
नई दिल्ली। क्या आपने कभी ऐसा शहर सोचा है जहाँ ट्रैफ़िक सिग्नल न हों, फिर भी ट्रैफ़िक एकदम स्मूद चले? जहां न कोई रेड लाइट हो, न हरी लाइट का इंतज़ार-बस गाड़ियां चलती रहें बिना रुके? ये किसी भविष्य की कहानी नहीं, बल्कि आज का कोटा है-भारत का पहला ट्रैफ़िक लाइट-फ्री शहर (Traffic Light Free City)। राजस्थान का यह शहर अब सिर्फ कोचिंग कैपिटल नहीं, बल्कि भारत का पहला ट्रैफिक लाइट-फ्री सिटी भी बन गया है। न लाल सिग्नल, न रुकावट- सिर्फ निर्बाध यात्रा। यूआईटी कोटा के इस शहरी चमत्कार ने दिखाया कि स्मार्ट डिज़ाइन और सटीक प्लानिंग से जाम और देरी खत्म की जा सकती है। अब कोटा की सड़कें सिर्फ छात्रों की मंज़िल नहीं, बल्कि भारत के स्मार्ट अर्बन मूवमेंट की पहचान हैं।
जी हां, बिल्कुल! राजस्थान का कोटा अब ऐसा पहला शहर है, जहां पूरे शहर में एक भी ट्रैफिक लाइट नहीं है। शहर के सभी प्रमुख चौराहों को फ्लाईओवर और अंडरपास से जोड़ा गया है, जिससे किसी सिग्नल की जरूरत नहीं पड़ती। अर्बन इंप्रूवमेंट ट्रस्ट (UIT Kota) ने इस परियोजना को तैयार किया है, जो शहरी ट्रैफिक मैनेजमेंट में भारत के लिए नया मॉडल साबित हो रहा है।
यही सबसे बड़ा सवाल है कि क्या दिल्ली, मुंबई या बेंगलुरु जैसे मेट्रो शहरों में भी ट्रैफ़िक लाइट हटाई जा सकती हैं? कोटा का यह प्रयोग बताता है कि अगर सही शहरी डिज़ाइन और योजना बनाई जाए, तो बिना ट्रैफ़िक सिग्नल के भी शहर पूरी तरह व्यवस्थित चल सकते हैं। UIT Kota की इस योजना ने न सिर्फ यात्रा समय को घटाया, बल्कि लाखों लोगों की रोज़मर्रा की परेशानियां खत्म कर दीं।
इस पूरी व्यवस्था ने यह साबित किया कि स्मार्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर ही भविष्य का समाधान है। कोटा का उदाहरण बताता है कि बिना भारी खर्च या टेक्नोलॉजी के भी सस्टेनेबल ट्रांसपोर्ट सिस्टम (Sustainable Transport System) बनाया जा सकता है-जहां लोग कम समय में, सुरक्षित और सुगमता से यात्रा कर सकें।