
नई दिल्ली। फरीदाबाद से गिरफ्तार डॉ. शाहीन शाहिद का नाम अब दिल्ली लाल किला ब्लास्ट से जुड़ गया है। प्रयागराज मेडिकल कॉलेज की टॉपर, जिसने MBBS और MD दोनों डिग्रियां हासिल कीं, अब ATS और जम्मू-कश्मीर पुलिस की जांच के घेरे में है। सवाल उठता है — क्या एक डॉक्टर आतंक के नेटवर्क में शामिल थी या वह किसी बड़ी साजिश की शिकार बन गई?
डॉ. शाहीन शाहिद कभी यूपी की होनहार छात्राओं में गिनी जाती थीं। उन्होंने कम्बाइंड प्री-मेडिकल टेस्ट (CPMT) में टॉप किया था और इलाहाबाद मेडिकल कॉलेज, प्रयागराज से MBBS और MD की पढ़ाई पूरी की। 2006 में UPPSC से चयन के बाद उन्हें गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज, कानपुर में प्रवक्ता (Lecturer) नियुक्त किया गया। उनका करियर डॉक्टरों के लिए मिसाल माना जाता था — लेकिन अब वही नाम आतंक की जांच फाइल में दर्ज है।
10 नवंबर, सोमवार की शाम हरियाणा के फरीदाबाद से डॉ. शाहीन सईद को गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने उसकी कार से AK-47 राइफल, पिस्टल और कारतूस बरामद किए। जम्मू-कश्मीर पुलिस का दावा है कि शाहीन की गिरफ्तारी डॉ. मुजम्मिल शकील से पूछताछ के बाद हुई, जो पहले ही पकड़ा जा चुका था और शाहीन का करीबी बताया जा रहा है। ब्लास्ट के अगले ही दिन 11 नवंबर को ATS और J&K पुलिस की टीम लखनऊ पहुंची और शाहीन के घरों पर छापेमारी की।
पहला छापा लालबाग खंदारी बाजार स्थित पुश्तैनी घर पर मारा गया। यहां उसके पिता सईद अंसारी, जो हेल्थ डिपार्टमेंट से रिटायर्ड अधिकारी हैं, मौजूद थे। उन्होंने कहा, “मेरी बेटी मेडिकल कॉलेज में टॉपर थी, हमेशा मरीजों की मदद करती थी। वह आतंकी नहीं हो सकती, मेरा दिल नहीं मानता।” पड़ोसियों ने बताया कि शाहीन पिछले दो साल से घर नहीं आई थी। दूसरा छापा मड़ियांव में शाहीन के भाई डॉ. परवेज अंसारी के घर पर मारा गया। घर बंद था, पुलिस ने ताला तोड़कर प्रवेश किया और कई दस्तावेज़, लैपटॉप, बाइक और कार जब्त की।
लखनऊ के एक सरकारी स्कूल से 12वीं तक पढ़ाई करने के बाद शाहीन ने CPMT में टॉप किया। फिर प्रयागराज मेडिकल कॉलेज से MBBS और MD की डिग्री ली। 2009 में उन्हें कन्नौज के तिर्वा मेडिकल कॉलेज भेजा गया, लेकिन एक साल बाद वापस कानपुर लौटा दी गईं। 2013 में लगातार अनुपस्थिति के कारण उन्हें सस्पेंड कर दिया गया और इसके बाद वह रहस्यमय तरीके से गायब हो गईं। कई वर्षों तक उनका कोई अता-पता नहीं मिला।
शाहीन का विवाह महाराष्ट्र के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. जफर हयात से हुआ था। 2015 में दोनों का तलाक हो गया। यही वह दौर था जब शाहीन की जिंदगी ने नया मोड़ लिया। बताया जाता है कि इसी दौरान उसकी मुलाकात अल-फलाह यूनिवर्सिटी (फरीदाबाद) में पढ़ रहे डॉ. मुजम्मिल शकील से हुई। धीरे-धीरे वह मेडिकल प्रोफेशन से हटकर कट्टर इस्लामी संगठनों के संपर्क में आने लगीं।
सूत्रों का दावा है कि मुजम्मिल ने शाहीन को अल-फलाह यूनिवर्सिटी में फैकल्टी के तौर पर जॉब दिलाई। वहीं पर उसकी मुलाकात जैश-ए-मोहम्मद की महिला विंग "जमात उल मोमिनात" से हुई। एजेंसियों के मुताबिक, शाहीन को वहीं से महिला कमांडर के रूप में भर्ती किया गया। वह दिल्ली-NCR और जम्मू-कश्मीर के बीच लगातार सफर करती थी और कई संदिग्ध लोगों से संपर्क में थी।
शाहीन के भाई डॉ. परवेज सैय्यद अंसारी भी इंटीग्रल यूनिवर्सिटी, लखनऊ में असिस्टेंट प्रोफेसर थे। उन्होंने अचानक रिजाइन कर दिया-कॉलेज सूत्रों के अनुसार उन्होंने कहा कि “किसी दूसरे कॉलेज में चयन हो गया है।” लेकिन ATS को उनके घर से जो कार मिली- UP11 BD 3563 नंबर की आल्टो-वह सहारनपुर RTO से रजिस्टर्ड थी और उस पर इंटीग्रल यूनिवर्सिटी का पास लगा था। जांच एजेंसियों का मानना है कि इस कार का इस्तेमाल संदिग्ध नेटवर्क की गतिविधियों के लिए किया जाता था।
ATS और J&K पुलिस की जांच अब तीन राज्यों में चल रही है-
उसके पिता और पड़ोसी उसे आज भी एक संवेदनशील डॉक्टर के रूप में याद करते हैं। लेकिन ATS की फाइलों में उसका नाम अब “डॉक्टर टर्न्ड सस्पेक्ट” बन चुका है। क्या यह सिर्फ एक इत्तेफाक है कि एक डॉक्टर, जो मरीजों की सेवा में लगी थी, अब आतंक की जाल में फंसी दिख रही है? या यह एक गहरी साजिश है-जिसे सच साबित करने में जांच एजेंसियों को वक्त लगेगा?