Amar Jawan Jyoti: हजारों गुमनाम सैनिकों की भारत मां की रक्षा में कुर्बानी का है गवाह, जानिए पूरा इतिहास

2020 के बाद से, भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर इंडिया गेट के बजाय राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर माल्यार्पण किया करते हैं। राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर नए अमर जवान ज्योति पर एक नया रिवाज शुरू हो रहा है।

Asianet News Hindi | Published : Jan 21, 2022 11:42 AM IST / Updated: Jan 21 2022, 05:23 PM IST

नई दिल्ली। अमर जवान ज्योति (Amar Jawan Jyoti) एक बार फिर सुर्खियों में है। अमर जवानों की शहादत को नमन करने वाले इस स्मारक को अब नेशनल वॉर मेमोरियल (National War Memorial) में मर्जर किया जा रहा है। अमर जवान ज्योति, उन हजारों गुमनाम सिपाहियों की याद दिलाता है जिन्होंने भारत माता के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया, भले ही दुनिया उनके बारे में जान न सकी। यह स्मारक 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध (India-Pakistan War) के दौरान भारतीय सशस्त्र बलों के शहीद और अज्ञात सैनिकों की स्मृति में बनया गया था। 

क्या है अमर जवान ज्योति स्थल पर?

अमर जवान ज्योति में एक संगमरमर का चबूतरा है। स्मारक के चारों तरफ अमर जवान (अमर सैनिक) सोने में लिखा गया है। यहीं पर एक सेल्फ-लोडिंग राइफल अपने बैरल पर अज्ञात सैनिक के हेलमेट के साथ खड़ा किया गया है। यहां चार कलशों से बंधा हुआ आसन है, जिनमें से एक में लगातार जलती हुई लौ है।

अमर जवान ज्योति का उद्घाटन कब हुआ? 

अमर जवान ज्योति स्मारक को दिसंबर 1971 में बनाया गया था और 1972 में इंदिरा गांधी ने इसका उद्घाटन किया था। 

क्या है इसका इतिहास?

दरअसल, इंडिया गेट जहां पर अमर जवान ज्योति स्मारक स्थित है, उसका मूल निर्माण साल 1921 में किया गया था। इंडिया गेट को एडविन लुटियंस ने निर्माण कराया था। इंडिया गेट पर इसके बाद 1971 में अमर जवान ज्योति का निर्माण कराया गया। 3 दिसंबर 1971 से 16 दिसंबर 1971 (ढाका के पतन) तक, पूर्वी पाकिस्तान में मुक्ति संग्राम के दौरान भारत का पाकिस्तान के साथ सैन्य टकराव (1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध) था। बांग्लादेश के निर्माण में भारत द्वारा सहायता प्रदान की गई थी जिसके दौरान कई भारतीय सैनिकों की जान चली गई थी। भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद, इंदिरा गांधी (तत्कालीन भारत की प्रधान मंत्री) ने मृत और अज्ञात सैनिकों की स्मृति में इंडिया गेट के नीचे अमर जवान ज्योति के निर्माण कराया। 26 जनवरी 1972 (भारत का 23 वां गणतंत्र दिवस) पर, स्मारक का आधिकारिक उद्घाटन इंदिरा गांधी ने किया था।

अमर जवान ज्योति पर हर साल नमन किया गया जाता

1972 के बाद से, हर साल गणतंत्र दिवस पर (गणतंत्र दिवस परेड से पहले), राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री, वायु सेना प्रमुख, नौसेना प्रमुख, थल सेना प्रमुख और गणमान्य व्यक्ति यहां आते थे और अमर शहीदों को याद करते हुए उनको श्रद्धांजलि देते रहे। अमर जवान ज्योति पर माल्यार्पण कर उन सैनिकों को याद किया जाता। यह प्रथा 2019 तक कायम रही। 

लेकिन अब बदल गई है प्रथा

साल 2019 में पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने नेशनल वॉर मेमोरियल का निर्माण कराया। इस राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का उद्घाटन पीएम मोदी ने किया। वार मेमोरियल का निर्माण फरवरी 2019 में पूरा हुआ और 25 फरवरी को नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटन किया गया। यहां भी शहीदों की याद में एक लौ जलाया गया जिसे अमर जवान ज्योति से लाकर प्रज्जवलित किया गया। 

 

2020 के बाद से, भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर इंडिया गेट के बजाय राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर माल्यार्पण किया करते हैं। राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर नए अमर जवान ज्योति पर एक नया रिवाज शुरू हो रहा है, जिसमें सेना प्रमुख, नौसेना प्रमुख और वायु सेना प्रमुख के साथ-साथ सेना प्रमुख, नौसेना प्रमुख और वायु सेना प्रमुख भी शामिल हैं, जो अपने संबंधित सेवा दिवसों पर उसी स्मारक श्रद्धांजलि देते हैं। 

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