'ईमानदारी से काम करने के बाद भी लगे भ्रष्टाचार के आरोप', पढ़ें मनीष सिसोदिया के पत्र की 10 खास बातें

मनीष सिसोदिया ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को तीन पेज का पत्र लिखकर इस्तीफा दिया है। पत्र में सिसोदिया ने खुद को ईमानदार बताया है और कहा है कि उन्हें झूठे मामले में गिरफ्तार किया गया।

Vivek Kumar | Published : Feb 28, 2023 4:42 PM IST / Updated: Feb 28 2023, 10:16 PM IST

नई दिल्ली। शराब घोटाला केस में गिरफ्तार हुए मनीष सिसोदिया ने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया। उन्होंने तीन पेज का एक पत्र मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लिखा। पत्र पर डेट नहीं लिखा था। पत्र में उन्होंने कहा कि मैंने आठ साल तक ईमानदारी से काम किया इसके बाद भी भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं।

सिसोदिया के पत्र की 10 खास बातें

1- आठ साल मंत्री के रूप में ईमानदारी से काम किया। दुनिया की कोई भी ताकत मुझसे बेईमानी नहीं करा सकती। मैं खुद भी चाहूं तो किसी काम में बेईमानी नहीं कर सकता।

2- मेरे पिता ने मुझे अपना काम हमेशा ईमानदारी और निष्ठा के साथ पूरा करने की शिक्षा दी थी।

3- 8 साल तक ईमानदारी से काम करने के बाद भी मुझपर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जा रहे हैं। मेरे ऊपर कई FIR की गई हैं और कई और करने की तैयारी है।

4- उन्होंने (भाजपा) बहुत कोशिश की कि मैं आपका (अरविंद केजरीवाल) साथ छोड़ दूं। मुझे डराया, धमकाया और लालच दिया गया। मैं नहीं झुका तो गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया।

5- मैं इनकी जेलों से नहीं डरता हूं। सच्चाई के रास्ते पर लड़ते हुए जेल जाने वाला मैं दुनिया का पहला आदमी नहीं हूं। मैंने हजारों ऐसे लोगों की कहानियां पढ़ी हैं जो आजादी के लिए लड़ रहे थे और अंग्रेजों ने झूठे मुकदमों में फंसा कर जेल में डाला था। यहां तक कि फांसी भी लगवाई थी।

6- मेरे मन में जेल जाने का कोई डर नहीं है। मेरे साथ सच्चाई की ताकत है। दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे लाखों बच्चों की दुआएं मेरे साथ हैं। हजारों शिक्षकों का आशीर्वाद मेरे सिर पर है।

7- मेरे खिलाफ जितने भी आरोप लगाए जाएं समय के साथ सच्चाई सामने आएगी। यह साबित हो जाएगा कि सारे आरोप झूठे और बेबुनियाद थे।

8- मैं जानता हूं कि साजिशकर्ता मुझे और आपको (अरविंद केजरीवाल) परेशान करने के लिए मुझे जेल में डाल रहे हैं। उनकी इन साजिशों से राजनीति की हमारी लड़ाई और मजबूत होगी।

9- वह हमें और हमारे साथियों को जेल में बंद कर सकते हैं, लेकिन हमारे हौसलों को आसमान की ऊंचाइयों को छूने से नहीं रोक सकते। मेरे जेल जाने से हमारे कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा।

10- सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बजू-ए-कातिल में है।

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