सार

एनसीपी के स्थापना दिवस पर पार्टी चीफ शरद पवार ने दो कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति की थी। एक कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले को बनाया तो दूसरा कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल को बनाया।

Maharashtra Politics: महाराष्ट्र की राजनीति में शह-माह का खेल शुरू हो चुका है। भतीजा अजीत पवार पर विश्वास न करके पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष पद जिस शख्स को सौंपा था, रविवार को नाटकीय ढंग से साथ छोड़ दिया। शरद पवार से अलग होकर अजीत पवार बीजेपी से हाथ मिलाकर उप मुख्यमंत्री बन चुके हैं। लेकिन उनके लिए इससे अधिक शॉकिंग एक चेहरा है जो अजीत पवार के साथ खड़ा दिखा। हम बात कर रहे पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल की। प्रफुल्ल पटेल की गिनती शरद पवार के सबसे खास लोगों में होती रही है। लेकिन अब वह उनके बागी भतीजा अजीत के साथ एनडीए कैंप में हैं।

स्थापना दिवस पर बनाया था कार्यकारी अध्यक्ष

एनसीपी के स्थापना दिवस पर पार्टी चीफ शरद पवार ने दो कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति की थी। एक कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले को बनाया तो दूसरा कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल को बनाया। प्रफुल्ल पटेल के नाम का ऐलान सबको हैरान करने वाला था क्योंकि सबको यह उम्मीद थी कि भतीजा अजीत पवार को यह पद मिलेगा। संगठन में अजीत पवार को कोई पद नहीं देने के बाद यह तो साफ हो गया था कि देर सबेर अजीत पवार की नाराजगी बगावती तेवर अपनाएगी लेकिन प्रफुल्ल पटेल को लेकर सभी आश्वस्त थे और शरद पवार से अलग होना तात्कालिक तौर पर किसी ने सोचा भी नहीं था।

लेकिन अचानक ऐसा क्या हुआ कि प्रफुल्ल पटेल ने शरद खेमा छोड़ा?

महाराष्ट्र की राजनीति को जानने वाले बताते हैं कि अजीत पवार का एनडीए ज्वाइन करने के पहले एक मीटिंग हुई। इसमें सुप्रिया सुले, प्रफुल्ल पटेल और अजीत पवार तीनों शामिल हुए। तीनों में क्या बातचीत हुई इस बारे में किसी को कोई खबर नहीं। इसके बाद अजीत पवार कुछ ही देर में राजभवन के लिए निकले। फिर नाटकीय घटनाक्रम हुआ कि वह एनडीए ज्वाइन कर रहे हैं। प्रफुल्ल पटेल भी उनके साथ ही थे। कुछ ही देर में अजीत पवार उप मुख्यमंत्री पद की शपथ लिए। उनके साथ 8 विधायकों ने भी एनसीपी कोटे से मंत्रिपरिषद में जगह पाई। अटकलें यह भी हैं कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में प्रफुल्ल पटेल को लिया जा रहा है।

प्रफुल्ल पटेल के पिता रहे हैं यशवंत राव चव्हाण के करीबी

प्रफुल पटेल के पिता मनोहर भाई पटेल बीड़ी के बड़े कारोबारी थे। वह पुराने कांग्रेसी होने के साथ इंदिरा गांधी, मोरारजी देसाई के करीबियों में गिने जाते थे। पूर्व सीएम यशवंत राव चव्हाण के करीबी मनोहर भाई गोंदिया से कांग्रेस के विधायक रहे हैं। यशवंत राव चव्हाण, शरद पवार के राजनीतिक गुरु रहे हैं। शरद पवार के मनोहर भाई से भी अच्छे संबंध थे। जब मनोहर भाई राजनीति में सक्रिय थे तो प्रफुल्ल पटेल किशोरावस्था में थे और अपने पिता के साथ राजनीतिक मीटिंग्स में जाया करते थे। मनोहर भाई के निधन के बाद प्रफुल्ल पटेल को शरद पवार ने काफी साथ दिया। जब प्रफुल्ल ने राजनीति में कदम रखा तो शरद पवार राजनीतिक क्षितिज पर चमक रहे थे। प्रफुल्ल पटेल महज 28 साल की उम्र मं गोंदिया नगर परिषद के अध्यक्ष बनें। 1991 में शरद पवार के आशीर्वाद से उनको संसदीय प्रत्याशी बनाया गया और 33 साल की उम्र में सांसद बन गए। प्रफुल्ल पटेल 2009 में चौथी बार लोकसभा चुनाव जीते तो शरद पवार ने अपने कोटे से उनको मंत्री बनवाया। वह सबसे युवा कैबिनेट मंत्री रहे। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय संभालने वाले प्रफुल्ल पटेल को एनसीपी ने 2000, 2006 और 2022 में महाराष्ट्र से राज्यसभा के लिए भेजा था।

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