Black Box: जिस आग में लोहा पिघल जाए उसमें कैसे बचा रहता है ब्लैक बॉक्स, ऑरेंज क्यों होता है कलर

Published : Jun 13, 2025, 08:52 PM IST
black box

सार

Air India के दुर्घटनाग्रस्त विमान का ब्लैक बॉक्स बरामद। हादसे के आखिरी पलों का सच अब होगा उजागर। आखिर क्या है ब्लैक बॉक्स और कैसे 1100 डिग्री तापमान में भी नहीं होता खराब?

Black Box details: अहमदाबाद में 12 जून को क्रैश हुए एअर इंडिया के प्लेन से शुक्रवार को ब्लैक बॉक्स बरामद कर लिया गया। इस ब्लैक बॉक्स में कॉकपिट में उन आखिरी पलों का डेटा और बातचीत रिकॉर्ड हुई होगी जिससे पता चल सकेगा कि अंतिम क्षण में आखिर ऐसा क्या हुआ कि पायलट को मेडे कॉल करनी पड़ी। प्लेन के ब्लैक बॉक्स और DVR की जांच के बाद ऐसे कई सवालों के जवाब मिल सकते हैं, जो इस विमान हादसे की परतें खोल सकते हैं।

क्या होता है ब्लैक बॉक्स?

ब्लैक बॉक्स एक तरह का फ्लाइट रिकॉर्डर गैजेट है, जो किसी भी विमान हादसे की जांच में अहम रोल निभाता है। इसकी शुरुआत 1930 के दशक में फ्रांसीसी इंजीनियर फ्रांस्वा हुसैनो ने की थी। उन्होंने ही फोटोग्राफिक फिल्म पर विमान के अलग-अलग पैरामीटर्स को रिकॉर्ड करने वाला एक उपकरण बनाया था। उसके बाद से इसमें लगातार डेवलपमेंट हो रहा है।

ऑरेंज रंग वाले इस उपकरण को ब्लैक बॉक्स क्यों कहते हैं?

भले ही इसका नाम ब्लैक बॉक्स है, लेकिन ये ऑरेंज रंग का होता है। इसे ब्लैक बॉक्स कहने के पीछे सबसे बड़ी वजह ये है कि इसे एक ऐसे डिब्बे में रखा जाता है, जहां प्रकाश नहीं पहुंचता। इसका रंग नारंगी रखने के पीछे सबसे बड़ा कारण ये था कि विमान क्रैश होने के बाद नारंगी रंग मलबे में आसानी से नजर आता है। ब्लैक बॉक्स विमान का सबसे मजबूत इक्विपमेंट होता है, जो 1000 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान में भी पूरी तरह सुरक्षित रहता है।

सबकुछ खत्म होने के बाद भी कैसे सुरक्षित रहता है ब्लैक बॉक्स?

ब्लैक बॉक्स को इस तरह डिजाइन किया गया है, कि ये आसानी से आग और पानी में भी सुरक्षित रहता है। ब्लैक बॉक्स को रणनीतिक धातु टाइटेनियम और स्टेनलेस स्टील से बने बॉक्स में रखा जाता है। ये बॉक्स 1100 डिग्री सेल्सियस तापमान में भी सेफ रहता है।

समंदर की गहराई में कैसे ढूंढते हैं ब्लैक बॉक्स?

इसके अलावा ब्लैक बॉक्स समुद्र में 6000 मीटर गहराई में भी महीनों खराब नहीं होता। ब्लैक बॉक्स में सिग्नल भेजने वाले बीकन लगे होते हैं, जो समंदर की गहराई से सिग्नल भेजते हैं। इससे इन्हें आसानी से खोज लिया जाता है। अब जो ब्लैक बॉक्स बन रहे हैं, तो पहले की तुलना में काफी मजबूत और मेमोरी चिप वाले होते हैं। इससे इनमें टूटने का खतरा न के बराबर होता है।

कैसे काम करता है ब्लैक बॉक्स?

ब्लैक बॉक्स आग, विस्फोट, जोरदार टक्कर और पानी में भी खराब नहीं होता, जिससे हादसे के बाद भी इसमें डेटा सुरक्षित रहता है। इसमें दो हिस्से होते हैं- पहला फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) और दूसरा कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर।

1- फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR)

फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर विमान की टेक्निकल डिटेल्स जैसे हाइट, स्पीड और इंजन से जुड़ी बारीक चीजों को रिकॉर्ड करता है।

2- कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR)

कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर, कॉकपिट में होनेवाली गतिविधियों और बातचीत को रिकॉर्ड करता है।

PREV
Read more Articles on

Recommended Stories

इंडिगो संकट किसने पैदा किया? ग्रुप कैप्टन एमजे ऑगस्टीन विनोद ने बताया कड़वा सच
इंडिगो संकट का 5वां दिन: चेन्नई–हैदराबाद में 200+ फ्लाइट्स कैंसिल-आखिर एयरलाइन में चल क्या रहा है?