पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र से बाहर निकला Aditya-L1, तय की 9.2 लाख किमी की यात्रा

सूर्य के अध्ययन के लिए इसरो द्वारा भेजे गए अंतरिक्ष यान Aditya-L1 ने 9.2 लाख किलोमीटर की दूरी तय कर ली है। इसे 15 लाख किलोमीटर दूर स्थित एल-1 प्वाइंट पर जाना है।

Vivek Kumar | Published : Oct 1, 2023 2:38 AM IST / Updated: Oct 01 2023, 08:10 AM IST

नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) द्वारा लॉन्च किया गया अंतरिक्षयान आदित्य एल-1 ( Aditya-L1) पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र से बाहर निकल गया है। इसने अंतरिक्ष में 9.2 किलोमीटर दूरी तय कर ली है। इसे 15 लाख किलोमीटर दूर L1 (Sun-Earth Lagrange Point 1) तक जाना है।

इसरो ने शनिवार को बताया कि आदित्य-एल1 धरती के प्रभाव क्षेत्र से बचकर निकल गया है। इसने पृथ्वी से 9.2 लाख किलोमीटर से अधिक की दूरी सफलतापूर्वक तय की है। अंतरिक्ष यान सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंज प्वाइंट 1 के रास्ते में है। यह पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर है। लैग्रेंज प्वाइंट अंतरिक्ष में वह जगह है जहां किसी वस्तु पर सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल बराबर लगता है। इस क्षेत्र में अंतरिक्ष बिना अधिक ऊर्जा खर्च किए लगातार अधिक समय तक काम कर सकता है।

दूसरी बार पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र से बाहर गया इसरो का अंतरिक्षयान

यह दूसरी बार है जब इसरो अपने किसी अंतरिक्षयान को पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र से निकालने में सफल हुआ है। इससे पहले मंगल ऑर्बिटर मिशन को पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र से बाहर भेजा गया था। आदित्य-एल1 को 2 सितंबर 2023 को PSLV-C57 रॉकेट द्वारा लॉन्च किया गया था। यह भारत का पहला सोलर मिशन है।

सूर्य के अध्ययन के लिए सात पेलोड ले जा रहा आदित्य-एल 1

आदित्य-एल1 सूर्य के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करने के लिए डिजाइन किए गए सात अलग-अलग पेलोड ले जा रहा है। इनमें से चार पेलोड सूर्य के प्रकाश का निरीक्षण करेंगे, जबकि शेष तीन प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र के इन-सीटू मापदंडों को मापेंगे। आदित्य-एल1 एल1 बिंदु पर पहुंच जाएगा तो इसे सूर्य के सापेक्ष स्थिर स्थिति बनाए रखते हुए प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा। यह पांच साल तक लगातार सूर्य का अध्ययन करेगा।

आदित्य-एल1 सूर्य के ऊपरी वायुमंडल (क्रोमोस्फीयर और कोरोना) के साथ सौर हवा के साथ इसके संबंधों का अध्ययन करेगा। अंतरिक्ष यान उन तंत्रों की जांच करेगा जो सौर कोरोना को गर्म करते हैं। कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) और सौर फ्लेयर्स की शुरुआत और विकास का भी निरीक्षण किया जाएगा।

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