आखिर क्यों हमेशा याद किए जाएंगे देश के पहले CDS Bipin Rawat, इनके काम से बौखला गया था चीन -पाकिस्तान

बिपिन रावत के सीडीएस पद आने के बाद तीनों सेनाओं के बीच तालमेल बेहतर हुआ है। उन्होंने सेना में कई बदलाव किए हैं। इसका लाभ थल सेना, वायु सेना, जल सेना को मिला है। तीनों सेनाएं एकजुट होकर कार्य कर रही हैं। उनके CDS रहते हुए ही भारत ने पिछले साल पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) को बदलने की चीन की कोशिशों का करारा जवाब दिया। 

नई दिल्ली। भारतीय वायु सेना (Indian Air force) के Mi-17 V5 हेलिकॉप्टर क्रैश (Mi-17 V5 Helicopter crash) में सीडीएस बिपिन रावत (CDS BIPIN RAWAT), उनकी पत्नी मधुलिका रावत समेत 13 लोगों का निधन हो गया। विपिन रावत ने एक जनवरी 2020 को CDS का कामकाज संभाला था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Pm Narendra modi) ने 15 अगस्त 2019 को को लाल किले की प्राचीर से देश की तीनों सेनाओं के बीच बेहतर तरीके से तालमेल बिठाने के लिए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानी सीडीए के पद के गठन की घोषणा की थी। इस पद पर आने के बाद जनरल रावत ने तीनों सेनाओं के बीच तालमेल बनाने के लिए काफी काम किया। उन्होंने सेना में कई बदलाव किए हैं। इसका लाभ थल सेना, वायु सेना, जल सेना को मिला है। तीनों सेनाएं एकजुट होकर कार्य कर रही हैं। उनके काम से सेनाएं तो ताकतवर हुई ही हैं, चीन और पाकिस्तान भी घबराए हैं। सीडीएस से पहले के पदों पर भी रहते हुए बिपिन रावत ने कारगिल युद्ध और पीओके के आतंकी शिविरों पर कार्रवाई की है। इससे वे हमेशा चीन और पाकिस्तान की आंख की किरकिरी बने रहे। 

चाइना बॉर्डर पर थियेटर कमांड बनाई, ताकि एक साथ हमला कर सकें तीनों सेनाएं 



पिछले कुछ सालों से चीन एलएसी (LAC) पर हरकत कर रहा है। चीन की फौज भारतीय सीमा में आगे बढ़ रही है। सीडीएस रावत ने वहां आर्मी, नेवी और एयरफोर्स की थियेटर कमांड बनाने का काम शुरू कराया। थियेटर कमांड से युद्ध की स्थिति में तीन सेना एक दूसरे की मदद कर सकेंगी। डायरेक्टेड ऑफ मिलट्री अफेयर्स के अधीन सेना की तीनों विंग मजबूती की दिशा में कार्य कर रही हैं। अभी देश में करीब 15 लाख सैन्य बल हैं। इन्हें संगठित और एकजुट करने के लिए काफी समय से थिएटर कमांड की जरूरत महसूस की जा रही थी। फिलहाल 4 नए थिएटर कमांड बनाने की योजना पर काम चल रहा है। आर्मी के पास तीन थिएटर कमांड, जबकि नेवी के पास एक कमांड की जिम्मेदारी होगी। वहीं, एयरफोर्स को एयर डिफेंस कमांड की जिम्मेदारी दी जाएगी।

हथियारों के मामले में आर्मी को अपग्रेड कर रहे थे 
विदेशों से तीनों सेनाओं के लिए आधुनितम हथियार खरीदने के लिए सीडीएस का परामर्श महत्वपूर्ण होता है। ताकि, सेना को जरूरत के अनुसार मजबूत किया जा सके। जनरल रावत ने सीडीएस का पदभार ग्रहण करने के बाद मजबूत निर्णय लिए हैं। हाल में रूस के साथ AK-203 हो या एस 400 टैंक, इन सभी डील्स में सरकार ने बिपिन रावत का परामर्श लिया। आर्मी के हथियारों को अपग्रेड करने के लिए स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप मॉडल पर बिपिन रावत की निगरानी में ही काम चल रहा था। इस मॉडल के तहत सरकार ने प्राइवेट कंपनियों को विदेशी हथियार निर्माताओं के साथ मिलकर फाइटर जेट्स, हेलिकॉप्टर, सबमरीन और टैंकों को साझा तौर पर बनाने की अनुमति दी थी।
 

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आर्मी के टैंकों को बदलने पर था जोर 
CDS बिपिन रावत धीरे-धीरे अपने टैंकों को बदलने की योजना पर काम कर रहे थे। उन्होंने कहा था कि कुछ पुराने सिस्टम को अगले 7-8 साल में बदलना होगा। इसलिए इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू करने का ये सही समय है। अक्टूबर में रावत ने कहा था कि भारतीय सेना के लिए एडवांस सर्विलांस सिस्टम हमारी टॉप प्रायोरिटी है। हमें अपनी साइबर क्षमताओं को और डेवलप करने पर फोकस करना होगा, क्योंकि हमारे दुश्मन तेजी से साइबर क्षमताओं को डेवलप कर रहे हैं।

सीडीएस रावत तकनीक के मामले में हमेशा आगे रहना चाहते थे। रक्षा सूत्रों के मुताबिक भारत में आधुनिक हथियारों की लगातार वृद्धि में उनका भी योगदान है। अप्रैल में एक कार्यक्रम में बिपिन रावत ने कहा था- हमें इस बात का अहसास है कि तकनीक के मामले में चीन काफी सक्षम है। वो भारत पर साइबर हमले करता रहता है। भारत भी चीन के साइबर अटैक से निपटने के लिए अपने साइबर डिफेंस सिस्टम को मजबूत करने की पूरी कोशिश में जुटा हुआ है।

चीन को दिया था कड़ा संदेश 
इसी साल 13 नवंबर को CDS बिपिन रावत ने कहा था - भारत की सुरक्षा के लिए चीन (China) सबसे बड़ा खतरा बन चुका है। पिछले साल चीन से लगते सीमावर्ती इलाकों में लाखों जवानों और हथियारों की तैनाती की गई थी। उनका जल्द बेस की तरफ लौटना मुश्किल है। रावत के परामर्श के बाद भारत ने भी चीन सीमा पर उसके बराबर ही सेनाओं की तैनाती की। इसके बाद अब तक 13 दौर की बातचीत हो चुकी है। चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल वू कियान ने रावत के इस बयान को उकसावे भरा, गैर-जिम्मेदाराना और खतरनाक बताया था। उन्होंने कहा था- ऐसे बयानों से जियो-पॉलिटिकल टकराव को बढ़ावा मिल सकता है। 

कारगिल की जीत के भी गवाह रहे रावत 
बिपिन रावत ने 1999 में पाकिस्तान (Pakistan) के साथ हुए करगिल युद्ध (Kargil War) में हिस्सा लिया था। सरकार ने उस समय के उपप्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी की अध्यक्षता में करगिल युद्ध की समीक्षा के लिए ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (जीओएम) का गठन किया था। इस जीओएम ने युद्ध के दौरान भारतीय सेना और वायुसेना के बीच तालमेल की कमी का पता लगाया था। इसी समूह ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के नियुक्ति की सिफारिश की थी। इसका उद्देश्य तीनों सेनाओं में तालेमेल बनाना है।

म्यांमार और पीओके में स्ट्राइक कर ध्वस्त किए आतंकी शिविर
जून 2015 में मणिपुर में एक आतंकी हमले में हमारे 18 जवान शहीद हुए थे। इसके बाद 21 पैरा कमांडो ने सीमा पार जाकर म्यांमार में आतंकी संगठन NSCN के कई आतंकियों को ढेर किया था। उस समय 21 पैरा थर्ड कॉर्प्स के कमांडर बिपिन रावत ही थे। 29 सितंबर 2016 को भारतीय सेना ने पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक कर कई आतंकी शिविरों को ध्वस्त करते हुए कई आतंकियों को मार गिराया था। उरी में सेना के कैंप और पुलवामा में सीआरपीएफ पर हुए हमले में कई जवान शहीद हो जाने के बाद भारतीय सेना ने जवाबी कार्रवाई की थी। 

1978 में शुरू किया था सैन्य करियर
बिपिन रावत को 1978 में सेना की 11वीं गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन में कमीशन मिला था। भारतीय सैन्य अकादमी में उन्हें सोर्ड ऑफ ऑनर से सम्मानित किया गया था। उन्हें उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल, सेना मेडल, विदेश सेवा मेडल जैसे मेडल मिल चुके हैं।

CDS पद की क्यों जरूरत पड़ी 
1999 में हुए करगिल युद्ध के बाद जब 2001 में ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स  ने जब इसकी समीक्षा की तो तीनों सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल की कमी देखी गई। इस समिति की अध्यक्षता तत्कालीन उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी कर रहे थे। उसी वक्त सीडीएस का पद बनाने का सुझाव दिया गया लेकिन राजनीतिक असमहति के कारण ऐसा नहीं हो पाया।

क्या थी CDS की भूमिका

- सीडीएस रावत सैन्य मामलों के नए विभाग डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स (डीएमए) के प्रमुख थे। वे रक्षा मंत्री के प्रधान सैन्य सलाहकार के रूप में कार्य कर रहे थे। 

- उनका किसी सैन्य कमांड पर कोई नियंत्रण नहीं था और वे सीधे किसी सेना को कोई आदेश नहीं दे सकते थे।

- सीडीएस की भूमिका सशस्त्र सेनाओं के ऑपरेशंस में आपसी समन्वय और उसके लिए वित्त प्रबंधन की थी।

- सेनाओं के लिए हथियारों की खरीद, प्रशिक्षण और स्टॉफ की नियुक्ति की प्रक्रिया में तालमेल बिठाते थे। सैन्य कमानों के पुनर्गठन और थिएटर कमानों के गठन में भी उनकी भूमिका थे।

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