कृषि बिलों पर पंजाब सरकार का पलटवार, राज्य में केंद्र के कानून की काट में ला सकती है नया बिल

कृषि बिलों के खिलाफ शुक्रवार को भारत के सभी किसान संगठनों ने भारत बंद बुलाया है। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए बिलों को लेकर हरियाणा और पंजाब के इलाकों में किसानों की ओर से आक्रामक प्रदर्शन हो रहे है। मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दल भारत बंद को समर्थन कर रहे हैं। इसी बीच पंजाब की अमरिंदर सरकार केंद्र सरकार के इस कानून की काट में  एक नया कानून ला सकती है। ताकि इन बिलों को लेकर मंडियों में जो बदलाव किए गए हैं, वो राज्य में लागू ना हो पाएं।

Asianet News Hindi | Published : Sep 25, 2020 8:35 AM IST / Updated: Sep 25 2020, 02:08 PM IST

नई दिल्ली. केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि बिलों (Agriculture bills) के खिलाफ शुक्रवार को भारत के सभी किसान संगठनों ने भारत बंद बुलाया है। बिलों को लेकर हरियाणा और पंजाब के इलाकों में किसानों की ओर से आक्रामक प्रदर्शन हो रहे है।मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस (Congress) समेत सभी विपक्षी दल भारत बंद को समर्थन कर रहे हैं। इसी बीच पंजाब की अमरिंदर सरकार केंद्र सरकार के इस कानून की काट में  एक नया कानून ला सकती है। ताकि इन बिलों को लेकर मंडियों में जो बदलाव किए गए हैं, वो राज्य में लागू ना हो पाएं।

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब सरकार इन बिलों को लेकर किसानों और मंडियों का भारी दबाव है इसलिए राज्य सरकार  APMC एक्ट में बदलाव कर पूरे राज्य को प्रिंसिपल मंडी यार्ड घोषित कर सकती है।  ऐसे में राज्य स्तर पर कानून में बदलाव करके केंद्र के कानून को पूरी तरह से लागू करने से पंजाब सरकार रोक सकती है। 

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रिपोर्ट के मुताबिक यदि पंजाब सरकार द्वारा ये बदलाव किया गया तो कोई भी किसान राज्य से बाहर अपनी फसल नहीं बेच सकेगा। इसके साथ ही किसानों को फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य ( MSP) से कम दाम नहीं मिलेगा और राज्य सरकार को मंडी फीस के रूप में राजस्व भी मिलता रहेगा। हालांकि, इस पर अभी अमरिंदर सरकार ने कोई आधिकारिक फैसला नहीं लिया है पर इसपर राज्य सरकार द्वारा कानूनी सलाह ली जा रही है।

किसी को कहीं भी अपनी फसल बेच सकता है किसान

केंद्र सरकार द्वारा लाए गए बिल में ये प्रावधान है कि कोई भी किसान पूरे देश में कहीं पर भी अपनी फसल बेच सकता है। इससे अब किसान को मंडी में फसल बेचना जरूरी नहीं होगा बल्कि वो सीधे किसी भी कंपनी या अन्य ग्राहक से समझौता कर अपनी फसल बेच सकता है। इसके तहत उसे कोई अतिरिक्त मंडी शुल्क भी नहीं देना होगा। हालांकि, केंद्र का कृषि कानून इस बात की गारंटी नहीं देता है कि किसान को MSP से ऊपर ही दाम मिलेगा। 
 

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