत 1700 करोड़ रुपये का समझौता किया गया है।
नई दिल्ली. भारतीय नौसेना(Indian Navy) को और अधिक प्रहारक और पावरफुल बनाने की दिशा में एक नया डेवलपेंट हुआ है। डिफेंस मिनिस्ट्री और ब्रह्मोस एयरोस्पेस(BrahMos Aerospace Pvt. Ltd. BAPL) के बीच एक कॉन्ट्रेक्ट साइन हुआ है। इसके तहत भारतीय नौसेना ने अपने दो प्रोजेक्ट 15B शिप्स(15B Ships) के लिए 35 लड़ाकू(combat) और तीन प्रैक्टिस ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम की सप्लाई का ऑर्डर दिया है। जानिए पूरा मामला...
1700 करोड़ की डील
रक्षा निर्माण क्षेत्र में सरकार ने महत्वाकांक्षी 'आत्मनिर्भर भारत' मिशन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाते हुए दोहरी भूमिक वालीं ब्रह्मोस मिसाइल( BrahMos Missile) देने का फैसला किया है। इसके तहत 1700 करोड़ रुपये का समझौता किया गया है। इन मिसाइल सिस्टम्स के शामिल होने से नेवल फोर्स के फ्लीट एसेट्स की ऑपरेशनल कैपेबिलिटी में वृद्धि होगी। यानी नेवी की क्षमताओं में विस्तार होगा। भारतीय नौसेना ने पिछले साल नवंबर में विशाखापत्तनम श्रेणी या पी-15बी(first warship of Visakhapatnam-class or P-15B) के पहले युद्धपोत को मुंबई में कमीशन किया था। इसके शामिल होने के दो महीने के भीतर आईएनएस विशाखापत्तनम ने ब्रह्मोस एंटी-शिप मिसाइल के अपग्रेडे वैरिएंट का सफलतापूर्वक टेस्ट किया था। इसके बाद इस साल 18 फरवरी को एक और सफल परीक्षण किया गया था।
वर्तमान में, P-15B या विशाखापत्तनम कैटेगरी के तहत, कुल 4 युद्धपोतों(warships) को शामिल करने की योजना है। ये युद्धपोत विशाखापत्तनम, मोरमुगाओ, इंफाल और सूरत हैं। P-15B के दूसरे जहाज-मोरुगाओ ने पहला समुद्री परीक्षण पूरा कर लिया है और इसे जल्द ही नौसेना में शामिल करने की योजना है। अन्य दो जहाजों के 2024 तक सेवा में शामिल होने की उम्मीद है।
चार शिप्स के लिए 35,800 करोड़ का कॉन्ट्रेक्ट
इन 4 जहाजों के निर्माण के लिए 35,800 करोड़ रुपये के अनुबंध(contract) पर 2011 में हस्ताक्षर किए गए थे। बता दें कि भारतीय नौसेना द्वारा इस महीने की शुरुआत में कोच्चि में पहली बार स्वदेशी विमानवाहक पोत INS विक्रांत(first-ever indigenous aircraft carrier INS Vikrant) को कमिशंड(commissioned) करने के कुछ दिनों बाद ब्रह्मोस मिसाइलों के लिए नए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं। ब्रह्मोस एयरोस्पेस भारत और रूस के बीच एक ज्वाइंट वेंचर है, जो सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों (Surface-to-Surface Missiles-SSMs) की नई पीढ़ी को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान देता है। इसमें भूमि के साथ-साथ जहाज-रोधी हमलों(anti-ship attacks) के लिए उन्नत रेंज और दोहरी भूमिका क्षमता(enhanced range and dual role capability) होती है। मंत्रालय ने कहा, "यह अनुबंध स्वदेशी उद्योग की सक्रिय भागीदारी के साथ महत्वपूर्ण हथियार प्रणाली और गोला-बारूद के स्वदेशी उत्पादन को और बढ़ावा देने वाला है।"
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