Rani Gaidinliu Museum: अमित शाह ने रखी नींव-'आजादी के 100 साल पूरे होने पर भारत की विश्व में प्रमुख जगह होगी'

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह(Amit Shah) ने 2 नवंबर को वीडियो कांफ्रेंस के जरिए मणिपुर के तामेंगलोंग जिले में रानी गाइदिन्ल्यू आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय की आधारशिला रखी। इस मौके पर केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा और मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह उपस्थित थे।
 

Asianet News Hindi | Published : Nov 22, 2021 8:36 AM IST / Updated: Nov 22 2021, 02:16 PM IST

मणिपुर. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह(Amit Shah) ने तामेंगलोंग जिले के लुआंगकाओ गांव( Luangkao village of Tamenglong District) में रानी गैदिनल्यू (गैदिनलिउ) आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय(Rani Gaidinliu Tribal Freedom Fighters Museum) की आधारशिला रखी। कार्यक्रम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हुआ। इस मौके पर अमित शाह ने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में बन रहे आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के संग्रहालय हमारे समाज को एकजुट करने में मदद करेंगे। बता दें कि राज्य सरकार ने लुआंगकाओ गांव में संग्रहालय स्थापित करने का निर्णय लिया है, जो जानीमानी स्वतंत्रता सेनानी रानी गाइदिन्ल्यू(गैदिनलिउ) का जन्म स्थान है। जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने परियोजना के लिए लगभग 15 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं।

195 करोड़ का निवेश
अमित शाह ने कहा- भारत की आजादी में आदिवासी आबादी के संघर्षों और बलिदानों को शहरी नहीं जानते, यही वजह है कि पीएम मोदी ने विभिन्न राज्यों में इस तरह के संग्रहालय बनाने का फैसला किया। सरकार ने 195 करोड़ रुपये का निवेश किया है, जिसमें से 110 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं। शाह ने कहा-जब आज़ादी के 100 साल पूरे होंगे उस वक़्त का भारत कैसा होगा। उस वक़्त भारत कहां खड़ा होगा। भारत विश्व के प्रमुख देशों में अपनी जगह बना लेगा। इस आत्मविश्वास के साथ देश की जनता को संकल्प लेना है।

रानी गैदिलिउ के बारे में
रानी गैदिनलिउ का जन्म 26 जनवरी, 1915 को मणिपुर राज्य के तामेंगलोंग जिले के ताओसेम उप-मंडल के लुआंगकाओ गांव में हुआ था। 13 साल की उम्र में वह जादोनांग से जुड़ी हुई थीं और उनके सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक आंदोलन में उनकी लेफ्टिनेंट बन गईं। 1926 या 1927 के आसपास जादोनांग के साथ उनके चार साल के जुड़ाव ने उन्हें अंग्रेजों के खिलाफ सेनानी बनने के लिए तैयार किया। जादोनांग को फांसी दिए जाने के बाद गैदिनलिउ ने आंदोलन का नेतृत्व संभाला। जादोनांग की शहादत के बाद गैडिंल्यू ने अंग्रेजों के खिलाफ एक गंभीर विद्रोह शुरू किया, जिसके लिए उन्हें 14 साल के लिए अंग्रेजों ने जेल में डाल दिया और आखिरकार 1947 में रिहा कर दिया गया।

अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई के बाद उन्हें रानी कहा जाने लगा 
अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष में उनकी भूमिका को स्वीकार करते हुए, उन्हें "रानी" कहा जाने लगा। भारत को आजादी मिलने के बाद उन्हें तुरा जेल से रिहा किया गया था। 17 फरवरी, 1993 को रानी गैदिन्लिउ का उनके पैतृक गांव लुआंगकाओ में निधन हो गया।

कई सम्मान मिले
उन्हें 1972 में ताम्रपत्र, 1982 में पद्म भूषण, 1983 में विवेकानंद सेवा सम्मान, 1991 में स्त्री शक्ति पुरस्कार और 1996 में भगवान बिरसा मुंडा पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। भारत सरकार ने 1996 में रानी गैडिनल्यू का एक स्मारक टिकट जारी किया था। 2015 में उनके जन्म शताब्दी समारोह के अवसर पर प्रधानमंत्री ने सौ रुपये का सिक्का और पांच रुपये का प्रचलन सिक्का जारी किया। भारतीय तटरक्षक बल ने 19 अक्टूबर, 2016 को एक तेज गश्ती पोत "आईसीजीएस रानी गैदिनलिउ" को चालू किया। मणिपुर में पर्यटन क्षेत्र में बहुत बड़ी संभावनाएं हैं और इस परियोजना से राज्य के सामाजिक-आर्थिक विकास में पर्यटन के और विकास को बढ़ावा मिलेगा।

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