गणतंत्र दिवस पर सिर्फ महिलाएं करेंगी परेड, दिग्गज बोले- यह सिर्फ प्रतीक नहीं, प्रगतिशील हो रही सेनाएं

26 जनवरी 2024 को कर्तव्य पथ पर होने वाले गणतंत्र दिवस परेड में सिर्फ महिलाएं हिस्सा लेने वाली हैं। केंद्र सरकार के इस फैसले पर सेना में काम कर चुके दिग्गजों ने कहा है कि यह सिर्फ प्रतीकात्मक नहीं है। तीनों सेनाएं प्रगतिशील हो रहीं हैं।

 

नई दिल्ली। अगले साल 75वें गणतंत्र दिवस पर दिल्ली के कर्तव्य पथ पर होने वाले परेड में परेड में केवल महिलाएं मार्च करेंगी। सशस्त्र सेनाओं के दिग्गजों ने कहा है कि सरकार का यह फैसला 21वीं सदी में एक महत्वपूर्ण मोड़ होगा। Asianet Newsable ने सरकार के फैसले पर सेना में काम कर चुके अधिकारियों से बातचीत की।

2002 से 2008 तक भारतीय सेना का हिस्सा रहीं कैप्टन अमृत कौर (सेवानिवृत्त) इस घोषणा से रोमांचित हैं। उन्होंने कहा, "मैं 1998 में गणतंत्र दिवस परेड का हिस्सा थी। मैंने उस अत्यधिक गर्व को महसूस किया है जो राजपथ पर मार्च करते हुए महसूस होता है। इस फैसले से पूरे देश की महिलाएं खुशी होंगी।"

Latest Videos

अमृत कौर ने कहा, "इस फैसले को बहुत से लोग प्रतीक के रूप में देख रहे हैं, लेकिन मुझे लगता है कि यह सेनाओं की प्रगतिशीलता की निशानी है। विकास के लिए भारत में महिला सशक्तिकरण जरूरी है। इन दिनों दुनिया भर में महिलाएं सक्रिय रूप से काम कर रहीं हैं। महिलाएं जीवन के सभी क्षेत्रों में दूसरों से आगे निकल रही हैं।"

कैप्टन अमृत को उनके कार्यकाल के दौरान असम में उग्रवाद प्रभावित सिलचर में तैनात किया गया था। उन्होंने कहा, "हमारा देश शक्तिशाली राष्ट्र बनने की दिशा में बढ़ रहा है। इसमें 'नारी शक्ति' की अहम भूमिका है। राजनीति, रक्षा, शिक्षा, विज्ञान या कला हर क्षेत्र में महिलाएं आगे हैं। बड़ी कंपनियों की सीईओ हों या उद्यमी या खेती हर जगह महिलाओं ने भारत को 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में लगातार बड़ा योगदान दिया है।"

यह एक महत्वपूर्ण मोड़ होगा

मेजर जनरल सुधाकर जी (सेवानिवृत्त) ने इस फैसले को एक महत्वपूर्ण मोड़ बताया। उन्होंने तवांग सेक्टर में एक ब्रिगेड की कमान संभाला था। सुधाकर ने कहा, "यह 21वीं सदी में दुनिया के सबसे बड़े आबादी वाले और लोकतांत्रिक देश के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ होगा। भारत को 2047 तक विकसित देश बनाना है। इसके लिए महिला शक्ति का अहम रोल होगा।"

महिला सशक्तिकरण अच्छा, लेकिन ज्यादा तूल नहीं देना चाहिए

भारतीय सेना के पूर्व अधिकारी और वैश्विक रणनीतिक और सैन्य विश्लेषक मेजर जनरल एसबी अस्थाना (सेवानिवृत्त) इस फैसले से असहमत हैं। अस्थाना ने कहा कि महिला सशक्तिकरण अच्छा, लेकिन इसे ज्यादा तूल नहीं देना चाहिए। बिना जरूरत के इस बात का महिमामंडन करने का कोई मतलब नहीं है कि भारत लड़कियों के लिए बहुत काम कर रहा है। हमने पहले ही काफी कुछ कर रहे हैं।

अस्थाना ने कहा, "परेड में सिर्फ महिलाओं का दल लैंगिक समानता की ओर एक कदम होगा। अगला कदम समान रूप से प्रतिनिधित्व के साथ मिश्रित दल होगा। वर्तमान में महिला अधिकारियों और सैनिकों की संख्या पुरुषों की तुनला में कम है। ऐसा सिर्फ भारत ही नहीं पूरी दुनिया में है। कोई ऐसा देश नहीं है जहां पुरुष और महिला सैनिकों की संख्या बराबर हो। भारत कोई अपवाद नहीं है। महिला सशक्तिकरण का विचार अच्छा है, लेकिन कुछ हद तक इसे ज्यादा तूल नहीं देना चाहिए। इसे सामान्य बात की तरह ही लेना चाहिए। मैं सिर्फ महिलाओं के परेड के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन मैं इसे लेकर हो रही हाइप के खिलाफ हूं।"

Share this article
click me!

Latest Videos

ममता की अद्भुत मिसाल! बछड़े को बचाने के लिए कार के सामने खड़ी हुई गाय #Shorts
ठिकाने आई Bangladesh की अक्ल! यूनुस सरकार ने India के सामने फैलाए हाथ । Narendra Modi
Hanuman Ashtami: कब है हनुमान अष्टमी? 9 छोटे-छोटे मंत्र जो दूर कर देंगे बड़ी परेशानी
Delhi Election 2025 से पहले Kejriwal ने दिया BJP की साजिश का एक और सबूत #Shorts
पहले गई सीरिया की सत्ता, अब पत्नी छोड़ रही Bashar Al Assad का साथ, जानें क्यों है नाराज । Syria News