बनारस में बोले अमित शाह- दोबारा लिखेंगे भारत का इतिहास, कोई नहीं रोक सकेगा

गृहमंत्री ने वीर सावरकर न होते तो 1857 की क्रांति इतिहास न बनती, सावरकर ने ही 1857 की क्रांति को पहले स्वतंत्रता संग्राम का नाम देने का काम किया वरना आज भी हमारे बच्चे उसे विद्रोह के नाम से जानते।' 

Asianet News Hindi | Published : Oct 17, 2019 10:24 AM IST / Updated: Oct 17 2019, 03:59 PM IST

उत्तर प्रदेश. विधानसभा चुनाव के लिए मतदान से चार दिन पहले गृहमंत्री अमित शाह बीएचयू यूनिवर्सिटी पहुंचे। उन्होंने  भारत अध्ययन केंद्र के तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का दीप उद्घाटन किया। स्वतंत्रता भवन में होने वाले कार्यक्रम में स्कंदगुप्त विक्रमादित्य के जीवन से जुड़े बिंदुओं पर चर्चा की गई थी। ऐसे में शाह ने चुनावों के मद्देनजर काफी कुछ बोला। उन्होंने सावरकर पर चल रहे सियासी घमासान पर भी बात रखी।

शाह ने कहा कि भारतीय इतिहास के को दोबारा लिखे जाने की जरूरत है। इसके लिए हमें ही आगे आना होगा। इसमें इतिहासकारों की बड़ी भूमिका है, अगर हम अब तक अपने इतिहास की दोबारा समीक्षा नहीं कर सके तो यह हमारी कमजोरी होगी।

वामपंथियों को बनाया निशाना

शाह सावरकर के मुद्दे पर आ रहे विपक्ष के विरोध पर पलटवार कर रहे थे। उन्होंने कहा, 'वामपंथियों को, अंग्रेज इतिहासकारों को दोष देने से कुछ नहीं होगा, हमें अपने दृष्टिकोण को बदलना होगा। क्या इतिहासकार पुर्नलेखन नहीं कर सकते हैं, कोई नही रोक सकता है।'  शाह ने कहा कि अब समय आया है हमारे देश के इतिहासकारों को एक नये दृष्टिकोण के साथ इतिहास को लिखने का।

सावरकर न होते तो 1857 की क्रांति इतिहास न बनती

उन्होंने कहा कि मोदी जी के नेतृत्व में आज देश फिर से एक बार अपनी गरिमा प्राप्त कर रहा है, आज पूरी दुनिया के अंदर भारत का सम्मान मोदी जी के नेतृत्व में बढ़ा है। गृहमंत्री ने वीर सावरकर न होते तो 1857 की क्रांति इतिहास न बनती, सावरकर ने ही 1857 की क्रांति को पहले स्वतंत्रता संग्राम का नाम देने का काम किया वरना आज भी हमारे बच्चे उसे विद्रोह के नाम से जानते।' 

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