
26/11 Mumbai Terror Attack: 26 नवंबर, 2008 को पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने मुंबई को हिला दिया था। इस हमले में 166 लोग मारे गए थे, जबकि बड़ी संख्या में घायल हुए थे। 26/11 की बुधवार को 17वीं बरसी है। बता दें कि मुंबई में हुए आतंकी हमलों से सबक लेते हुए भारत ने अपनी सुरक्षा व्यवस्था में काफी सुधार किए हैं। भारत ने 26/11 से कई ऑपरेशनल, इंटेलिजेंस, कानूनी और स्ट्रक्चरल सबक सीखे। इससे जहां जिससे कोस्टल सिक्योरिटी मजबूत हुई वहीं काउंटर-टेरर कानून, इंटेलिजेंस शेयरिंग और स्पेशल फोर्स की तैनाती में भी बड़े सुधार हुए। आइए जानते हैं कैसे चाक-चौबंद हुई सिक्योरिटी।
1- कोस्टल और पोर्ट सिक्योरिटी पहले की तुलना में काफी सख्त हुई है। लेकिन इसे और ज्यादा मजबूत करने की जरूरत है, क्योंकि आतंकियों ने समुद्र में छोटी नावों की मॉनिटरिंग में कमियों का ही फायदा उठाया था।
2- इंडियन नेवी को औपचारिक रूप से पूरी मैरीटाइम सिक्योरिटी (कोस्टल और ऑफशोर सहित) के लिए अथॉरिटी बनाया गया, जिसमें कोस्ट गार्ड और राज्यों की मदद ली गई।
3- फास्ट इंटरसेप्टर क्राफ्ट के साथ सागर प्रहरी बल बनाया गया। कोस्ट गार्ड और मरीन पुलिस को बढ़ाने के साथ ही कोस्टल रडार चेन, AIS ट्रैकिंग, NC3I नेटवर्क, जॉइंट ऑपरेशन सेंटर और “सागर कवच” जैसी रेगुलर मल्टी-एजेंसी कोस्टल एक्सरसाइज शुरू की गई।
4- इंटेलिजेंस शेयरिंग के लिए मल्टी-एजेंसी सेंटर (MAC) को मजबूत बनाया गया, जिससे सेंट्रल और स्टेट एजेंसियों को इनपुट ज्यादा रियलटाइम और इलेक्ट्रॉनिक तरीके से दिए गए।
5- NATGRID जैसे लंबे समय के प्रोजेक्ट शुरू किए गए, ताकि अलग-अलग डेटाबेस से तेजी से पैटर्न का पता लगाया जा सके और काउंटर-टेरर इन्वेस्टिगेशन में मदद मिल सके।
6- 31 दिसंबर, 2008 को राष्ट्रीय जांच एजेंसी अधिनियम के तहत नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) की स्थापना की गई। यह गृह मंत्रालय के अधीन काम करती है और इसकी स्थापना का उद्देश्य 26/11 जैसे आतंकवादी हमलों को रोकना और उनसे लड़ने में मौजूदा खुफिया एजेंसियों की मदद करना था।
7- यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम) कानून को और मजबूत किया गया। इसका उद्देश्य भारत की अखंडता और संप्रभुता के लिए खतरा पैदा करने वाली गैरकानूनी और आतंकवादी गतिविधियों को रोकना और दंडित करना है। 2019 में इसमें संशोधन किया गया, जिसके बाद अब इस कानून के तहत किसी संगठन के साथ-साथ किसी व्यक्ति को भी आतंकवादी घोषित किया जा सकता है।
8- रिस्पॉन्स टाइम कम करने के लिए मुंबई, चेन्नई, कोलकाता और हैदराबाद में NSG हब बनाए गए। साथ ही स्टेट पुलिस फोर्स के लिए खास कमांडो ट्रेनिंग मॉड्यूल शुरू किए गए।
9- राज्यों ने शहर की पुलिस के लिए क्विक रिस्पांस टीम (QRTs), बेहतर हथियार, बॉडी आर्मर और कम्युनिकेशन गियर में ज्यादा इन्वेस्ट किया, ताकि शहरी आतंकी घटनाओं को ज्यादा असरदार तरीके से हैंडल किया जा सके।
10- विशेषज्ञों का मानना है कि अब भी कमांड-एंड-कंट्रोल को पूरी तरह से जोड़ने, आखिरी छोर तक तटीय निगरानी पक्का करने और सख्त एंटी-टेरर कानूनों को सिविल कानून के साथ बैलेंस करने की जरूरत है।