पराली ने बढ़ाई की पर्यावरण की 'बेहाली', दिल्ली-एनसीआर में एयर क्वालिटी 'बहुत खराब'

दिल्ली-एनसीआर में कई स्थानों पर वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में। इससे पहले, पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण (ईपीसीए) ने कहा था कि दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में प्रदूषण के स्थानीय स्रोत खराब एयर क्वालिटी  के मुख्य कारण हैं।

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली और आस-पास के कई इलाकों में एयर क्वालिटी बहुत खराब श्रेणी में रही। 10 माइक्रोमीटर से कम के पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) प्रदूषण बढ़ने का मुख्य कारण रहे। दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडैक्स भी ‘‘बहुत खराब’’ स्तर पर पहुंच गया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक राजधानी में 37 वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्रों में से 17 केंद्रों में एक्यूआई की ‘‘बहुत खराब’’ श्रेणी दर्ज की गई।

राजधानी में कम नहीं हो रहा है प्रदूषण

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एक्यूआई में 368, द्वारका सेक्टर 8 में 362, दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी में 355, आनंद विहार में 328, वजीरपुर में 323, रोहिणी में 323, बवाना में 320, अशोक विहार में 319, नेहरू नगर में 319 और जहांगीरपुरी में 318 रहा। इनके अलावा अलीपुर (314), नरेला (312), विवेक विहार (311), सिरी फोर्ट (309), सीआरआरआई - मथुरा रोड (304), ओखला फेज 2 (303) और आईटीओ (302) में भी बहुत खराब एयर क्वालिटी रही। पड़ोसी इलाकों गाजियाबाद (337), लोनी देहात (335), नोएडा (318) और ग्रेटर नोएडा (308) में भी प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी दर्ज की गई। एक्यूआई 0 से 50 के बीच होने पर ‘अच्छा’ होता है, जबकि 51 से 100 के बीच होने पर ‘संतोषजनक’। वहीं 101 से 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 और 500 के बीच होने पर उसे ‘गंभीर’ समझा जाता है।

कई स्थानों पर एयर क्वालिटी 'बहुत खराब'

केंद्र द्वारा संचालित एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग रिसर्च सिस्टम ने पड़ोसी राज्यों में पराली जलाए जाने की घटनाएं बढ़ती देखी थी और पूर्वानुमान जताया था कि दिल्ली की पीएम 2.5 में पराली जलाए जाने की भागीदारी को करीब छह प्रतिशत रहेगी। दिल्ली सरकार ने नासा से मिली तस्वीरें और आंकड़े भी साझा किए थे, जिसमें दिल्ली के आस-पास के इलाकों में बड़े स्तर पर पराली जलती दिखाई गई है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री कैलाश गहलोत ने केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री हर्षवर्धन को पत्र लिखकर ‘सफर’ के आंकड़ों को मुहैया कराने का आग्रह किया है, ताकि प्रशासन वायु प्रदूषण को रोकने के लिए तत्काल सुधारात्मक उपाय कर सके।

 

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

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