2004 में सीएम पद को लेकर शरद पवार से नाराज हो गए थे अजित, 15 साल में 8 बार आए आमने-सामने

एनसीपी के नेता अजित पवार ने जिस प्रकार शरद पवार से बगावत कर भाजपा को समर्थन देकर डिप्टी सीएम पद की कमान संभाल ली। जिसके बाद से कयास लगाया जा रहा कि चाचा-भतीजे के बीच हुए मतभेदों के कारण ही अजित ने पार्टी से अलग होने का निर्णय लिया। जिसमें बताया जा रहा कि दोनों के बीच 2004 से विवाद की नींव पड़ी है। 

Asianet News Hindi | Published : Nov 24, 2019 8:33 AM IST

मुंबई. महाराष्ट्र में सरकार को लेकर जारी लड़ाई के बीच जिस प्रकार शनिवार सुबह एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने पूरी सियासत को पलट दिया। एनसीपी के वरिष्‍ठ नेता अजित पवार ने शनिवार को मराठा राजनीति का ककहरा सिखाने वाले अपने चाचा और पार्टी सुप्रीमो शरद पवार के खिलाफ विद्रोह कर दिया। शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की गठबंधन सरकार बनने की संभावनाओं के बीच अजित पवार ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली और उप मुख्यमंत्री बन गए। शरद पवार के सबसे करीबी अजित पवार से इस तरह के कदम की किसी को उम्‍मीद नहीं थी। जानकारों की माने तो चाचा-भतीजे के बीच लंबे समय से मनमुटाव चल रहा था लेकिन कई तात्‍कालिक वजहों से अजित पवार यह कदम उठाने को मजबूर हुए। 

2004  में पड़ी विवाद की नींव

विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद 2004 में शरद और अजीत दोनों के बीच विवाद सामने आया था। जब एनसीपी को 71 और कांग्रेस को 69 सीटें मिली थी। जिसमें शरद पवार ने सीएम का पद कांग्रेस को दे दिया और एक कैबिनेट तथा दो राज्यमंत्री का पद ले लिया। जिस पर अजित पवार ने नाराजगी जाहिर की। 

डिप्टी सीएम बनने से नाराजगी

इससे पहले अजित पवार उस समय नाराज हुए थे जब छगन भुजबल को वर्ष 2008 में डेप्‍युटी सीएम बनाया गया था। इसी तरह से वर्ष 2010 में अशोक चव्‍हाण ने आदर्श घोटाले के बाद सीएम पद से इस्‍तीफा दे दिया था। अजित पवार को लगा कि एनसीपी के ज्‍यादा विधायक हैं और सीएम उनकी पार्टी का बनना चाहिए। लेकिन कांग्रेस के पृथ्‍वीराज चव्‍हाण सीएम बन गए और अजित पवार को डेप्‍युटी सीएम पद से ही संतोष करना पड़ा। 

2009 में टिकट को लेकर अनबन

2009 के विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे को लेकर शरद पवार और अजीत पवार के बीच टकराहट सामने आई थी। जिसमें अजित पवार अपने खेमे के नेताओं को टिकट बांटना चाहते थे। लेकिन शरद पवार ने उनकी नहीं सुनी। 

बेटे की हार का दर्द

बताया जा रहा कि अजित पवार शरद पवार से इस बात से भी नाराज थे कि लोकसभा चुनाव में उनके बेटे पार्थ को एनसीपी का पूरा सहयोग नहीं मिला जिसकी वजह से उन्‍हें हार का मुंह देखना पड़ा। इसके अलावा शरद पवार द्वारा अपने पोते रोहित पवार को आगे बढ़ाना पार्थ को पीछे करने के एक प्रयास के रूप में देखा गया। जिसके कारण अजित पवार के भीतर गुस्सा पनपा था । 

विरासत की जंग

डिप्टी सीएम अजित पवार को लगा कि बीजेपी के साथ सरकार बनाकर ही वह राष्ट्रवादी कांग्रेस प्रमुख शरद पवार के उत्‍तराधिकार की लड़ाई में अपने चाचा की बेटी सुप्रिया सुले से आगे निकल पाएंगे। कयास लगाए जा रहा कि इसके कारण ही उन्होंने यह विद्रोह किया हैष 

डिप्टी सीएम के लिए नहीं चुना जाना 

शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच चल रही गठबंधन सरकार बनाने की कवायद में शरद पवार ने अंति‍म समय तक अजित पवार को डेप्‍युटी सीएम के लिए नहीं चुना था। यह बात अजित पवार को नागवार गुजरी। जिसके कारण बगावत किए जाने की बात कही जा रही है। एक अफवाह यह भी चल रही थी कि एनसीपी के एक और नेता का नाम डेप्‍युटी सीएम की चर्चा में चल रहा था। 

शिवसेना से तकलीफ

अजित पवार का शुरू से ही बीजेपी के साथ संबंध अच्छा रहा है। उन्‍हें शिवसेना के साथ जाने में दिक्‍कत महसूस हो रही थी। इसके साथ ही अजित पवार की नाराजगी का एक और कारण भी सामने आया जिसमें कहा जा रहा कि ईडी के केस में नाम आने के बाद अजित पवार अकेले थे। लेकिन जब सुप्रीमो शरद पवार का नाम जब घोटाले में सामने आया और ईडी के केस में उन्होंने पेश होने का निर्णय लिया इस दौरान पूरी पार्टी खड़ी नजर आई। जिससे अजित को अपने अकेले होने का अहसास हुआ। 

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