टाडा अदालत ने 1993 सिलसिलेवार बम धमाकों के मुख्य आरोपी अब्दुल करीम टुंडा को बरी कर दिया है।
अब्दुल करीम टुंडा। अजमेर में स्थित टाडा अदालत ने 1993 सिलसिलेवार बम धमाकों के मुख्य आरोपी अब्दुल करीम टुंडा को बरी कर दिया है। आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक अब्दुल करीम टुंडा को बरी करने के अलावा दो आरोपियों इरफ़ान और हमीदुद्दीन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। टुंडा के वकील शफिकतुल्ला सुल्तानी कहते हैं, "माननीय अदालत ने अब्दुल करीम टुंडा को सभी आरोपों से बरी कर दिया है. CBI अब्दुल करीम टुंडा के खिलाफ कोई भी मजबूत सबूत पेश करने में विफल रही।"
अब्दुल करीम टुंडा लश्कर-ए-तैयबा के लिए काम करता था। वो बम बनाने में माहिर था। राजस्थान की विशेष अदालत ने 1993 विस्फोट मामले में सबूतों की कमी का हवाला देते हुए बरी कर दिया। इसके अलावा कोर्ट ने दो आरोपियों अमीनुद्दीन और इरफान को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अब्दुल करीम टुंडा पर 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस की पहली बरसी पर कई ट्रेनों में हुए विस्फोटों के पीछे दोषी माना गया था। उस हमले में दो लोग मारे गए थे और कई अन्य घायल हो गए थे।
दाऊद इब्राहिम का करीबी माना जाता था अब्दुल करीम टुंडा
अब्दुल करीम टुंडा की मौजूदा वक्त में 84 साल का हो चुका है। वो कई बम धमाकों में शामिल था, जिनमें से 1996 के बम विस्फोट मामले में भी दोषी ठहराया गया था। इसके लिए वो आजीवन कारावास की सजा काट रहा था। अब्दुल करीम टुंडा को आतंकवादी दाऊद इब्राहिम का करीबी माना जाता है। उसके बम बनाने हुनर की वजह से वो अंडरवर्ल्ड में डॉ बम के रूप में जाना जाता था।