आर्यभट से चंद्रयान-2 तक भारत के 7 कदम, जिनसे हम अंतरिक्ष में महाशक्ति बने

आजादी के इन सात दशकों में भारत ने  साइंस के क्षेत्र में काफी प्रगति की। हमने राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी कामयाबी हासिल की है। भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र यानि इसरो कम लागत में उपग्रह बनाने के लिए  जाना जाता है।

भोपाल. भारत अपना 73वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। 15 अगस्त 1947 को देश अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त हुआ था। आजादी के इन सात दशकों को भारत ने जाया नहीं होने दिया। देश के लोगों ने अपनी कड़ी मेहनत और लगन से विश्वपटल पर मुल्क को नई ऊंचाई दी। देश ने अपनी काबिलियत के बल पर खेल से लेकर इनोवेशन के क्षेत्र, अपने कड़े फैसलों, महिलाओं की स्वतंत्रता, धार्मिक आर्थिक, सामाजिक बेड़ियों को तोड़ते हुए साथ ही सूचना के संचार में दुनिया के सामने अपना एक मुकाम स्थापित किया। 

आजादी के इन सात दशकों में भारत ने  साइंस के क्षेत्र में काफी प्रगति की। हमने राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी कामयाबी हासिल की है। भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र यानि इसरो कम लागत में उपग्रह बनाने के लिए  जाना जाता है। भारत की तरफ से भेजे गए ज्यादातर उपग्रह स्वदेशी हैं। आइए हम ऐसे सात इनवोशन के बारे में बताते हैं, जिसने अंतरिक्ष की दुनिया में भारत को सारे जहां से अच्छा बनाया....

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1- उपग्रह आर्यभट

साल 1975 में भारत ने अपनापहला उपग्रह आर्यभट्ट अंतरिक्ष में भेजा। इस उपग्रह का नाम भारतीय खगोलशास्त्री आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया। इस सेटेलाइट को कॉसमॉस-3एम प्रक्षेपण वाहन के जरिए कास्पुतिन यान से लॉन्च किया। सबसे खास बात यह थी कि इस उपग्रह का निर्माण पूरी तरह से भारत में हुआ था।

2- पीएसएलवी

इसरो ने 1990 में ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान यानि पीएसएलवी बनाया। 1993 में यान से पहला उपग्रह ऑर्बिट में भेजा। इससे पहले यह सुविधा केवल रूस के पास थी।

3- चंद्रयान-1

साल 2008 में इसरो ने चंद्रयान बनाकर इतिहास रच दिया। 22 अक्टूबर 2008 को स्वदेश निर्मित इस मानव रहित अंतरिक्ष यान को चांद पर भेजा गया। भारत ये कारनामा करने वाला सातवां देश था। इससे पहले दुनिया के 6 देश इस तरह का कारनामा कर चुके थे। 

4- मंगलयान 

भारतीय मंगलयान ने इसरो को दुनिया के नक्शे पर चमका एक अलग ही पहचान दिला दी। भारत अपने पहले ही प्रयास में मंगल तक पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया। अमेरिका, रूस और यूरोपीय स्पेस एजेंसियों को कई प्रयासों के बाद मंगल ग्रह पर पहुंचने में सफलता मिली थी। 5 नवम्बर 2013 को मंगल ग्रह की परिक्रमा के लिए यान छोड़ा गया था और 24 सितंबर 2014 को मंगल पर पहुंचने के साथ ही नया कीर्तमान रच दिया। 2014 की टाइम मैग्जीन ने मंगल ग्रह को सर्वेश्रेष्ट अविष्कारों में शामिल किया था।  

5- जीएसएलवी मार्क 2

जीएसएलवी मार्क 2 का सफल प्रक्षेपण भी भारत के लिए बड़ी कामयाबी थी। इसमें भारत ने अपने ही देश में बनाया हुआ क्रायोजेनिक इंजन लगाया था। इसके बाद भारत को सैटेलाइट लॉन्च करने के लिए दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ा।

6- खुद का नेविगेशन सिस्टम मिला

इसरो ने 28 अप्रैल 2016 भारत का सातवां नेविगेशन उपग्रह इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम लॉन्च किया। भारत को अमेरिका के जीपीएस सिस्टम के समान अपना खुद का नेविगेशन सिस्टम मिला। इससे पहले अमेरिका और रूस ने उपलब्धी हासिल की थी।

7- चंद्रयान-2



भारत ने इस साल चंद्रमा की तरफ दूसरा कदम बढ़ाया है। 22 जुलाई को इसरो ने चंद्रयान 2 लॉन्च किया। इस यान को भारत के 'बाहुबली रॉकेट' GSLV मार्क III-M1 से लॉन्च किया है। 22 जुलाई को प्रक्षेपित चंद्रयान-2 48 दिन के बाद 6 सितंबर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा। इससे पहले 27 मार्च, 2019 को भारत ने मिशन शक्ति का परिक्षण किया था। इसके तहत भारत ने लो अर्थ ऑर्बिट में एक लाइव सेटेलाइट को मार गिराया था। इसी के साथ भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन गया था। इससे पहले रूस, अमेरिका और चीन के पास ये ताकत थी। 

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