
Air Pollution Health Advisory 2025: भारत में वायु प्रदूषण अब सिर्फ पर्यावरणीय नहीं, बल्कि जन स्वास्थ्य आपातकाल (Public Health Emergency) बन चुका है। इसी खतरे को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने देशभर के सभी राज्यों और जिलों में नई एयर पॉल्युशन हेल्थ एडवाईजरी 2025 (Air Pollution Health Advisory 2025) जारी की है। इस गाइडलाइन के तहत, हर सरकारी अस्पताल में “चेस्ट क्लीनिक” (Chest Clinic) खोलने का आदेश दिया गया है, ताकि वायु प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों का समय रहते इलाज हो सके।
नई गाइडलाइन के मुताबिक, राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य कार्यक्रम (NPCCHH) के तहत अब जिला अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (CHC) और शहरी स्वास्थ्य केंद्रों (UHC) में विशेष चेस्ट क्लीनिक बनाए जाएंगे।
इन क्लीनिकों में वायु प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों जैसे-
की जांच, इलाज और फॉलो-अप किया जाएगा।
इन क्लीनिकों को निर्देश दिया गया है कि वे हर मरीज का डिजिटल रिकॉर्ड रखें और वायु प्रदूषण से जुड़े मामलों की दैनिक रिपोर्टिंग करें।
केंद्र सरकार ने आशा (ASHA) और ANM वर्कर्स को घर-घर जाकर ऐसे लोगों की पहचान करने का आदेश दिया है जो प्रदूषण के प्रति संवेदनशील हैं- जैसे बच्चे, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं, और पहले से फेफड़ों या हृदय रोग से पीड़ित मरीज।
ये कार्यकर्ता परिवारों को सलाह देंगे कि:
केंद्र ने सभी राज्यों को निर्माण स्थलों पर Dust Control के लिए सख्त कदम उठाने को कहा है। अब हर साइट पर पानी का छिड़काव, सामग्री ढकना, और मजदूरों के लिए मास्क व हेल्थ चेकअप अनिवार्य होगा। कंस्ट्रक्शन कंपनियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे श्रमिकों की श्वसन स्वास्थ्य निगरानी का रिकॉर्ड रखें और लंबे एक्सपोज़र से बचने के उपाय करें।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, पिछले एक वर्ष में श्वसन और हृदय रोगों के मामलों में 28% की वृद्धि दर्ज की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वायु प्रदूषण केवल फेफड़ों को नहीं, बल्कि हृदय, मस्तिष्क और नर्वस सिस्टम को भी नुकसान पहुंचा रहा है। लंबे समय तक प्रदूषण के संपर्क में रहना फेफड़ों के कैंसर (Lung Cancer), स्ट्रोक (Stroke) और दिल की बीमारियों (Cardiac Disorders) का कारण बन सकता है।