अल्ट न्यूज के को-फाउंडर जुबैर को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत, सीतापुर में दर्ज केस में मिली राहत

अल्ट न्यूज के को-फाउंडर मोहम्मद जुबैर (Mohammed Zubair) को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिल गई है। उन्हें केवल सीतापुर मामले में 5 दिन के लिए जमानत मिली है। जुबैर के खिलाफ धार्मिक भावनाएं आहत करने का केस किया गया था।

Asianet News Hindi | Published : Jul 8, 2022 7:22 AM IST

नई दिल्ली। अल्ट न्यूज के को-फाउंडर मोहम्मद जुबैर (Mohammed Zubair) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से राहत मिली है। कोर्ट ने उन्हें सीतापुर मामले में 5 दिन के लिए जमानत दी है। कोर्ट ने कहा है कि अंतरिम जमानत सिर्फ सीतापुर में दर्ज हुए एफआईआर के संबंध में दी गई है। जुबैर को किसी अन्य मामले में राहत नहीं मिली है।

जुबैर के खिलाफ ट्वीट के जरिए धार्मिक भावनाएं आहत करने का केस किया गया था। उनके वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंसाल्वेस ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि जुबैर को जान से मारने की धमकी मिल रही है। वह अपनी सुरक्षा को लेकर चिंचित है। उन्होंने कोर्ट से गुहार लगाई थी कि जुबैर के जमानत संबंधी आवेदन पर तत्काल सुनवाई की जाए। इसके बाद कोर्ट ने आठ जुलाई को सुनवाई का फैसला किया था।

बता दें कि जुबैर को पिछले सप्ताह दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। सोमवार को उसे उत्तर प्रदेश के सीतापुर जेल भेजा गया था। जुबैर के खिलाफ आईपीसी की धारा 295ए और आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत केस दर्ज किया गया है। उस पर जानबूझकर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप लगे हैं। कोर्ट ने जुबैर को 14 दिन की न्यायीक हिरासत में भेज दिया था। 

2018 में किया था ट्वीट 
मोहम्मद जुबैर को पिछले सप्ताह दिल्ली पुलिस ने एक हिंदू देवता के खिलाफ 2018 में कथित तौर पर आपत्तिजनक ट्वीट करने से संबंधित मामले में गिरफ्तार किया था। जुबैर पर शुरू में आईपीसी की धारा 153 और 295 ए के तहत आरोप लगाया गया था। 153 दंगा भड़काने के इरादे से लोगों को उकसाने से संबंधित है। वहीं, 295 ए किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और जानबूझकर उसके धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करने से संबंधित है।

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दिल्ली पुलिस ने जुबैर के खिलाफ नए प्रावधान आईपीसी की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश), 201 (सबूत नष्ट करना) और विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम की धारा 35 लागू की है। दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार को जुबैर की जमानत याचिका खारिज कर दी और उसके खिलाफ अपराधों की प्रकृति और गंभीरता का हवाला देते हुए उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।

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