जितिन प्रसाद के बाद अब किसकी बारीः क्या बाकी बचे असंतुष्टों को मना पाएगी कांग्रेस?

कांग्रेस देश की सत्ता से तो बाहर है ही उसके पुराने और कई पक्के साथी भी उपेक्षा की वजह से अलविदा कह रहे हैं। न जाने कितने नाम हैं, जो पार्टी में उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। अब सवाल उठता है कि क्या पार्टी ऐसे असंतुष्टों को चिंहित कर उनसे बात करेगी, कोई ऐसी राह निकालेगी जिससे वह संतुष्ट भी हो जाए और पार्टी के लिए काम भी करने लगे।

नई दिल्ली। कांग्रेस के एक और युवा चेहरे जितिन प्रसाद के अलविदा कहकर भाजपा में जाने के बाद पार्टी के भीतर असंतुष्ट नेताओं को मनाने की बात होने लगी है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम गुलाम नबी आजाद, राजस्थान के सचिन पायलट, यूपी से आने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह आदि न जाने कितने नाम हैं, जो पार्टी में उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। अब सवाल उठता है कि क्या पार्टी ऐसे असंतुष्टों को चिंहित कर उनसे बात करेगी, कोई ऐसी राह निकालेगी जिससे वह संतुष्ट भी हो जाए और पार्टी के लिए काम भी करने लगे। 
हालांकि, असंतुष्ट चल रहे सचिन पायलट को लेकर कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने साफ किया है कि अगर सचिन ने कोई मुद्दा उठाया है तो पार्टी नेतृत्व उस पर जरूर विचार करेगा। यही नहीं युवा नेता मिलिंद देवड़ा ने भी कहा है कि कांग्रेस के पास नेताओं की कमी नहीं है बल्कि उनका सही इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। 

सचिन पायलट को लेकर क्या कहा राष्ट्रीय प्रवक्ता ने

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एक के बाद एक कद्दावर नेताओं के पार्टी छोड़ने के बाद कांग्रेस अपने असंतुष्ट नेताओं की नाराजगी दूर करने की पहल कर सकता है। जितिन प्रसाद के पार्टी छोड़ने के मुद्दे पर मीडिया से बातचीत के दौरान कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि कांग्रेस एक लोकतांत्रिक पार्टी है। अगर सचिन पायलट को कोई दिक्कत है या उन्होंने कुछ कहा है तो मुझे लगता है कि कांग्रेस नेतृत्व जरूर सुनेगा और उचित कदम उठाएगा। उन्होंने जितिन प्रसाद पर वार करते हुए कहा कि दुभाग्य है कि कांग्रेस में इनको बढ़ावा दिया गया और पद भी दिया गया लेकिन इतना कुछ दिए जाने के बाद भी वह गए हैं। 

मिलिंद देवड़ा की सलाह- पुरानी स्थिति के लिए प्रयास करना होगा

कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवड़ा ने कहा कि जितिन प्रसाद के भाजपा में जाने से कांग्रेस पर कोई खास असर नहीं होने वाला है। हमारे पास अभी बहुत से ऐसे नेता हैं जिनका अगर बेहतर इस्तेमाल किया जाए तो वह पार्टी को और सशक्त कर बेहतरीन रिजल्ट दे सकते हैं। कांग्रेस को अपनी पुरानी स्थिति पाने के लिए प्रयास करना चाहिए। 

कई पक्के साथी छोड़ चुके हैं कांग्रेस का साथ

कांग्रेस देश की सत्ता से तो बाहर है ही उसके पुराने और कई पक्के साथी भी उपेक्षा की वजह से अलविदा कह रहे हैं। मध्यप्रदेश के ज्योतिर्रादित्य सिंधिया, असम के हिमंतबिस्वा सरमा जैसे के बाद अब यूपी कांग्रेस के युवा चेहरे जितिन प्रसाद के बीजेपी में चले जाने के बाद राजनीतिक पंडितों का मानना है कि पार्टी को पुराने साथियों को सहेजने में गलती हो गई। अभी भी मौका है पार्टी अपने असंतुष्ट नेताओं को मना ले। बुजुर्ग नेताओं को सम्मान देने के साथ युवा नेताओं को भी तरजीह पार्टी देगी तो ही उसे भविष्य में मजबूती मिल सकती है। 
 

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