10 साल पहले आज ही के दिन भारत में भी हुई थी पाकिस्तान जैसी विमान दुर्घटना, 158 की हुई थी मौत

सुप्रीम कोर्ट ने इस दुर्घटना में मारे गए एक व्यक्ति के परिजनों को 7.64 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का फैसला सुनाया है।

Asianet News Hindi | Published : May 22, 2020 11:45 AM IST / Updated: May 22 2020, 05:46 PM IST

नई दिल्ली: पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइन (पीआईए) का यात्री विमान शुक्रवार को कराची के जिन्ना एयरपोर्ट के पास क्रैश हो गया। इस विमान में 90 यात्री और 8 क्रू मेंबर सवार थे। इस घटना की तरह ही आज ही के दिन करीब 10 साल पहले 22 मई 2010 को भारत में भी एक खतरनाक विमान दुर्घटना हुई थी। मंगलुरू में दुबई से आई एयर इंडिया एक्सप्रेस फ्लाइट 812 का विमान क्रैश हो गया था।

इस दुर्घटना में 45 साल के एक बिजनेसमैन की भी मौत हो गई थी। अब दस साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने मारे गए एक व्यक्ति के परिजनों को 7.64 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का फैसला सुनाया है।

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दुर्घटना में कितने लोग मारे गए?

इस दुर्घटना में 166 यात्रियों में से 158 की मौत हुई थी। इसमें एक यात्री महेंद्र कोडकानी (45) भी थे। विमान हादसे के समय कोडकानी यूएई की एक कंपनी के पश्चिम एशिया क्षेत्र के रीजनल डायरेक्टर थे। इनके परिजनों को पहले राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने मुआवजे के तौर पर 7.35 करोड़ रुपये की धनराशि देने का एलान किया था, लेकिन अब उन्हें इस राशि पर सालाना नौ फीसदी की दर से ब्याज भी मिलेगा। यह राशि अभी भी बकाया है। मुआवजा एयर इंडिया को ही चुकाना है। मृतक महेंद्र कोडकानी के परिजनों में उनकी पत्नी, बेटी और बेटा शामिल हैं। ये मुआवजा इस एक ही परिवार को दिया जाना है।

 

 

कैसे हुआ हादसा?

मंगलुरू हवाई अड्डे पर हुए इस विमान हादसे में रनवे पर उतरते हुए हवाई जहाज अनियंत्रित होकर रनवे से भी आगे बढ़ता चला गया और आगे जाकर पहाड़ी से नीचे एक गहरी खाई में गिर गया था। विमान में तब भीषण विस्फोट हुआ और हादसे में डेढ़ सौ से अधिक लोग मारे गए थे।166 यात्रियों में 8 बच गए थे। उन्हें फायर बिग्रेड और स्थानीय लोगों ने बचाया था। 

 

 

जज ने सुनाया फैसला

अब 10 साल बाद सुप्रीम कोर्ट के जज डी. वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस अजय रस्तोगी की पीठ ने कहा, उक्त लोगों के खाते में देय कुल राशि 7,64,29,437 रुपये है। नौ प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज उसी आधार पर भुगतान किया जाएगा, जो कि उन्हें एनसीआरडीसी की ओर से दिया गया है। पीठ ने कहा कि एक्सिडेंट क्लेम मामले में जब पीड़ित की आय का आंकलन हो तो पूरी आमदनी का आंकलन होना चाहिए। उसे जो भी वेतन भत्ता मिलता है, उसे जोड़कर ही मुआवजा तय किया जाएगा। उसकी आमदनी में से भत्ता नहीं हटाया जा सकता है। इस तरह परिवार को अब 10 साल बाद 7.64 करोड़ मुआवजा के भुगतान का आदेश दिया है। 

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