PFI पर बैन के बाद अब क्या होगा इसके सदस्यों का? आखिर क्या कहता है कानून

केंद्र सरकार ने बुधवार सुबह पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) को 5 साल के लिए बैन कर दिया। PFI के अलावा 8 और संगठनों पर एक्शन लिया गया है। सरकार ने कहा, PFI और उससे जुड़े संगठनों की गतिविधियां देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हैं।

PFI Banned: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार सुबह पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर 5 साल के लिए बैन लगा दिया। PFI के अलावा इससे जुड़े 8 और संगठनों पर सख्त एक्शन लिया गया है। गृह मंत्रालय ने यह कार्रवाई (अनलॉफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट) UAPA के तहत की है। इसके साथ ही PFI के सभी संगठनों को बैन करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। अब सवाल ये उठता है कि अगर पीएफआई पर बैन लग चुका है तो फिर इसके सदस्यों का क्या होगा? क्या उनकी गिरफ्तारी होगी, या फिर उन्हें अपना पद छोड़ना पड़ेगा? इस मामले में क्या कहता है कानून, आइए जानते हैं। 

फौरन छोड़ देनी चाहिए सदस्यता : 
बता दें कि पीएफआई के खिलाफ अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेन्शन एक्ट यानी (UAPA)  के तहत कार्रवाई की गई। UAPA कानून के तहत केंद्र सरकार किसी भी संगठन या शख्स, जो गैरकानूनी या आतंकी गतिविधियों में लिप्त पाया जाता है, उसे आतंकवादी घोषित कर सकती है। ऐसे में कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि पीएफआई पर बैन के बाद अगर कोई शख्स इस संगठन से जुड़ा है तो उसे फौरन अपनी सदस्यता छोड़ देनी चाहिए। 

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PFI से जुड़े सदस्यों का अब क्या?
अगर कोई शख्स कभी भी पीएफआई जैसे बैन संगठन से जुड़कर गैरकानूनी कामों में संलिप्त पाया जाता है तो पुलिस उसे गिरफ्तार कर सकती है। इसलिए PFI से जुड़े लोगों को फौरन इससे इस्तीफा दे देना चाहिए। किसी भी प्रतिबंधिति संगठन का कोई मेंबर अगर किसी ऐसे गलत काम में शामिल रहा है, जो कानून की नजर में क्राइम है, तो उसे गिरफ्तार किया जा सकता है। 

क्या है UAPA कानून?
संसद ने 1967 में गैर-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (Unlawful Activities Prevention Act) बनाया था, जिसे UAPA कहते हैं। हालांकि 2004, 2008, 2012 और 2019 में इस कानून में बदलाव किए गए। 2019 के संशोधन में इस एक्ट में बेहद कड़े प्रावधान जोड़े गए हैं। 2019 में हुए संशोधन में सबसे अहम बात ये है कि इस कानून के तहत सरकार किसी संगठन या संस्था को ही नहीं बल्कि किसी व्यक्ति विशेष को भी आतंकवादी घोषित कर सकती है। 

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NIA की पावर बढ़ाता है UAPA कानून : 
- UAPA कानून के तहत  दर्ज केस में एंटीसिपेटरी बेल यानी अग्रिम जमानत नहीं मिल सकती।
- किसी भी भारतीय या विदेशी के खिलाफ इस कानून के तहत केस चलाया जा सकता है। इसके लिए क्राइम की जगह या नेचर से कोई लेना-देना नहीं है।
- यानी विदेश में भी क्राइम करने पर इस एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया जा सकता है। यहां तक कि भारत में रजिस्टर जहाज या विमान में हुए क्राइम के मामलों में भी UAPA लागू हो सकता है। 
- UAPA कानून राष्ट्रीय इनवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) को इस बात का अधिकार देता है कि वो किसी भी तरह की आतंकी गतिविधि में शामिल संदिग्ध को आतंकी घोषित कर सके। 

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