दिल्ली के CAPEX में 12 प्रतिशत से अधिक की गिरावट से गरीबी और बेरोजगारी में फंसी जनता, कांग्रेस नेता अजय माकन का आप पर बड़ा आरोप

अजय माकन का दावा है कि 2015 से 2020 तक AAP सरकार के कार्यकाल में दिल्ली के CAPEX में अभूतपूर्व गिरावट दर्ज की गई है, जो भारत के इतिहास में पहली बार है। इस गिरावट ने रोजगार पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है और गरीबी के स्तर में वृद्धि की है।

Dheerendra Gopal | Published : Jul 3, 2023 3:09 PM IST

Delhi CAPEX fall: कांग्रेस नेता अजय माकन ने सरकारी पूंजी व्यय (CAPEX) में गिरावट को दिल्ली को बेरोजगारी, गरीबी की ओर धकलने का कदम बताया है। आप सरकार के शासनकाल में सरकारी पूंजी व्यय (CAPEX) में आई गिरावट के लिए माकन ने केजरीवाल के झूठे दावों को एडवरटाइजमेंट में किए गए खर्च को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने ट्वीट कर बताया कि जो सरकारी पूंजी व्यय (CAPEX) के महत्व को समझते हैं और इसके रोजगार उत्पन्न करने और गरीबी कम करने में की भूमिका को पहचानते हैं, वह यह जानते हैं कि CAPEX में गिरावट सिर्फ संख्यात्मक मानों को ही प्रभावित नहीं करती, यह सीधे रोजगार के अवसरों को अवरुद्ध करके और गरीबी को बढ़ाकर जीवन को प्रभावित करती है।

क्या दावा किया अजय माकन ने सरकारी पूंजी व्यय (CAPEX) में गिरावट को लेकर?

अजय माकन का दावा है कि 2015 से 2020 तक AAP सरकार के कार्यकाल में दिल्ली के CAPEX में अभूतपूर्व गिरावट दर्ज की गई है, जो भारत के इतिहास में पहली बार है। इस गिरावट ने रोजगार पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है और गरीबी के स्तर में वृद्धि की है। दिल्ली में CAPEX की विकास दर AAP सरकार के कार्यकाल में गिर गई है, जिससे बेरोजगारी और गरीबी में योगदान दिया है। उन्होंने बताया कि दिल्ली में पूंजीगत व्यय (CAPEX) की खर्च की दर 2009-2014 के दौरान Rs 51,489.71 करोड़ थी जो कि 2015-20 के दौरान Rs 44,930.80 करोड़ तक गिर गई है।

कैपेक्स में अभूतपूर्व गिरावट

कांग्रेस नेता ने कहा कि RBI (Reserve Bank of India) और GNCTD बजट दस्तावेजों में गहराई से देखने के लिए दिल्ली के CAPEX विकास का विश्लेषण करने पर सच सामने आ जाएगा। AAP की सरकार के कार्यकाल में 2015 से 2020 तक दिल्ली के CAPEX में अभूतपूर्व गिरावट -12.74% दर्ज की गई। यह देश के इतिहास में पहली बार है। इसके परिणामस्वरूप पांच वर्षीय CAPEX Rs 51,489.71 करोड़ (2009-2014) से गिरकर Rs 44,930.80 करोड़ (2015-20) हो गई जिससे दिल्ली में बेरोजगारी और गरीबी में चिंताजनक वृद्धि हुई है।

परियोजनाओं पर खर्च के लिए धन नहीं लेकिन विज्ञापन पर अरबों फूंका

अजय माकन ने कहा कि दिल्ली सरकार को रैपिड रेल परियोजनाा या अन्य परियोजनाओं पर खर्च करने के लिए धन नहीं है लेकिन विज्ञापनों पर अरबों फूंकने का धन है। दिल्ली सरकार ने 3 वर्षों में विज्ञापनों पर 1,106.02 करोड़ रुपए खर्च किए जबकि तेज रेल के लिए कोई धन नहीं है। RRTS परियोजना के लिए दिल्ली सरकार की प्रतिबद्धता केवल Rs. 1180 करोड़ है। दिल्ली सरकार ने पिछले तीन वित्तीय वर्षों में विज्ञापनों पर कुल Rs 1106.02 करोड़ खर्च किए हैं। इसमें 2020-21 में 297.70 करोड़, 2021-22 में 596.37 करोड़ और 2022-23 में 211.95 करोड़ रुपये शामिल है। यही नहीं विज्ञापन बजट वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए अनुमानित Rs 557.24 करोड़ होने का अनुमान है।

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