अमीर खुसरो को पसंद था अवध, दिल्ली को कहते थे अपना देश, दी थी सितार और तबला की अनूठी देन

भारत के पिछले 800 वर्षों के इतिहास में यदि किसी एक व्यक्ति को संस्कृति और सभ्यता को समृद्ध करने का श्रेय दिया जा सकता है तो हजरत अबुल हसन यामीनुद्दीन खुसरो का नाम निश्चित रूप से सबसे ऊपर है।

(कुर्बान अली, Awaz The Voice). भारत में मुसलमानों का आगमन 720 ईस्वी में मुहम्मद बिन कासिम के सिंध पर आक्रमण के साथ शुरू हुआ था। वह भारत में अधिक समय तक नहीं रुका और जल्द ही अपने देश लौट गया। मुसलमानों के भारत आने की प्रक्रिया वर्ष 1001 में महमूद गजनवी के आगमन के साथ शुरू हुई। वह हमलावर और लुटेरा था। उसने भारत पर 17 बार आक्रमण किया।

शहाबुद्दीन गौरी, तैमूरलंग, नादिर शाह और अहमद शाह अब्दाली जैसे हमलावरों ने गजनवी की तरह भारत पर आक्रमण किया और यहां से धन और जवाहरात लूट कर अपने देश लौट गए। हालांकि, फारस और अरब के कई मुस्लिम और सूफी संत जो इन हमलावरों के साथ आए थे भारत में बस गए।

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इनमें सबसे प्रमुख नाम ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती अजमेरी का है। वह चिश्तिया सम्प्रदाय के महान संत थे। चिश्ती लगभग 850 वर्ष पूर्व भारत आए थे। उन्होंने अजमेर में चिश्तिया सम्प्रदाय की स्थापना की। यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि सूफी संत ख्वाजा अमीर खुसरो 'हिन्दुस्तानियत' के जनक हैं। भारत के पिछले 800 वर्षों के इतिहास में यदि किसी एक व्यक्ति को संस्कृति और सभ्यता को समृद्ध करने का श्रेय दिया जा सकता है तो हजरत अबुल हसन यामीनुद्दीन खुसरो का नाम निश्चित रूप से सबसे ऊपर है।

लोग उन्हें प्यार से अमीर खुसरो देहलवी और तूती-ए-हिंद के नाम से पुकारते हैं। उन्होंने खुद को 'तुर्क हिंदुस्तानीयम हिंदवी गोयल जवाब' कहा, जिसका अर्थ है कि मैं तुर्क हिंदुस्तानी हूं और हिंदी बोलता और जानता हूं। अमीर खुसरो ने इस उपमहाद्वीप को एक नया और बहुत सुंदर नाम दिया- हिंदुस्तान।

अमीर खुसरो ने भारतीय शास्त्रीय संगीत को सितार और तबला की दो अनूठी देन दी। उन्होंने फारसी और हिंदी में गजल, मसनवी, काटा, रुबाई, दोबैती और तारक्की बंध की विधाओं में कविता की रचना की। इसके अलावा, उन्होंने असंख्य दोहे, गीत, कहावतें, दो-सुखने, पहेलियां, तराना, आदि लिखे। हजरत अमीर खुसरो को 'बाबा-ए-कव्वाली' के रूप में भी जाना जाता है।

अमीर खुसरो ने भारत, विशेषकर राजधानी दिल्ली की खूब प्रशंसा की। अवध के बारे में वे लिखते हैं- 'वाह क्या शादाब सर्जमीन ये अवध की...' जगत के फल-फूल मौजूद हैं। लोग कितना अच्छा बोलते हैं। मीठे और रंगीन व्यक्ति। धरा सुखी, जमींदार धनवान। मैं अवध से अलग नहीं होना चाहता, लेकिन दिल्ली मेरा देश है, मेरा शहर है, दुनिया का सबसे खूबसूरत शहर है।”

स्रोत-  आवाज द वॉयस

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