अगले महीने यानी मई में जीएसटी काउंसिल की बैठक होनी है। यह बैठक काफी अहम मानी जा रही है। दरअसल, जून 2022 से राज्यों को केंद्र द्वारा मिलने वाली मुआवजा व्यवस्था खत्म होने जा रही है। ऐसे में इस बैठक में जीएसटी की दरें बढ़ाने पर अंतिम फैसला हो सकता है।
नई दिल्ली। जीएसटी काउंसिल (GST Council) की अगली बैठक आम आदमी को महंगाई का एक और डोज दे सकती है। सूत्रों का कहना है कि अगले महीने होने वाली बैठक में 5 प्रतिशत के टैक्स स्लैब को खत्म करने पर विचार किया जा सकता है। इसके अलावा ऐसे प्रोडक्ट, जिनकी डिमांड अधिक है, उन्हें 3 और बाकी को 8 प्रतिशत के स्लैब में डाला जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि ज्यादातर राज्यों ने राजस्व बढ़ाने को लेकर एक राय रखी है। वे चाहते हैं कि उन्हें पैसे के लिए केंद्र पर निर्भर नहीं रहना पड़े। अभी जीएसटी में 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत के चार टैक्स स्लैब हैं। परिषद की बैठक में नया फैसला होता है तो इनमें 3 और 8 प्रतिशत के दो नए स्लैब जुड़ जाएंगे।
5 प्रतिशत वाला स्लैब बढ़कर 9 हो सकता है
सूत्रों का कहना है कि पांच प्रतिशत जीएसटी स्लैब का दायरा बढ़कर 7 से 9 प्रतिशत तक करने की चर्चा है। हालांकि, अंतिम निर्णय केंद्रीय वित्त मंत्री की अगुवाई वाली जीएसटी कउंसिल लेगी। इस बैठक में सभी राज्यों के वित्त मंत्री शामिल हाेंगे। 5 प्रतिशत स्लैब में यदि एक प्रतिशत की वृद्धि भी की गई तो सरकार को सालाना 50 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त राजस्व मिलेगा। माना जा रहा है कि काउंसिल की बैठक के बाद अधिकांश वस्तुओं को 8 फीसदी पर लाया जा सकता है। फिलहाल इन प्रोडक्ट्स पर 5 फीसदी जीएसटी लग रहा है। यानी, आम आदमी की जरूरतों पर सीधे तीन प्रतिशत टैक्स बढ़ेगा।
लग्जरी सामान पर 28 फीसदी टैक्स
जीएसटी काउंसिल ने लग्जरी आयटम्स को 28 प्रतिशत टैक्स के दायरे में रखा है। इन पर सेस भी लगता है। सेस का इस्तेमाल राज्यों को जीएसटी लागू करने से राजस्व में हुए नुकसान की भरपाई के लिए किया जाता है। इसी साल जून में जीएसटी की राज्यों को मुआवजा वाली समाप्त होने जा रही है। ऐसे में राज्य अब आत्मनिर्भर बनने की दिशा में टैक्स स्लैब बढ़ाने की कोशिश में हैं। वे केंद्र पर अपनी निर्भरता खत्म करना चाहते हैं।
बोम्मई की अध्यक्षता में बनी है समिति
जीएसटी काउंसिल ने पिछले साल कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई (Basavraj Bommai)की अध्यक्षता में राज्यों के मंत्रियों की एक समिति बनाई थी। इस समिति को टैक्स दरों को तर्कसंगत बनाकर टैक्स स्लैब की विसंगतियां दूर करने के साथ राजस्व के तरीके बढ़ाने पर जोर देना था। यह समिति अगले महीने अपनी सिफारिश दे सकती है।
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