
Operation sindoor debate: संसद के मानसून सत्र में सोमवार को ऑपरेशन सिंदूर पर लोकसभा में चर्चा हुई। विपक्ष ने ऑपरेशन सिंदूर के लिए सैनिकों की बहादुरी की सराहना की तो पहलगाम हमले की जवाबदेही तय न करने पर मोदी सरकार को घेरा। एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार को भारत-पाकिस्तान के बीच होने जा रहे क्रिकेट मैच को लेकर जमकर लताड़ा। उन्होंने कहा कि पहलगाम हमले में मारे गए लोगों के परिवारों से क्या सरकार यह कह सकती है कि वह पाकिस्तान का मैच देखें। उन्होंने सरकार को इस मुद्दे पर चैलेंज किया।
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लोकसभा में पूरे तेवर में नजर आए सांसद ओवैसी ने कहा कि सेना ने बहादुरी से पाकिस्तान को जवाब दिया। सेना ने शौर्य दिखाया। अगर खून और पानी एक साथ नहीं बह सकता तो फिर पाकिस्तान से हम क्रिकेट मैच क्यों खेल रहे हैं। अगर आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते तो फिर पाकिस्तान से क्रिकेट मैच कैसे खेला जा सकता है। मुझे तो ये गंवारा नहीं करता। क्या इस सरकार के पास इतनी हिम्मत नहीं है कि वह मना कर सके। उन्होंने सरकार को घेरते हुए कहा कि क्या सरकार उन शहीदों के परिवारों से बात कर सकती है और कह सकती है कि हमने ऑपरेशन किया अब पाकिस्तान के साथ मैच देखिए?
बैरिस्टर असदुद्दीन ओवैसी ने पहलगाम हमले में सुरक्षा चूक पर सवाल खड़े किए। लोकसभा में उन्होंने पूछा कि अगर साढ़े सात लाख जवान और सुरक्षाबल तैनात होने के बाद भी आतंकी देश में दाखिए हो गए तो जवाबदेही किसकी है। उप राज्यपाल की, पुलिस की, आईबी या किसी और की? उन्होंने कहा कि सिर्फ ऑपरेशन कर देना काफी नहीं, जवाबदेही भी तय होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर से 370 हटाए जाने के बाद भी आतंकी घटनाएं कम नहीं हुई हैं, लगातार आतंकी घटनाएं हो रही हैं, इससे सरकार की नीति की विफलता साबित हो रही है।
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ओवैसी ने केंद्र सरकार से सवाल पूछा कि एक गोरा व्हाइट हाउस में बैठकर सीजफायर का ऐलान करता है, क्या यही आपका नेशनलिज्म है। मेरा सवाल सरकार से है कि हम अमेरिका के मित्र देश हैं। क्या वे दोस्ती निभा रहे हैं। अमेरिका के एक अधिकारी के बयान के पहले आप चुप रहते हैं, कोई प्रतिक्रिया नहीं देते। क्या हमारी विदेशी नीति इतनी निर्भरशील हो गई है कि अमेरिका तय करेगा कि हमें क्या बोलना है। यही हाल चीन के साथ भी है। जब चीन पाकिस्तान को सैन्य सहायता दे रहा है तो भारत सरकार उसके सामने खामोश क्यों है।