
Red Fort Blast Key Points: दिल्ली में लाल किले के पास 10 नवंबर को हुए भीषण विस्फोट की जांच ने दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और कश्मीर तक फैले आतंकी नेटवर्क के एक खौफनाक जाल का भंडाफोड़ किया है। जैसे-जैसे एजेंसियां सीसीटीवी फुटेज, इन्क्रिप्टेड चैट और फोरेंसिक सबूतों की जांच कर रही हैं, जैश-ए-मोहम्मद (JeM) से जुड़े एक सफेदपोश टेरर मॉड्यूल की कई चीजें साफ होती जा रही हैं। कैसे डॉक्टरों के एक ग्रुप ने देश को दहलाने के लिए आतंकी साजिशें रचीं और फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी को अपना अड्डा बनाया। पता चला है कि ये सभी आतंकी तुर्किये में एक हैंडलर के संपर्क में भी थे। जानते हैं लाल किला कार धमाके की जांच में अब तक क्या-क्या हुआ।
फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी के अंदर साजिश रची गई थी। इसके परिसर और आसपास के ठिकानों से 2,900 किलोग्राम विस्फोटक बरामद किए गए। तीन कश्मीरी डॉक्टर उमर उन नबी, डॉ. मुज़म्मिल अहमद गनी और डॉ. राथर इसके मास्टरमाइंड थे। उन्होंने इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) बनाने से पहले थोड़ी मात्रा में अमोनियम नाइट्रेट, पोटेशियम नाइट्रेट और सल्फर जमा किया था। विस्फोटकों के भंडारण के लिए कमरे किराए पर लिए।
विस्फोटकों से लदी हुंडई आई20 चलाने वाला 28 साल का डॉक्टर उमर नबी कश्मीर के काजीगुंड का रहने वाला था। डॉ. मुजम्मिल और डॉ. मुजफ्फर राथर उसके करीबी सहयोगी थे। लखनऊ की एक अन्य डॉ. शाहीन सईद को भी पकड़ा गया है। ये सभी को-ऑर्डिनेट के लिए टेलीग्राम का इस्तेमाल करते थे। पुलिस ने मुजफ्फर के लिए इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस मांगा है, जो अगस्त में भारत से भाग गया था। माना जाता है कि वह अफगानिस्तान में है।
जांचकर्ताओं ने तुर्किये में एक हैंडलर का पता लगाया, जिसका कोडनेम उकासा था। उसने कथित तौर पर दिल्ली स्थित डॉक्टरों और जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवत-उल-हिंद के नेताओं के बीच मीडिएटर के रूप में काम किया। डॉ उमर और उसके सहयोगी 2021-22 में तुर्किये गए थे, जहां उन्होंने ट्रेनिंग ली थी। उकासा ने उन्हें सीक्रेट सेल बनाने को कहा था।
अंतिम घंटों के सीसीटीवी फुटेज से पता चलता है कि उमर फरीदाबाद छोड़ने के बाद बदरपुर सीमा से दिल्ली में घुसा। इससे एक रात पहले वो मेवात के फिरोजपुर झिरका भी गया था। दिल्ली पहुंचने के बाद वो आसफ अली रोड के पास एक मस्जिद में भी गया। बाद में वो कनॉट प्लेस, अशोक विहार में भी घूमा। धमाके से कुछ देर पहले वो लाल किले के पास सुनहरी मस्जिद में भी काफी देर रुका था। इसके बाद ही उसने शाम 6:52 बजे कार को विस्फोट से उड़ा दिया।
जांचकर्ताओं को अल-फलाह यूनिवर्सिटी के कमरा नंबर 13 और 4 से कुछ डायरियां मिलीं हैं, जो मुजम्मिल और उमर की थीं। इनमें 8 से 12 नवंबर के बीच की तारीखें, कोड वाले नाम शामिल थे। साथ ही बार-बार "ऑपरेशन" शब्द का जिक्र भी है। पुलिस का मानना है कि इन डायरीज में ऑपरेशन की रूपरेखा थी।
संदिग्धों ने 26 लाख रुपये से अधिक नकद जमा किए, जिसे डॉ उमर ने ऑपरेशन के लिए मैनेज किया। इस फंड का इस्तेमाल गुरुग्राम और नूह के डीलरों से 26 क्विंटल एनपीके खाद खरीदने के लिए किया गया था। यह उर्वरक, जब दूसरे केमिकल्स के साथ मिलाया जाता है, तो विस्फोटक की तरह काम करता है। फरीदाबाद में कुल 2900 किलोग्राम विस्फोटक जब्त किए गए। अधिकारियों को विदेशों से अतिरिक्त फंडिंग का भी संदेह है।
आतंकी मॉड्यूल ने चार शहरों में एक साथ विस्फोटों की योजना बनाई थी। आठ संदिग्धों को जोड़े में बांटना था। प्रत्येक को एक शहर सौंपा गया था। माना जाता है कि इनके टारगेट में दिल्ली के अलावा अयोध्या और वाराणसी भी शामिल थे। हर एक आतंकी जोड़ी को हमलों के लिए कई आईईडी के साथ सफर करना था, जो जैश के आतंकी ऑपरेशनों में इस्तेमाल की गई स्ट्रैटेजी को बताता है।
आतंकी मॉड्यूल ने अपने नोट्स में 6 दिसंबर को "ऑपरेशन डी-6" के रूप में लिखा है। जांचकर्ताओं का मानना है कि यह एक तरह से बाबरी विध्वंस की बरसी के दिन धमाके करने की प्लानिंग की तरफ इशारा करता है। कुछ रिपोर्ट्स में ये भी दावा किया गया है कि मॉड्यूल ने विस्फोटकों से लैस 32 गाड़ियों की योजना तैयार की थी। हालांकि, उमर जब कार के अंदर आईईडी को असेंबल या एक्टिव कर रहा होगा, तभी गलती से ब्लास्ट हो गया।